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घर की बालकनी में एल्युमिनियम फॉइल क्यों रख रहे हैं लोग? क्या है ये वायरल ट्रिक
- Sunday May 18, 2025
- Edited by: अनु चौहान
Simple Ways To Keep Pigeons Away: गर्मी के मौसम में आप की बालकनी में भी कबूतरों ने डेरा जमा लिया है. हर वक्त बालकनी में बैठे परिंदों को उड़ा उड़ा कर भगाना आसान नहीं होता. इसकी जगह आप ये वायरल टिप आजमा सकते हैं.
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VIDEO: जहां स्कूल तक पहुंचने के लिए पतीले में बैठकर नदी पार करने को मजबूर हैं छोटे-छोटे बच्चे...
- Friday September 28, 2018
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
भारत में रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य और शिक्षा को इंसान की बुनियादी जरूरतों में शामिल किया गया है. देश में मूलभूत जरूरतों को पाने के लिए किसी भी इंसान को कितने जद्दोजहद करने पड़ते हैं, यह बयां करने के लिए असम के बिश्वनाथ जिले के बच्चों की रोजमर्रा की जिंदगी को देखा जा सकता है. दरअसल, असम के विश्वनाथ जिले में जान जोखिम पर डाल कर शिक्षा पाने को मजबूर हो रहे बच्चों की जो तस्वीर सामने आई है, वह न सिर्फ हैरान करने वाला है, बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा करती है. जिले के बच्चे हर दिन जान जोखिम में डाल कर स्कूल जाते हैं. दरअसल, यहां बच्चे नदी को तैर कर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं. बच्चे अपने-अपने घरों से एलुमिनयिम का बड़ा पतीला साथ लाते हैं और उसमें बैठकर नदी पार कर स्कूल पहुंचते हैं. एल्यूमीनियम के बर्तन में बैठकर नदी पार करने वाले बच्चों की संख्या करीब 40 है, जो प्राइमरी स्कूल में पढ़ते हैं उसमें सिर्फ़ एक ही शिक्षक है. इन बच्चों को नदी पार करवाने में स्कूल के इकलौते शिक्षक पूरी मदद करते हैं.
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घर की बालकनी में एल्युमिनियम फॉइल क्यों रख रहे हैं लोग? क्या है ये वायरल ट्रिक
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Simple Ways To Keep Pigeons Away: गर्मी के मौसम में आप की बालकनी में भी कबूतरों ने डेरा जमा लिया है. हर वक्त बालकनी में बैठे परिंदों को उड़ा उड़ा कर भगाना आसान नहीं होता. इसकी जगह आप ये वायरल टिप आजमा सकते हैं.
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भारत में रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य और शिक्षा को इंसान की बुनियादी जरूरतों में शामिल किया गया है. देश में मूलभूत जरूरतों को पाने के लिए किसी भी इंसान को कितने जद्दोजहद करने पड़ते हैं, यह बयां करने के लिए असम के बिश्वनाथ जिले के बच्चों की रोजमर्रा की जिंदगी को देखा जा सकता है. दरअसल, असम के विश्वनाथ जिले में जान जोखिम पर डाल कर शिक्षा पाने को मजबूर हो रहे बच्चों की जो तस्वीर सामने आई है, वह न सिर्फ हैरान करने वाला है, बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा करती है. जिले के बच्चे हर दिन जान जोखिम में डाल कर स्कूल जाते हैं. दरअसल, यहां बच्चे नदी को तैर कर स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं. बच्चे अपने-अपने घरों से एलुमिनयिम का बड़ा पतीला साथ लाते हैं और उसमें बैठकर नदी पार कर स्कूल पहुंचते हैं. एल्यूमीनियम के बर्तन में बैठकर नदी पार करने वाले बच्चों की संख्या करीब 40 है, जो प्राइमरी स्कूल में पढ़ते हैं उसमें सिर्फ़ एक ही शिक्षक है. इन बच्चों को नदी पार करवाने में स्कूल के इकलौते शिक्षक पूरी मदद करते हैं.
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