New Novel Of Krishna Sobti
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जाने का दर्द है कृष्णा सोबती का नया उपन्यास
- Friday May 12, 2017
बंटवारे के दौरान अपने जन्म स्थान गुजरात और लाहौर को छोड़ते हुए कृष्णा सोबती कहती हैं, ‘याद रखना, हम यहां रह गए हैं.’ ये याद रखना ही रूलाने के लिए काफी है. इसी अंतिम विदाई के साथ कृष्णा सोबती किस प्रकार दिल्ली पहुंचती हैं और कैसे हिंदुस्तान का गुजरात उन्हें आवाज देता है और वे पाकिस्तान के गुजरात की अपनी स्मृतियों की पोटली बांधकर पहली नौकरी के लिए सिरोही पहुंचती हैं...इसी सब की दास्तां है राजकमल द्वारा प्रकाशित उनका नया उपन्यास.
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जाने का दर्द है कृष्णा सोबती का नया उपन्यास
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बंटवारे के दौरान अपने जन्म स्थान गुजरात और लाहौर को छोड़ते हुए कृष्णा सोबती कहती हैं, ‘याद रखना, हम यहां रह गए हैं.’ ये याद रखना ही रूलाने के लिए काफी है. इसी अंतिम विदाई के साथ कृष्णा सोबती किस प्रकार दिल्ली पहुंचती हैं और कैसे हिंदुस्तान का गुजरात उन्हें आवाज देता है और वे पाकिस्तान के गुजरात की अपनी स्मृतियों की पोटली बांधकर पहली नौकरी के लिए सिरोही पहुंचती हैं...इसी सब की दास्तां है राजकमल द्वारा प्रकाशित उनका नया उपन्यास.
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