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This Article is From Jan 13, 2017

बीजेपी ने लिया बिहार की हार से सबक, यूपी में प्रचार की रणनीति बदली

बीजेपी ने लिया बिहार की हार से सबक, यूपी में प्रचार की रणनीति बदली
बीजेपी ने बिहार की हार से सबक लेकर यूपी विधानसभा चुनाव में प्रचार की रणनीति बदल दी है (पीएम मोदी का फाइल फोटो).
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी में 8 से 10 रैलियां करेंगे
  • स्थानीय नेताओं पर बाहरी नेता नहीं थोपे जाएंगे
  • चुनाव प्रचार में सकारात्मक मुद्दों को उठाने का फैसला
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नई दिल्ली: बिहार की करारी हार से मिले सबक के बाद बीजेपी ने यूपी में प्रचार के तौर-तरीकों में बदलाव करने का फैसला किया है. यूपी में न तो बड़े पैमाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियां होंगी और न ही राज्य के बाहर से आए नेता स्थानीय कार्यकर्ताओं पर रौब गांठेंगे.

पार्टी के आला नेताओं के मुताबिक यह तय किया गया है कि बिहार और दिल्ली की गलतियों को यूपी जैसे महत्वपूर्ण राज्य में न दोहराया जाए. गौरतलब है कि बिहार और दिल्ली में बीजेपी ने पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां करवाईं थीं. साथ ही दूसरे राज्यों के नेता स्थानीय नेताओं पर थोपे गए थे. इसकी वजह से स्थानीय नेताओं की नाराजगी से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था.

पीएम की रैलियां
बीजेपी नेताओं के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी में 8-10 रैलियां करेंगे. सात चरणों में हो रहे चुनावों में हर चरण में पीएम की कम से कम एक रैली होंगी. इससे पहले पीएम परिवर्तन यात्राओं के दौरान सात और उससे पहले सरकार के दो साल पूरे होने पर सहारनपुर में एक रैली कर चुके हैं.

यानी पीएम की यूपी में सब मिलाकर करीब 17-18 रैलियां होंगी. यह बिहार चुनाव से कम है, जहां पीएम ने करीब दो दर्जन रैलियों को संबोधित किया था. दिल्ली जैसे छोटे राज्य में भी पीएम की सात रैलियां हुई थीं. इन दोनों ही राज्यों में पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी के भीतर से इस चुनावी रणनीति पर सवाल उठे थे. यह पूछा गया था कि आखिर पीएम को इस तरह चुनाव प्रचार में झोंकने की क्या जरूरत थी.

बीजेपी ने असम में इस गलती को नहीं दोहराया. वहां पीएम की ज्यादा रैलियां नहीं हुईं. वहां बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया और अपने चुनावी प्रचार को सकारात्मक मुद्दों पर केंद्रित रखा. पार्टी ने वहां हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों के बजाए विकास को तरजीह दी. साथ ही स्थानीय नेताओं को चुनाव प्रचार और प्रबंधन में तरजीह दी थी.

यूपी में बीजेपी असम के रास्ते पर ही चल रही है. पार्टी ने चुनाव प्रचार में नकारात्मक के बजाए सकारात्मक मुद्दों को उठाने का फैसला किया है. इसके अलावा पार्टी ने दूसरे राज्यों से नेताओं को यूपी में ज्यादा संख्या में न बुलाने का फैसला भी किया है. यह जरूर है कि असम की तरह बीजेपी ने यूपी में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. पार्टी का कहना है कि यूपी में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा.

पार्टी बिहार की तरह कट्टर हिंदुत्व के मुद्दों के जिक्र से भी परहेज कर रही है. राम मंदिर की कोई नेता बात नहीं कर रहा. बिहार में गाय बीजेपी के चुनाव पोस्टरों पर थी, पर यूपी में ऐसा नहीं होगा. बीजेपी की हार पर पाकिस्तान में पटाखे चलने की बात करने वाले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी यूपी में विकास की ही बात करते दिखते हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैराना से पलायन के मुद्दे को बीजेपी ने जरूर उठाया है पर इसे सांप्रदायिक रंग देने के बजाए कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया है.

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