आज जब गुलज़ार को ज्ञानपीठ से नवाजा गया है तो ज़ाहिर है मूलत: साहित्यकार के रूप में उनकी पहचान को स्वीकारा गया है. और साहित्यकार गुलज़ार को तसल्ली ज़रूर हुई होगी.
आज जब गुलज़ार को ज्ञानपीठ से नवाजा गया है तो ज़ाहिर है मूलत: साहित्यकार के रूप में उनकी पहचान को स्वीकारा गया है. और साहित्यकार गुलज़ार को तसल्ली ज़रूर हुई होगी.