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अयोध्या पर फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत मिले 'विशेषाधिकार' का किया इस्तेमाल
- Sunday November 10, 2019
- Reported by: Saurabh Gupta, Translated by: मानस मिश्रा
अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली संविधान पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार का दो बार इस्तेमाल किया है. कोर्ट ने कहा कि सबूतों को देखते हुए 2.77 एकड़ विवादित जमीन मंदिर को दी जाती है. लेकिन इसके साथ ही अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए मस्जिद के लिए भी 5 एकड़ जमीन देने का आदेश सुनाया.
- ndtv.in
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22 साल बाद दंपति की शादी हुई रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोनों के बीच भावनात्मक रूप से खत्म हो चुके थे रिश्ते
- Thursday October 10, 2019
- Reported by: NDTV.com, Translated by: ऋतुराज त्रिपाठी
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे दंपति की शादी को रद्द करने का आदेश दिया जो बीते 22 सालों से अलग रह रहे थे और उनके बीच लगातार मतभेद बने हुए थे. कोर्ट ने कहा, 'यह शादी अस्थिर, भावनात्मक रूप से मृत, निस्तारण से परे और अनियमितता से भरी है.' न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने कहा "हमारा विचार है कि प्रतिवादी पत्नी के हितों की रक्षा करते हुए एकमुश्त स्थायी गुजारा भत्ता के माध्यम से उसकी भरपाई करने के लिए, यह अनुच्छेद के तहत शक्तियों का प्रयोग करने और भारत के संविधान के 142 और पार्टियों के बीच शादी को रद्द करने के लिए एक उपयुक्त मामला है.''
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अयोध्या पर फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत मिले 'विशेषाधिकार' का किया इस्तेमाल
- Sunday November 10, 2019
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अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली संविधान पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार का दो बार इस्तेमाल किया है. कोर्ट ने कहा कि सबूतों को देखते हुए 2.77 एकड़ विवादित जमीन मंदिर को दी जाती है. लेकिन इसके साथ ही अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए मस्जिद के लिए भी 5 एकड़ जमीन देने का आदेश सुनाया.
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22 साल बाद दंपति की शादी हुई रद्द, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोनों के बीच भावनात्मक रूप से खत्म हो चुके थे रिश्ते
- Thursday October 10, 2019
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सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे दंपति की शादी को रद्द करने का आदेश दिया जो बीते 22 सालों से अलग रह रहे थे और उनके बीच लगातार मतभेद बने हुए थे. कोर्ट ने कहा, 'यह शादी अस्थिर, भावनात्मक रूप से मृत, निस्तारण से परे और अनियमितता से भरी है.' न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने कहा "हमारा विचार है कि प्रतिवादी पत्नी के हितों की रक्षा करते हुए एकमुश्त स्थायी गुजारा भत्ता के माध्यम से उसकी भरपाई करने के लिए, यह अनुच्छेद के तहत शक्तियों का प्रयोग करने और भारत के संविधान के 142 और पार्टियों के बीच शादी को रद्द करने के लिए एक उपयुक्त मामला है.''
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