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पूरब के लेनिनग्राद में अमित शाह देंगे कार्यकर्ताओं को मंत्र, तेजस्वी यादव का भी है कार्यक्रम
- Thursday September 18, 2025
- Reported by: प्रभाकर कुमार, Edited by: Sachin Jha Shekhar
पूरब का लेनिनग्राद बेगूसराय में अमित शाह का दौरा कई मायने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह चुनावी वर्ष है और भाजपा अपनी चुनावी रणनीति को मजबूत करने में जुटी हुई है.
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बेगूसराय में वामपंथ का गढ़ कैसे हुआ कमजोर? 'पूरब के लेनिनग्राद' से कम्युनिस्टों के पतन की कहानी
- Sunday September 14, 2025
- Reported by: Santosh Prasad, Edited by: श्वेता गुप्ता
बेगूसराय में कन्हैया कुमार जैसे उभरते नेता की करारी हार ने यह बता दिया की अब कम्युनिस्ट सिर्फ नाम ही रह गया है. कम्युनिस्टों का यह हाल क्यों हुआ, इसकी कई वजह बताई जाती हैं.
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ndtv.in
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Bihar Election 2020: पूरब के 'लेनिनग्राद' में बदलते समीकरणों के बीच अब 'साख' दांव पर
- Tuesday October 13, 2020
- Written by: मानस मिश्रा
लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की बेगूसराय सीट पर पूरे देश की नजरें थीं. यहां से बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और अपने बयानों के लिए मशहूर गिरिराज सिंह का मुकाबला वामपंथी राजनीति के इस समय पोस्टर ब्बॉय और सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार से था. लेकिन बाजी आखिरकार गिरिराज सिंह के ही हाथ लगी और कन्हैया कुमार को हार का सामना करना पड़ा. यह सीट अपने आप में कई ऐतिहासिक और राजनीतिक नामकरणों को लिए भी मशहूर है. बेगूसराय को पूरब का लेनिनग्राद भी कहा जाता है. 2019 के चुनाव से पहले ही कन्हैया के भाषण सोशल मीडिया पर खूब देखे जा रहे थे. बिहार की राजनीति में एक युवा नेता का उभार एक समय तो तेजस्वी यादव के लिए भी बड़ा खतरा बनते देखा गया. कहा तो यह भी जाता है कि कन्हैया कुमार को हराने के लिए ही आरजेडी ने तनवीर हसन को लोकसभा चुनाव में उतार दिया था. हालांकि आरजेडी का कहना था साल 2014 में तनवीर हसन सिर्फ 60 हजार वोटों से हारे थे इसलिए कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिए उनको चुनाव में उतारा गया है. फिलहाल इस सच्चाई से नकारा नहीं जा सकता है कि इसका फायदा गिरिराज सिंह को ही मिला था.
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Lok Sabha Election 2019: बेगूसराय सीट पर मंझधार में फंसी कन्हैया की 'नैया', बीजेपी ने बिछाई ये बिसात
- Tuesday March 19, 2019
- प्रभात उपाध्याय
अपनी सीट बदलने को लेकर गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने भले ही नाराजगी जताई हो, लेकिन बीजेपी खास रणनीति के तहत ही उन्हें किसी अन्य सीट की जगह बेगूसराय से चुनाव लड़वाना चाहती है.
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पूरब के लेनिनग्राद में अमित शाह देंगे कार्यकर्ताओं को मंत्र, तेजस्वी यादव का भी है कार्यक्रम
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- Reported by: प्रभाकर कुमार, Edited by: Sachin Jha Shekhar
पूरब का लेनिनग्राद बेगूसराय में अमित शाह का दौरा कई मायने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह चुनावी वर्ष है और भाजपा अपनी चुनावी रणनीति को मजबूत करने में जुटी हुई है.
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बेगूसराय में कन्हैया कुमार जैसे उभरते नेता की करारी हार ने यह बता दिया की अब कम्युनिस्ट सिर्फ नाम ही रह गया है. कम्युनिस्टों का यह हाल क्यों हुआ, इसकी कई वजह बताई जाती हैं.
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- Written by: मानस मिश्रा
लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की बेगूसराय सीट पर पूरे देश की नजरें थीं. यहां से बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और अपने बयानों के लिए मशहूर गिरिराज सिंह का मुकाबला वामपंथी राजनीति के इस समय पोस्टर ब्बॉय और सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार से था. लेकिन बाजी आखिरकार गिरिराज सिंह के ही हाथ लगी और कन्हैया कुमार को हार का सामना करना पड़ा. यह सीट अपने आप में कई ऐतिहासिक और राजनीतिक नामकरणों को लिए भी मशहूर है. बेगूसराय को पूरब का लेनिनग्राद भी कहा जाता है. 2019 के चुनाव से पहले ही कन्हैया के भाषण सोशल मीडिया पर खूब देखे जा रहे थे. बिहार की राजनीति में एक युवा नेता का उभार एक समय तो तेजस्वी यादव के लिए भी बड़ा खतरा बनते देखा गया. कहा तो यह भी जाता है कि कन्हैया कुमार को हराने के लिए ही आरजेडी ने तनवीर हसन को लोकसभा चुनाव में उतार दिया था. हालांकि आरजेडी का कहना था साल 2014 में तनवीर हसन सिर्फ 60 हजार वोटों से हारे थे इसलिए कार्यकर्ताओं के मनोबल के लिए उनको चुनाव में उतारा गया है. फिलहाल इस सच्चाई से नकारा नहीं जा सकता है कि इसका फायदा गिरिराज सिंह को ही मिला था.
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अपनी सीट बदलने को लेकर गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने भले ही नाराजगी जताई हो, लेकिन बीजेपी खास रणनीति के तहत ही उन्हें किसी अन्य सीट की जगह बेगूसराय से चुनाव लड़वाना चाहती है.
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