Economic Failure
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कोरोना की तरह ही आंकड़ों की बाजीगरी में खोईं आर्थिक चिंताएं
- Friday August 7, 2020
- रवीश कुमार
अर्थ तंत्र ने मुक्त मन संसार को कुछ ज़्यादा ही अधिग्रहीत कर लिया था. शिक्षा, फ़ीस और परीक्षा जैसे सवाल उचित ही जर्जर होकर ख़त्म हो गए. इनका कुछ होता तो नहीं है, अनावश्यक एक की चिंता दूसरे तक फैल जाती है. रोज़गार कारोबार तो वैसे ही बनते-बिगड़ते रहे हैं. अब इन सबका कवरेज बंद होना चाहिए. पत्रकारिता को इन प्रश्नों से दूरी बनाने की ज़रूरी है.
- ndtv.in
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घोर आर्थिक असफलता के बाद भी मोदी सरकार की राजनीतिक सफलता शानदार
- Tuesday October 8, 2019
- रवीश कुमार
भारतीय खाद्य निगम के चरमराने की ख़बरें आने लगी हैं. इसी के ज़रिए भारत सरकार किसानों से अनाज ख़रीदती है. सरकार उसके बदले में निगम को पैसे देती है जिसे हम सब्सिडी बिल के रूप में जानते हैं. 2016 तक तो भारतीय खाद्य निगम को सब्सिडी सरप्लस में मिलती थी. जितना चाहिए होता था उससे अधिक. लेकिन 2016-17 में जब उसे चाहिए था एक लाख 10 हज़ार करोड़ तो मिला 78000 करोड़. बाकी का 32,000 करोड़ नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (NSSF) से कर्ज़ लिया. जिस तरह से भारत सरकार रिज़र्व बैंक की बचत से पैसे लेने लगी है उसी तरह से निगम यह काम पहले से कर रहा था. जैसे-जैसे ज़रुरत पड़ी NSSF कर्ज़ लेने लगा. नतीजा 2016-17 का वित्त वर्ष समाप्त होते ही NSSF से लिया गया कर्ज़ा 70,000 करोड़ का हो गया.
- ndtv.in
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कोरोना की तरह ही आंकड़ों की बाजीगरी में खोईं आर्थिक चिंताएं
- Friday August 7, 2020
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अर्थ तंत्र ने मुक्त मन संसार को कुछ ज़्यादा ही अधिग्रहीत कर लिया था. शिक्षा, फ़ीस और परीक्षा जैसे सवाल उचित ही जर्जर होकर ख़त्म हो गए. इनका कुछ होता तो नहीं है, अनावश्यक एक की चिंता दूसरे तक फैल जाती है. रोज़गार कारोबार तो वैसे ही बनते-बिगड़ते रहे हैं. अब इन सबका कवरेज बंद होना चाहिए. पत्रकारिता को इन प्रश्नों से दूरी बनाने की ज़रूरी है.
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घोर आर्थिक असफलता के बाद भी मोदी सरकार की राजनीतिक सफलता शानदार
- Tuesday October 8, 2019
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भारतीय खाद्य निगम के चरमराने की ख़बरें आने लगी हैं. इसी के ज़रिए भारत सरकार किसानों से अनाज ख़रीदती है. सरकार उसके बदले में निगम को पैसे देती है जिसे हम सब्सिडी बिल के रूप में जानते हैं. 2016 तक तो भारतीय खाद्य निगम को सब्सिडी सरप्लस में मिलती थी. जितना चाहिए होता था उससे अधिक. लेकिन 2016-17 में जब उसे चाहिए था एक लाख 10 हज़ार करोड़ तो मिला 78000 करोड़. बाकी का 32,000 करोड़ नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड (NSSF) से कर्ज़ लिया. जिस तरह से भारत सरकार रिज़र्व बैंक की बचत से पैसे लेने लगी है उसी तरह से निगम यह काम पहले से कर रहा था. जैसे-जैसे ज़रुरत पड़ी NSSF कर्ज़ लेने लगा. नतीजा 2016-17 का वित्त वर्ष समाप्त होते ही NSSF से लिया गया कर्ज़ा 70,000 करोड़ का हो गया.
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