Manas Mukherjee
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कभी न भूलने वाला संगीत और भूले-बिसरे संगीतकार
- Saturday December 14, 2024
- माधवी मिश्र
अफ़सोस! ज़माना इन सभी को इनके बाद ढूंढता रहा है, लेकिन जो कुछ भी ये सभी गुणी लोग रच गए हैं, वह जीवन, समय और काल से परे है, अनमोल है, अमिट है. सदियों से ये गीत हमारे दिलों पर राज करते आए हैं और जैसा मैं हमेशा कहती हूं - जब तक मेरे और आपके जैसे रसिक श्रोता हैं, इन गीतों की मधुर ध्वनियां प्रतिध्वनित होती रहेंगी.
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अंतिम सफर पर निकले प्रणब दा, हमेशा याद आएगी उनकी एक तस्वीर
- Tuesday September 1, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
भारत रत्न, पूर्व राष्ट्रपति और कई बार देश के वित्त मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. थोड़ी देर पहले ही उनके पार्थिव शरीर को लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर पहुंचा गया है. प्रणब दा जब अंतिम सफर हैं तो उनकी एक तस्वीर हमेशा याद आएगी जिसमें वह बजट पेश करने से पहले हमेशा अपनी टीम के साथ एक फोटो खिंचाते हैं. देश की एक पूरी पीढ़ी ने देखा है. कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले मुखर्जी ने कई प्रधानमंत्रियों का साथ काम किया है. उनके बारे में कहा जाता है कि प्रणब मुखर्जी एक ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जो भारत को कभी नहीं मिले. कहा जाता है कि उनके मन में हमेशा एक टीस रही कि वह देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. वह देश के 13वें राष्ट्रपति बने. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खास लोगों में से एक रहे कांग्रेस की सरकारों में कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं, जिनमें वित्त मंत्रालय सहित कई अहम पद शामिल हैं. उनका संसदीय करियर करीब पांच दशक पुराना था.
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प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने उस दिन क्यों कहा था- जिसका डर था, वही हुआ
- Tuesday September 1, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
साल 2018 में जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा लिया तो कांग्रेस में हलचल मच गई. कई नेताओं जैसे पी. चिदंबरम, केके तिवारी, सलमान खुर्शीद ने प्रणब मुखर्जी से वहां न जाने की अपील की. वैचारिक रूप से एकदम अलग आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी जी जैसे कांग्रेसी नेता का जाना अपने आप में एक अद्भुत घटना थी. अब सबकी नजरें इस बात पर थीं कि प्रणब मुखर्जी वहां आरएसएस के कार्यक्रम में वहां क्या बोलेंगे. प्रणब मुखर्जी ने नागपुर जाकर आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को भारत का मां बेटा बताया. उनके इस बयान पर आलोचना भी हुई. अपने भाषण में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्र की आत्मा बहुलवाद और पंथनिरपेक्षवाद में बसती है. प्रणब मुखर्जी ने प्रतिस्पर्धी हितों में संतुलन बनाने के लिए बातचीत का मार्ग अपनाने की जरूरत बताई. उन्होंने साफतौर पर कहा कि घृणा से राष्ट्रवाद कमजोर होता है और असहिष्णुता से राष्ट्र की पहचान क्षीण पड़ जाएगी.
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नेहरू-मनमोहन को हर बात पर दोष देने वालों को प्रणब मुखर्जी ने बीते साल दी थी तगड़ी नसीहत
- Tuesday September 1, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
बीजेपी नेता अक्सर हर बात पर पिछली कांग्रेस की सरकारों को दोष देते रहते हैं. लेकिन बीते साल ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी ने तगड़ी नसीहत दी थी. उन्होंने कहा कि जो लोग कांग्रेस के 55 सालों के शासनकाल की हमेशा आलोचना करते रहे हैं वो यह भूल जाते हैं कि आजादी के समय देश कहां था और अब कितना आगे जा चुका है. हालांकि डॉ. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इसमें कांग्रेस के अलावा अन्य लोगों का भी योगदान था. लेकिन आधुनिक भारत की नींव हमारे उन संस्थापकों ने रखी थी, जिन्हें योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में मज़बूती से भरोसा था, जबकि आज ऐसा नहीं है,
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वो कौन सी बात थी जिससे सोनिया गांधी नाराज हो गई थीं प्रणब मुखर्जी से
- Tuesday September 1, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देना का सिलसिला जारी है. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से कई तरह के प्रतिबंध लागू हैं. आज ही प्रणब मुखर्जी को पंचतत्व में विलीन कर दिया जाएगा. देश में 7 दिन के राष्ट्रीय शोक का भी ऐलान किया गया है. कांग्रेस के संकटमोचक रहे प्रणब मुखर्जी बीच-बीच में पार्टी को झटका देते भी रहते थे. पार्टी नेताओं के विरोध के बावजूद भी वह नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंच गए. राजीव गांधी से उनके मतभेद भी हुए थे. हालांकि कई विरोधाभाषों के बाद भी कांग्रेस में उनकी हैसियत कम नहीं हुई. एक बार लोकसभा में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि वह सोचते हैं कि अगर प्रणब दा नहीं होते तो यूपीए सरकार का क्या होता. प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरियां भी लिखते थे और उन्होंने कहा था कि इन डायरियों को उनके न रहने पर ही प्रकाशित की जाएं.
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जब एलके आडवाणी की मांग पर प्रणब मुखर्जी ने कालेधन पर संसद में किया था बड़ा ऐलान
- Tuesday September 1, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
पूर्व राष्ट्रपति और 7 बार भारत के वित्त मंत्री रहे डॉ. प्रणब मुखर्जी का सोमवार की शाम को निधन हो गया है. 84 साल के डॉ. मुखर्जी भारतीय राजनीति में कांग्रेस के करिश्माई चाणक्य कहे जाते थे. वह काफी समय बीमार थे और उनका दिल्ली के आर्मी अस्पताल में इलाज चल रहा था. प्रणब मुखर्जी का ज्यादातर समय सत्ता पक्ष में बीता है और उनको कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता था. विदेश नीति से लेकर वित्त मंत्रालय तक उनकी गहरी पैठ थी.
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कभी न भूलने वाला संगीत और भूले-बिसरे संगीतकार
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अफ़सोस! ज़माना इन सभी को इनके बाद ढूंढता रहा है, लेकिन जो कुछ भी ये सभी गुणी लोग रच गए हैं, वह जीवन, समय और काल से परे है, अनमोल है, अमिट है. सदियों से ये गीत हमारे दिलों पर राज करते आए हैं और जैसा मैं हमेशा कहती हूं - जब तक मेरे और आपके जैसे रसिक श्रोता हैं, इन गीतों की मधुर ध्वनियां प्रतिध्वनित होती रहेंगी.
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अंतिम सफर पर निकले प्रणब दा, हमेशा याद आएगी उनकी एक तस्वीर
- Tuesday September 1, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
भारत रत्न, पूर्व राष्ट्रपति और कई बार देश के वित्त मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. थोड़ी देर पहले ही उनके पार्थिव शरीर को लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर पहुंचा गया है. प्रणब दा जब अंतिम सफर हैं तो उनकी एक तस्वीर हमेशा याद आएगी जिसमें वह बजट पेश करने से पहले हमेशा अपनी टीम के साथ एक फोटो खिंचाते हैं. देश की एक पूरी पीढ़ी ने देखा है. कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले मुखर्जी ने कई प्रधानमंत्रियों का साथ काम किया है. उनके बारे में कहा जाता है कि प्रणब मुखर्जी एक ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जो भारत को कभी नहीं मिले. कहा जाता है कि उनके मन में हमेशा एक टीस रही कि वह देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. वह देश के 13वें राष्ट्रपति बने. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खास लोगों में से एक रहे कांग्रेस की सरकारों में कई अहम जिम्मेदारियां संभाली हैं, जिनमें वित्त मंत्रालय सहित कई अहम पद शामिल हैं. उनका संसदीय करियर करीब पांच दशक पुराना था.
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प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने उस दिन क्यों कहा था- जिसका डर था, वही हुआ
- Tuesday September 1, 2020
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साल 2018 में जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा लिया तो कांग्रेस में हलचल मच गई. कई नेताओं जैसे पी. चिदंबरम, केके तिवारी, सलमान खुर्शीद ने प्रणब मुखर्जी से वहां न जाने की अपील की. वैचारिक रूप से एकदम अलग आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी जी जैसे कांग्रेसी नेता का जाना अपने आप में एक अद्भुत घटना थी. अब सबकी नजरें इस बात पर थीं कि प्रणब मुखर्जी वहां आरएसएस के कार्यक्रम में वहां क्या बोलेंगे. प्रणब मुखर्जी ने नागपुर जाकर आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार को भारत का मां बेटा बताया. उनके इस बयान पर आलोचना भी हुई. अपने भाषण में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्र की आत्मा बहुलवाद और पंथनिरपेक्षवाद में बसती है. प्रणब मुखर्जी ने प्रतिस्पर्धी हितों में संतुलन बनाने के लिए बातचीत का मार्ग अपनाने की जरूरत बताई. उन्होंने साफतौर पर कहा कि घृणा से राष्ट्रवाद कमजोर होता है और असहिष्णुता से राष्ट्र की पहचान क्षीण पड़ जाएगी.
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नेहरू-मनमोहन को हर बात पर दोष देने वालों को प्रणब मुखर्जी ने बीते साल दी थी तगड़ी नसीहत
- Tuesday September 1, 2020
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बीजेपी नेता अक्सर हर बात पर पिछली कांग्रेस की सरकारों को दोष देते रहते हैं. लेकिन बीते साल ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी ने तगड़ी नसीहत दी थी. उन्होंने कहा कि जो लोग कांग्रेस के 55 सालों के शासनकाल की हमेशा आलोचना करते रहे हैं वो यह भूल जाते हैं कि आजादी के समय देश कहां था और अब कितना आगे जा चुका है. हालांकि डॉ. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इसमें कांग्रेस के अलावा अन्य लोगों का भी योगदान था. लेकिन आधुनिक भारत की नींव हमारे उन संस्थापकों ने रखी थी, जिन्हें योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में मज़बूती से भरोसा था, जबकि आज ऐसा नहीं है,
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वो कौन सी बात थी जिससे सोनिया गांधी नाराज हो गई थीं प्रणब मुखर्जी से
- Tuesday September 1, 2020
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पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देना का सिलसिला जारी है. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से कई तरह के प्रतिबंध लागू हैं. आज ही प्रणब मुखर्जी को पंचतत्व में विलीन कर दिया जाएगा. देश में 7 दिन के राष्ट्रीय शोक का भी ऐलान किया गया है. कांग्रेस के संकटमोचक रहे प्रणब मुखर्जी बीच-बीच में पार्टी को झटका देते भी रहते थे. पार्टी नेताओं के विरोध के बावजूद भी वह नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंच गए. राजीव गांधी से उनके मतभेद भी हुए थे. हालांकि कई विरोधाभाषों के बाद भी कांग्रेस में उनकी हैसियत कम नहीं हुई. एक बार लोकसभा में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि वह सोचते हैं कि अगर प्रणब दा नहीं होते तो यूपीए सरकार का क्या होता. प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरियां भी लिखते थे और उन्होंने कहा था कि इन डायरियों को उनके न रहने पर ही प्रकाशित की जाएं.
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जब एलके आडवाणी की मांग पर प्रणब मुखर्जी ने कालेधन पर संसद में किया था बड़ा ऐलान
- Tuesday September 1, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
पूर्व राष्ट्रपति और 7 बार भारत के वित्त मंत्री रहे डॉ. प्रणब मुखर्जी का सोमवार की शाम को निधन हो गया है. 84 साल के डॉ. मुखर्जी भारतीय राजनीति में कांग्रेस के करिश्माई चाणक्य कहे जाते थे. वह काफी समय बीमार थे और उनका दिल्ली के आर्मी अस्पताल में इलाज चल रहा था. प्रणब मुखर्जी का ज्यादातर समय सत्ता पक्ष में बीता है और उनको कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता था. विदेश नीति से लेकर वित्त मंत्रालय तक उनकी गहरी पैठ थी.
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