क्या सरकार काले धन और भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में उस शर्मिंदगी से बच सकती थी जो उसे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस के बाद वोटिंग के वक्त झेलनी पड़ी?
क्या सरकार काले धन और भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में उस शर्मिंदगी से बच सकती थी जो उसे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई बहस के बाद वोटिंग के वक्त झेलनी पड़ी?