Moinul Haque
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मनीष में मोइनुल, मोइनुल में मनीष; क्या दिखता है आपको?
- Wednesday September 29, 2021
- रवीश कुमार
सूचनाओं की रफ़्तार इतनी तेज़ हो चुकी है कि किसी मुद्दे पर बात करना और बात नहीं करना दोनों ही बराबर हो चुका है. एक बदलाव और हुआ है. राज्य की सत्ता की तरफ से और उसकी ख़ुशामद में ऐसी सूचनाएं पैदा की जा रही हैं जो दरअसल सूचनाएं हैं ही नहीं. जिनका काम ज़रूरी मुद्दों से जुड़ी सूचनाओं पर पर्दा डालना है. ठीक उसी तरह से जब ट्रंप अहमदाबाद आए तो सड़क किनारे की बस्ती की ग़रीबी न दिख जाए इसके लिए दीवार बना दी गई. उस दीवार को रंग दिया गया. यही काम न्यूज़ चैनल और अख़बार करते हैं. आपकी गरीबी बेकारी, स्वास्थ्य पर बात न करके, फालतू टाइप के विषय की दीवार खड़ी कर देते हैं और आपको ट्रंप की तरह सूचनाओं के नए और झूठे एक्सप्रेस वे से गुज़ारते हुए सीधे झूठ के स्टेडियम में ले जाते हैं. समाचार जगत के संपर्क में आएं तो समाचार के लिए नहीं आएं. समाचार तो बंद हो चुका है. प्रोपेगैंडा का खेल अगर नहीं समझेंगे तो जल्दी ही दो सौ रुपए लीटर पेट्रोल ख़रीदेंगे और बोल नहीं पाएंगे.
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ndtv.in
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सूचनाओं की रफ़्तार इतनी तेज़ हो चुकी है कि किसी मुद्दे पर बात करना और बात नहीं करना दोनों ही बराबर हो चुका है. एक बदलाव और हुआ है. राज्य की सत्ता की तरफ से और उसकी ख़ुशामद में ऐसी सूचनाएं पैदा की जा रही हैं जो दरअसल सूचनाएं हैं ही नहीं. जिनका काम ज़रूरी मुद्दों से जुड़ी सूचनाओं पर पर्दा डालना है. ठीक उसी तरह से जब ट्रंप अहमदाबाद आए तो सड़क किनारे की बस्ती की ग़रीबी न दिख जाए इसके लिए दीवार बना दी गई. उस दीवार को रंग दिया गया. यही काम न्यूज़ चैनल और अख़बार करते हैं. आपकी गरीबी बेकारी, स्वास्थ्य पर बात न करके, फालतू टाइप के विषय की दीवार खड़ी कर देते हैं और आपको ट्रंप की तरह सूचनाओं के नए और झूठे एक्सप्रेस वे से गुज़ारते हुए सीधे झूठ के स्टेडियम में ले जाते हैं. समाचार जगत के संपर्क में आएं तो समाचार के लिए नहीं आएं. समाचार तो बंद हो चुका है. प्रोपेगैंडा का खेल अगर नहीं समझेंगे तो जल्दी ही दो सौ रुपए लीटर पेट्रोल ख़रीदेंगे और बोल नहीं पाएंगे.
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