बागपत कभी बहुत बड़ी सीट हुआ करती थी. गाज़ियाबाद तक का इलाक़ा बाग़पत में आता था. इस सीट ने देश को एक प्रधानमंत्री भी दिया है. किसान नेता चौधरी चरण सिंह 1977 में इसी सीट से चुनाव जीते थे. वो प्रधानमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे, लेकिन जनता पार्टी के भीतर संगठन कांग्रेस के मोरारजी देसाई चुन लिए गए. चरण सिंह तब गृह मंत्री बने. 1979 में जनता पार्टी टूटी तो एक धड़े ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया. ये अलग बात है कि वो संसद का मुंह नहीं देख सके. कांग्रेस ने उनकी सरकार गिरा दी. ये कहानी इसलिए याद दिला रहा हूं कि आप समझ सकें कि न गठजोड़ की राजनीति भारत में नई है और न ही उसके नाम पर होने वाले छल, लेकिन ऐसा नहीं कि सबकुछ पुराना ही है. बागपत सीट ने इस बदलाव को बहुत करीब से देखा है.