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Pratibha Katiyar

'Pratibha Katiyar' - 2 News Result(s)
  • Trail Period Film Review: बिन पापा के मां का अस्तित्व क्यों नहीं?

    Trail Period Film Review: बिन पापा के मां का अस्तित्व क्यों नहीं?

    फिल्म एक एकल स्त्री की कहानी है. जिसका एक छोटा बच्चा है. बच्चा अपने पापा के बारे में पूछता रहता है. यह पूछना उसके पियर प्रेशर से भी ड्राइव होता है. सारे बच्चे पापा के बारे में बातें करते हैं और उसके पापा नहीं हैं. वो अपनी मां से ट्रायल पर पापा लाने के लिए कहता है. आइडिया मजाक वाला है लेकिन ठीक है. 

  • तलाक सेलिब्रेशन : रिश्ता बचाने से ज्यादा जरूरी है जिंदगी बचाना

    तलाक सेलिब्रेशन : रिश्ता बचाने से ज्यादा जरूरी है जिंदगी बचाना

    टूटना हर हाल में बुरा होता है. कोई भी रिश्ता नहीं टूटना चाहिए लेकिन रिश्ते के न टूटने की कीमत व्यक्ति का टूटना तो नहीं हो सकता. इसलिए जब रिश्तों के अंदर इंसान मरने लगे, जज्बात मरने लगें तो जरूरी है रिश्ते की दहलीजों से पार निकलना और खुद को बचाना. लेकिन अब भी यह समाज सड़े-गले रिश्तों के झूठे 'सेलिब्रेशन' पर निसार रहता है और टूटे, सड़े, बजबजाते रिश्ते से बाहर निकलने की हिम्मत देने के बारे में सोच भी नहीं पाता. ऐसे में अगर कोई स्त्री तलाक भी ले और तलाक के बाद उसे सेलिब्रेट भी करे तो कैसे न होगा समाज के पेट में दर्द. तमिल टीवी अभिनेत्री शालिनी ने तलाक के बाद एक फोटोशूट कराकर जिसमें वह तलाक को मुक्ति के तौर पर देख रही हैं और मुक्ति का जश्न मना रही है, समाज की सड़ी गली सोच को अंगूठा दिखाया है. 

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  • Trail Period Film Review: बिन पापा के मां का अस्तित्व क्यों नहीं?

    Trail Period Film Review: बिन पापा के मां का अस्तित्व क्यों नहीं?

    फिल्म एक एकल स्त्री की कहानी है. जिसका एक छोटा बच्चा है. बच्चा अपने पापा के बारे में पूछता रहता है. यह पूछना उसके पियर प्रेशर से भी ड्राइव होता है. सारे बच्चे पापा के बारे में बातें करते हैं और उसके पापा नहीं हैं. वो अपनी मां से ट्रायल पर पापा लाने के लिए कहता है. आइडिया मजाक वाला है लेकिन ठीक है. 

  • तलाक सेलिब्रेशन : रिश्ता बचाने से ज्यादा जरूरी है जिंदगी बचाना

    तलाक सेलिब्रेशन : रिश्ता बचाने से ज्यादा जरूरी है जिंदगी बचाना

    टूटना हर हाल में बुरा होता है. कोई भी रिश्ता नहीं टूटना चाहिए लेकिन रिश्ते के न टूटने की कीमत व्यक्ति का टूटना तो नहीं हो सकता. इसलिए जब रिश्तों के अंदर इंसान मरने लगे, जज्बात मरने लगें तो जरूरी है रिश्ते की दहलीजों से पार निकलना और खुद को बचाना. लेकिन अब भी यह समाज सड़े-गले रिश्तों के झूठे 'सेलिब्रेशन' पर निसार रहता है और टूटे, सड़े, बजबजाते रिश्ते से बाहर निकलने की हिम्मत देने के बारे में सोच भी नहीं पाता. ऐसे में अगर कोई स्त्री तलाक भी ले और तलाक के बाद उसे सेलिब्रेट भी करे तो कैसे न होगा समाज के पेट में दर्द. तमिल टीवी अभिनेत्री शालिनी ने तलाक के बाद एक फोटोशूट कराकर जिसमें वह तलाक को मुक्ति के तौर पर देख रही हैं और मुक्ति का जश्न मना रही है, समाज की सड़ी गली सोच को अंगूठा दिखाया है.