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बैंकरों पर बैंकिंग के अलावा बाकी बोझ क्यों?
- Wednesday February 28, 2018
- रवीश कुमार
दक्षिण कोरिया की संसद ने एक कानून बनाया है जिसके बाद अब वहां के लोग एक सप्ताह में 68 घंटे की जगह 52 घंटे ही काम करेंगे. आप सोच रहे होंगे कि मैं दक्षिण कोरिया की बात क्यों बता रहा हूं. वो इसलिए बता रहा हूं कि भारत के सरकारी बैंकों में काम करने वाले 90 फीसदी लोग सुबह 10 बजे से लेकर रात के 9 बजे तक काम करते हैं. टारगेट और ट्रांसफर की तलवार से उनसे इतना काम कराया जाता है. इसमें आप शनिवार और रविवार के भी 20 घंटे जोड़ लेंगे तो यह दक्षिण कोरिया के पहले वाले 68 घंटे से भी 2 घंटा ज़्यादा है, यानी 70 घंटे काम करते हैं आपके सरकारी बैंकर.
- ndtv.in
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क्या बैंकों में दिखता है स्वच्छ भारत अभियान?
- Tuesday February 27, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
भले ही आप मुझे न देखें लेकिन टीवी कम देखिए. बहुत से लोग अब सोशल मीडिया पर उन चैनलों की करतूत को लेकर लतीफा बना रहे हैं. एक तो पहले श्रीदेवी की दुखद मौत हुई उसके बाद हर चैनल ने श्रीदेवी को अपने अपने हिसाब से मारा और उसे देखने वाले हर दर्शक ने लतीफा बनाकर अपने अपने हिसाब से मारा. आप समझ तो रहे ही होंगे कि टीवी के पास आपकी संवेदनशीलता ख़त्म करने की कितनी ताकत है. कोई पहला मौका तो नहीं है, इस तरह से न्यूज़ चैनल हज़ार बार कर चुके हैं और आगे भी करते रहेंगे. पर एक सवाल आप खुद से पूछिए क्या वाकई आपने तय कर लिया है कि ख़ुद और समाज को बर्बाद कर देना है.
- ndtv.in
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साल 2014-17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए : वित्त मंत्रालय
- Wednesday February 21, 2018
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले से एक बार फिर सामने आया कि हमारी बैंकिंग व्यवस्था में निगरानी के स्तर पर कितनी खामियां हैं. साढ़े ग्यारह हज़ार करोड़ का घोटाला इतने साल से चलता रहा, लेकिन किसी को ख़बर नहीं लगी. वैसे ऐसे घोटाले के कई मामले पकड़े भी जाते रहे हैं. संसद में वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए. नीरव मोदी-मेहुल चौकसी और विक्रम कोठारी के ज़रिये जो बैंकिंग घोटाले सामने आए हैं वो बस एक बड़ा नमूना है, क्योंकि देश के कई सरकारी बैंक फ्रॉड और भ्रष्टाचार से जूझ रहे हैं.
- ndtv.in
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हमारे लाखों बैंक कर्मियों की दुनिया का भयावह दस्तावेज
- Wednesday February 21, 2018
- रवीश कुमार
बैंक कर्मचारियों के सैंकड़ों मेसेज पढ़ गया. उनकी व्यथा तो वाकई भयानक है. क्या किसी को डर नहीं है कि दस लाख लोगों का यह जत्था उसे कितना राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकता है? कई दिनों से हज़ारों मेसेज पढ़ते हुए यही लगा कि बैंक के कर्मचारी और अधिकारी भयंकर मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. उनके भीतर घुटन सीमा पार कर गई है.
- ndtv.in
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प्राइम टाइम : हमारे बैंक कर्मचारियों का हाल क्या है?
- Wednesday February 21, 2018
- रवीश कुमार
जब नोटबंदी के लिए बैंक के कर्मचारी रात रात भर जाग रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि सरकारी बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेच दो. जब लाखों बैंक कर्मचारी अपने काम से अतिरिक्त समय निकाल कर जनधन के लाखों खाते खोल रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि ये नकारे हैं, बोझ हैं, इन बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेच दो. जब कई प्रकार की प्रधानमंत्री बीमा योजनाएं, मनरेगा से लेकर वृद्धा पेंशन के खातों में 200 से 1000 रुपये खाते में जमा किए जा रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि सरकार बैंक के कर्मचारी नकारे हैं, इन बैंकों को बेच दो.
- ndtv.in
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रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों पर कितनी गंभीरता ?
- Tuesday February 20, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
हमें बताया गया कि 11,400 करोड़ का चूना लगाने वाले नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को लेकर जांच एजेंसियां गंभीर हैं, मगर वो इतनी गंभीर कैसी हैं कि मेहुल चौकसी की अभी तक कोई खबर नहीं आई है और नीरव मोदी बकायदा बैंक को पत्र लिख रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक के जिन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है क्या उन्हें भी पत्र लिखने की छूट है. वैसे इसमें नीरव मोदी की कोई ग़लती नहीं है. नीरव जैसे लोगों को पता है कि मीडिया की हेडलाइन जल्दी बदलने वाली है, महीनों वर्षों लग जाएंगे ये जांच वो जांच में और अंत में कुछ होगा नहीं. इसलिए वे आपको लव लेटर लिख रहे हैं.
- ndtv.in
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राहुल का पीएम मोदी पर तंज : दो घंटों तक बच्चों को परीक्षा पास करने के तरीके बताए, PNB घोटाले पर 2 मिनट भी नहीं बोले
- Sunday February 18, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
पीएनबी घोटाला मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर कांग्रेस लगातार हमला बोल रही है. पीएनबी मामले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी से जुड़े घोटाले की अनदेखी करने का आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार हमलावर हैं. रविवार को भी उन्होंने ट्वीट कर पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा.
- ndtv.in
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प्राइम टाइम : सरकार की नाक के नीचे घोटाला कैसे हुआ ?
- Thursday February 15, 2018
- रवीश कुमार
किसी एक बैंक से, उस बैंक की एक शाखा से, उस शाखा से किसी एक आदमी को, उस आदमी की तीन कंपनियों को 11,300 करोड़ का लेटर ऑफ इंटेंट मिल जाए, चार पांच साल बाद फ्रॉड हो जाने के बाद बैंक को ही पता चलता है 11,300 करोड़ का फ्रॉड हुआ है ऐसा चमत्कार जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्त ऐक देशांतर्गते में ही हो सकता है. बैंकिंग की दुनिया में कुछ नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है. यहां के लाखों कर्मचारी से पूछिए जो अपनी सैलरी के बढ़ने का इंतज़ार कर रहे हैं, जो घंटों घंटों काम कर रहे हैं, मगर डर के कारण बोल नहीं पा रहे हैं. उनकी सैलरी बढ़ नहीं पा रही है, काम के बोझ से बीमारी बढ़ती जा रही है. वे एक ऐसा टापू पर बैठे हैं जहां हर कोई डरा हुआ है. इन सब चरमराती व्यवस्था के बीच आखिर वो लोग कहां से यह हौसला लाते हैं जो बैंकों से मिलकर 11,300 करोड़ का गबन कर जाते हैं. यही नहीं वो गुनाह करने के बाद भी प्रधानमंत्री के पीछे जाकर खड़े हो जाते हैं. तो डर डकैती और डावोस नाम की इस फिल्म की कहानी का प्लॉट अभी पूरी तरह साफ नहीं हुआ है. कहानी खुल रही है, इसलिए आरोप और कथित रूप से ही किरदारों का नाम लिया जाएगा.
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बैंकरों पर बैंकिंग के अलावा बाकी बोझ क्यों?
- Wednesday February 28, 2018
- रवीश कुमार
दक्षिण कोरिया की संसद ने एक कानून बनाया है जिसके बाद अब वहां के लोग एक सप्ताह में 68 घंटे की जगह 52 घंटे ही काम करेंगे. आप सोच रहे होंगे कि मैं दक्षिण कोरिया की बात क्यों बता रहा हूं. वो इसलिए बता रहा हूं कि भारत के सरकारी बैंकों में काम करने वाले 90 फीसदी लोग सुबह 10 बजे से लेकर रात के 9 बजे तक काम करते हैं. टारगेट और ट्रांसफर की तलवार से उनसे इतना काम कराया जाता है. इसमें आप शनिवार और रविवार के भी 20 घंटे जोड़ लेंगे तो यह दक्षिण कोरिया के पहले वाले 68 घंटे से भी 2 घंटा ज़्यादा है, यानी 70 घंटे काम करते हैं आपके सरकारी बैंकर.
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क्या बैंकों में दिखता है स्वच्छ भारत अभियान?
- Tuesday February 27, 2018
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भले ही आप मुझे न देखें लेकिन टीवी कम देखिए. बहुत से लोग अब सोशल मीडिया पर उन चैनलों की करतूत को लेकर लतीफा बना रहे हैं. एक तो पहले श्रीदेवी की दुखद मौत हुई उसके बाद हर चैनल ने श्रीदेवी को अपने अपने हिसाब से मारा और उसे देखने वाले हर दर्शक ने लतीफा बनाकर अपने अपने हिसाब से मारा. आप समझ तो रहे ही होंगे कि टीवी के पास आपकी संवेदनशीलता ख़त्म करने की कितनी ताकत है. कोई पहला मौका तो नहीं है, इस तरह से न्यूज़ चैनल हज़ार बार कर चुके हैं और आगे भी करते रहेंगे. पर एक सवाल आप खुद से पूछिए क्या वाकई आपने तय कर लिया है कि ख़ुद और समाज को बर्बाद कर देना है.
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साल 2014-17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए : वित्त मंत्रालय
- Wednesday February 21, 2018
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले से एक बार फिर सामने आया कि हमारी बैंकिंग व्यवस्था में निगरानी के स्तर पर कितनी खामियां हैं. साढ़े ग्यारह हज़ार करोड़ का घोटाला इतने साल से चलता रहा, लेकिन किसी को ख़बर नहीं लगी. वैसे ऐसे घोटाले के कई मामले पकड़े भी जाते रहे हैं. संसद में वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 17 के बीच सरकारी बैंकों में फ्रॅाड के 8622 मामले पकड़े गए. नीरव मोदी-मेहुल चौकसी और विक्रम कोठारी के ज़रिये जो बैंकिंग घोटाले सामने आए हैं वो बस एक बड़ा नमूना है, क्योंकि देश के कई सरकारी बैंक फ्रॉड और भ्रष्टाचार से जूझ रहे हैं.
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हमारे लाखों बैंक कर्मियों की दुनिया का भयावह दस्तावेज
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- रवीश कुमार
बैंक कर्मचारियों के सैंकड़ों मेसेज पढ़ गया. उनकी व्यथा तो वाकई भयानक है. क्या किसी को डर नहीं है कि दस लाख लोगों का यह जत्था उसे कितना राजनीतिक नुकसान पहुंचा सकता है? कई दिनों से हज़ारों मेसेज पढ़ते हुए यही लगा कि बैंक के कर्मचारी और अधिकारी भयंकर मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं. उनके भीतर घुटन सीमा पार कर गई है.
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प्राइम टाइम : हमारे बैंक कर्मचारियों का हाल क्या है?
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- रवीश कुमार
जब नोटबंदी के लिए बैंक के कर्मचारी रात रात भर जाग रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि सरकारी बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेच दो. जब लाखों बैंक कर्मचारी अपने काम से अतिरिक्त समय निकाल कर जनधन के लाखों खाते खोल रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि ये नकारे हैं, बोझ हैं, इन बैंकों को प्राइवेट हाथों में बेच दो. जब कई प्रकार की प्रधानमंत्री बीमा योजनाएं, मनरेगा से लेकर वृद्धा पेंशन के खातों में 200 से 1000 रुपये खाते में जमा किए जा रहे थे तब किसी ने नहीं कहा कि सरकार बैंक के कर्मचारी नकारे हैं, इन बैंकों को बेच दो.
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रिज़र्व बैंक के दिशा-निर्देशों पर कितनी गंभीरता ?
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हमें बताया गया कि 11,400 करोड़ का चूना लगाने वाले नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को लेकर जांच एजेंसियां गंभीर हैं, मगर वो इतनी गंभीर कैसी हैं कि मेहुल चौकसी की अभी तक कोई खबर नहीं आई है और नीरव मोदी बकायदा बैंक को पत्र लिख रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक के जिन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है क्या उन्हें भी पत्र लिखने की छूट है. वैसे इसमें नीरव मोदी की कोई ग़लती नहीं है. नीरव जैसे लोगों को पता है कि मीडिया की हेडलाइन जल्दी बदलने वाली है, महीनों वर्षों लग जाएंगे ये जांच वो जांच में और अंत में कुछ होगा नहीं. इसलिए वे आपको लव लेटर लिख रहे हैं.
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राहुल का पीएम मोदी पर तंज : दो घंटों तक बच्चों को परीक्षा पास करने के तरीके बताए, PNB घोटाले पर 2 मिनट भी नहीं बोले
- Sunday February 18, 2018
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पीएनबी घोटाला मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर कांग्रेस लगातार हमला बोल रही है. पीएनबी मामले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी से जुड़े घोटाले की अनदेखी करने का आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार हमलावर हैं. रविवार को भी उन्होंने ट्वीट कर पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा.
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प्राइम टाइम : सरकार की नाक के नीचे घोटाला कैसे हुआ ?
- Thursday February 15, 2018
- रवीश कुमार
किसी एक बैंक से, उस बैंक की एक शाखा से, उस शाखा से किसी एक आदमी को, उस आदमी की तीन कंपनियों को 11,300 करोड़ का लेटर ऑफ इंटेंट मिल जाए, चार पांच साल बाद फ्रॉड हो जाने के बाद बैंक को ही पता चलता है 11,300 करोड़ का फ्रॉड हुआ है ऐसा चमत्कार जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्त ऐक देशांतर्गते में ही हो सकता है. बैंकिंग की दुनिया में कुछ नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है. यहां के लाखों कर्मचारी से पूछिए जो अपनी सैलरी के बढ़ने का इंतज़ार कर रहे हैं, जो घंटों घंटों काम कर रहे हैं, मगर डर के कारण बोल नहीं पा रहे हैं. उनकी सैलरी बढ़ नहीं पा रही है, काम के बोझ से बीमारी बढ़ती जा रही है. वे एक ऐसा टापू पर बैठे हैं जहां हर कोई डरा हुआ है. इन सब चरमराती व्यवस्था के बीच आखिर वो लोग कहां से यह हौसला लाते हैं जो बैंकों से मिलकर 11,300 करोड़ का गबन कर जाते हैं. यही नहीं वो गुनाह करने के बाद भी प्रधानमंत्री के पीछे जाकर खड़े हो जाते हैं. तो डर डकैती और डावोस नाम की इस फिल्म की कहानी का प्लॉट अभी पूरी तरह साफ नहीं हुआ है. कहानी खुल रही है, इसलिए आरोप और कथित रूप से ही किरदारों का नाम लिया जाएगा.
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