Dushyant Kumar Tyagi
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वास्तविकता के धरातल से कल्पनाओं के आसमां को छू लेते थे दुष्यंत कुमार...
- Friday September 1, 2017
- Written by: अनिता शर्मा
हाथों में अंगारों को लिये उनकी तासरी पूछने वाला, पीर पर्वत से किसी गंगा के निकलने की उम्मीद रखने वाला, हिंदी का कवि और शायर दुष्यंत कुमार उस समय में पाठकों के मन-मष्तिष्क में जगह बनाने में सक्षम हुआ था, जब शायरी में क़ैफ़ भोपाली, गूढ़ हिन्दी कविताओं में अज्ञेय और मुक्तिबोध, नागार्जुन और धूमिल तो आम जनता के काव्य पर राज करते थे. दुष्यंत हिंदी ग़ज़ल का सशक्त हस्ताक्षर हैं.
- ndtv.in
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वास्तविकता के धरातल से कल्पनाओं के आसमां को छू लेते थे दुष्यंत कुमार...
- Friday September 1, 2017
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हाथों में अंगारों को लिये उनकी तासरी पूछने वाला, पीर पर्वत से किसी गंगा के निकलने की उम्मीद रखने वाला, हिंदी का कवि और शायर दुष्यंत कुमार उस समय में पाठकों के मन-मष्तिष्क में जगह बनाने में सक्षम हुआ था, जब शायरी में क़ैफ़ भोपाली, गूढ़ हिन्दी कविताओं में अज्ञेय और मुक्तिबोध, नागार्जुन और धूमिल तो आम जनता के काव्य पर राज करते थे. दुष्यंत हिंदी ग़ज़ल का सशक्त हस्ताक्षर हैं.
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