Poverty Index
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Explainer : 95% लोग गरीबी रेखा से ऊपर तो मुफ्त अनाज पाने वाले 81 करोड़ लोग कौन?
- Tuesday February 27, 2024
- Edited by: अंजलि कर्मकार
नीति आयोग के CEO के मुताबिक, अगर गरीबी रेखा को लें और इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) पर रख कर देखें, तो इस सबसे निचले वर्ग का औसत उपभोग पहले जितना ही बना हुआ है.
- ndtv.in
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देश में पिछले नौ साल में 24.82 करोड़ लोग ‘गरीबी’ से बाहर आये: रिपोर्ट
- Tuesday January 16, 2024
- Reported by: भाषा
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘सरकार का लक्ष्य बहुआयामी गरीबी को एक प्रतिशत से नीचे लाना है और इस दिशा में सभी प्रयास किए जा रहे हैं.’’
- ndtv.in
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वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ बहुआयामी गरीबी से हुए मुक्त
- Monday July 17, 2023
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: राजीव मिश्र
नीति आयोग ने अपने ताजा नेशनल मल्टीडाइमेंशियल पावर्टी इंडेक्स (National Multidimensional Poverty Index) रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए. एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में नीति आयोग के वाईस चेयरमैन सुमन बेरी ने कहा, गरीबी में गिरावट लगभग हर राज्य में दर्ज़ की गई है. देश में गरीबी घट रही है.
- ndtv.in
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नीति आयोग की रिपोर्ट : गरीबी में टॉप 5 राज्यों में चार बीजेपी शासित, उनमें भी शीर्ष पर उत्तर प्रदेश
- Saturday November 27, 2021
- Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
इस सूचकांक में सीपीएम शासित केरल में 0.71 प्रतिशत, बीजेपी शासित गोवा में 3.76 प्रतिशत, सिक्किम में 3.82 प्रतिशत, तमिलनाडु में 4.89 प्रतिशत और पंजाब में 5.59 प्रतिशत आबादी गरीब है. ये राज्य पूरे देश में सबसे कम गरीब जनता वाले राज्यों में शामिल हैं और सूचकांक में सबसे नीचे हैं.
- ndtv.in
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रिपोर्ट में खुलासा: भारत में 27 करोड़ लोग हुए गरीबी से बाहर, इन 4 राज्यों में सबसे ज्यादा गरीब
- Friday September 21, 2018
- आईएएनएस
वित्त वर्ष 2005-06 से 2015-16 के बीच के एक दशक में भारत में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल गए हैं, जो एक आशाजनक संकेत है कि गरीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जीती जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की '2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक' से यह जानकारी मिली है. 2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक (एमपीआई) रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.
- ndtv.in
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Explainer : 95% लोग गरीबी रेखा से ऊपर तो मुफ्त अनाज पाने वाले 81 करोड़ लोग कौन?
- Tuesday February 27, 2024
- Edited by: अंजलि कर्मकार
नीति आयोग के CEO के मुताबिक, अगर गरीबी रेखा को लें और इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) पर रख कर देखें, तो इस सबसे निचले वर्ग का औसत उपभोग पहले जितना ही बना हुआ है.
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देश में पिछले नौ साल में 24.82 करोड़ लोग ‘गरीबी’ से बाहर आये: रिपोर्ट
- Tuesday January 16, 2024
- Reported by: भाषा
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बी वी आर सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘सरकार का लक्ष्य बहुआयामी गरीबी को एक प्रतिशत से नीचे लाना है और इस दिशा में सभी प्रयास किए जा रहे हैं.’’
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वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ बहुआयामी गरीबी से हुए मुक्त
- Monday July 17, 2023
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: राजीव मिश्र
नीति आयोग ने अपने ताजा नेशनल मल्टीडाइमेंशियल पावर्टी इंडेक्स (National Multidimensional Poverty Index) रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच रिकॉर्ड 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए. एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में नीति आयोग के वाईस चेयरमैन सुमन बेरी ने कहा, गरीबी में गिरावट लगभग हर राज्य में दर्ज़ की गई है. देश में गरीबी घट रही है.
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नीति आयोग की रिपोर्ट : गरीबी में टॉप 5 राज्यों में चार बीजेपी शासित, उनमें भी शीर्ष पर उत्तर प्रदेश
- Saturday November 27, 2021
- Edited by: प्रमोद कुमार प्रवीण
इस सूचकांक में सीपीएम शासित केरल में 0.71 प्रतिशत, बीजेपी शासित गोवा में 3.76 प्रतिशत, सिक्किम में 3.82 प्रतिशत, तमिलनाडु में 4.89 प्रतिशत और पंजाब में 5.59 प्रतिशत आबादी गरीब है. ये राज्य पूरे देश में सबसे कम गरीब जनता वाले राज्यों में शामिल हैं और सूचकांक में सबसे नीचे हैं.
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रिपोर्ट में खुलासा: भारत में 27 करोड़ लोग हुए गरीबी से बाहर, इन 4 राज्यों में सबसे ज्यादा गरीब
- Friday September 21, 2018
- आईएएनएस
वित्त वर्ष 2005-06 से 2015-16 के बीच के एक दशक में भारत में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल गए हैं, जो एक आशाजनक संकेत है कि गरीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जीती जा सकती है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की '2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक' से यह जानकारी मिली है. 2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक (एमपीआई) रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.
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