Bhopal Gas Tragedy Anniversary
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भोपाल गैसकांड की बरसी : देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर में आज भी मौजूद है सैकड़ों टन ज़हरीला कचरा
- Monday December 3, 2018
- राकेश कुमार मालवीय
आइए, बरसी आ गई है, जो लोग इसे भूल गए हैं, या जिन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है, उन्हें बता दें कि 1984 में 2 और 3 दिसंबर के बीच की रात भोपाल शहर पर कहर बनकर टूटी थी. यह हादसा दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से एक खतरनाक ज़हरीली गैस रिसी थी, और पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था. इस मामले में सरकार ने 22,121 मामलों को मृत्यु की श्रेणी में दर्ज किया था, जबकि 5,74,386 मामलों में तकरीबन 1,548.59 करोड़ रुपये की मुआवज़ा राशि बांटी गई, लेकिन क्या मुआवज़ा राशि बांट दिया जाना पर्याप्त था.
- ndtv.in
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Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल बाद भी न्याय के लिए संघर्षरत हैं प्रभावित
- Monday December 3, 2018
- भाषा
विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के 34 साल पूरे होने के बाद भी इसकी जहरीली गैस से प्रभावित अब भी उचित इलाज, पर्याप्त मुआवजे, न्याय एवं पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. गैस पीड़ितों के हितों के लिये पिछले तीन दशकों से अधिक समय से काम करने वाले भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने कहा, ‘हादसे के 34 साल बाद भी न तो मध्यप्रदेश सरकार ने और ना ही केन्द्र सरकार ने इसके नतीजों और प्रभावों का कोई समग्र आकलन करने की कोशिश की है, ना ही उसके लिए कोई उपचारात्मक कदम उठाए हैं.’
- ndtv.in
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भोपाल गैस त्रासदी की 33वीं बरसी आज, लोगों ने ऐसे किया कफन ओढ़कर प्रदर्शन
- Sunday December 3, 2017
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
रविवार की सुबह कुछ लोगों ने कफन ओढ़कर राजभवन के सामने प्रदर्शन किया. आज पूरे दिन राजधानी के विभिन्न हिस्सों में लोग अपना दर्द साझा करेंगे
- ndtv.in
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भोपाल गैस त्रासदी की बरसी : जब दोबारा मां नहीं बन पाईं कई महिलाएं !
- Sunday December 3, 2017
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 33 साल पहले हुए गैस हादसे में मिली बीमारी ने कई महिलाओं की कोख को आबाद नहीं होने दिया. कई परिवारों के आंगन में हादसे के बाद कभी किलकारी नहीं गूंजी. गैस हादसे के बाद जन्मी तीसरी पीढ़ी भी बीमार और अशक्त पैदा हो रही है. इन बच्चों की जिंदगी को संवारने के काम में लगीं रशीदा बी बताती हैं कि उनके परिवार की एक महिला चार बार गर्भवती हुई, मगर मां नहीं बन पाई, क्योंकि उसका गर्भ हर बार गिर गया.
- ndtv.in
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भोपाल गैसकांड की बरसी : देश के दूसरे सबसे स्वच्छ शहर में आज भी मौजूद है सैकड़ों टन ज़हरीला कचरा
- Monday December 3, 2018
- राकेश कुमार मालवीय
आइए, बरसी आ गई है, जो लोग इसे भूल गए हैं, या जिन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है, उन्हें बता दें कि 1984 में 2 और 3 दिसंबर के बीच की रात भोपाल शहर पर कहर बनकर टूटी थी. यह हादसा दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से एक खतरनाक ज़हरीली गैस रिसी थी, और पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था. इस मामले में सरकार ने 22,121 मामलों को मृत्यु की श्रेणी में दर्ज किया था, जबकि 5,74,386 मामलों में तकरीबन 1,548.59 करोड़ रुपये की मुआवज़ा राशि बांटी गई, लेकिन क्या मुआवज़ा राशि बांट दिया जाना पर्याप्त था.
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Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के 34 साल बाद भी न्याय के लिए संघर्षरत हैं प्रभावित
- Monday December 3, 2018
- भाषा
विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड के 34 साल पूरे होने के बाद भी इसकी जहरीली गैस से प्रभावित अब भी उचित इलाज, पर्याप्त मुआवजे, न्याय एवं पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. गैस पीड़ितों के हितों के लिये पिछले तीन दशकों से अधिक समय से काम करने वाले भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार ने कहा, ‘हादसे के 34 साल बाद भी न तो मध्यप्रदेश सरकार ने और ना ही केन्द्र सरकार ने इसके नतीजों और प्रभावों का कोई समग्र आकलन करने की कोशिश की है, ना ही उसके लिए कोई उपचारात्मक कदम उठाए हैं.’
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भोपाल गैस त्रासदी की 33वीं बरसी आज, लोगों ने ऐसे किया कफन ओढ़कर प्रदर्शन
- Sunday December 3, 2017
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रविवार की सुबह कुछ लोगों ने कफन ओढ़कर राजभवन के सामने प्रदर्शन किया. आज पूरे दिन राजधानी के विभिन्न हिस्सों में लोग अपना दर्द साझा करेंगे
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भोपाल गैस त्रासदी की बरसी : जब दोबारा मां नहीं बन पाईं कई महिलाएं !
- Sunday December 3, 2017
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 33 साल पहले हुए गैस हादसे में मिली बीमारी ने कई महिलाओं की कोख को आबाद नहीं होने दिया. कई परिवारों के आंगन में हादसे के बाद कभी किलकारी नहीं गूंजी. गैस हादसे के बाद जन्मी तीसरी पीढ़ी भी बीमार और अशक्त पैदा हो रही है. इन बच्चों की जिंदगी को संवारने के काम में लगीं रशीदा बी बताती हैं कि उनके परिवार की एक महिला चार बार गर्भवती हुई, मगर मां नहीं बन पाई, क्योंकि उसका गर्भ हर बार गिर गया.
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