काशी में कुल आठ विधानसभा क्षेत्रों में से इस बार वाराणसी दक्षिणी सीट बेहद अहम मानी जा रही है. मोदी के संसदीय क्षेत्र में इस बार यह सीट सबसे अधिक चर्चा में है. वजह है यहां से बीजेपी के दिग्गज व वर्तमान विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटा जाना. श्यामदेव राय चौधरी लगातार सात बार चुनाव जीत चुके हैं. बीजेपी ने वर्तमान विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटकर नीलकंठ तिवारी को चुनावी अखाड़े में उतारा है. ऐसी खबरें हैं कि पार्टी ने श्याम देव राय चौधरी को विधान परिषद में भेजने का आश्वासन दिया है.
नीलकंठ तिवारी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.
इस सीट को ब्राह्मण बहुल सीट माना जाता है. इसी सीट से सपा व कांग्रेस गठबंधन की तरफ से राजेश मिश्रा को टिकट मिला है. राजेश हालांकि बनारस से कांग्रेस के टिकट पर एक बार सांसद भी चुने जा चुके हैं. बावजूद इसके उन्हें भी मतदाताओं के बीच कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. बसपा ने यहां से राकेश त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. वह अपने विरोधियों को कडी टक्कर दे रहे हैं.
अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के साथ-साथ गाजीपुर, जौनपुर, चन्दौली, मिर्जापुर, भदोही तथा सोनभद्र जिलों की 40 विधानसभा सीटों के लिए आठ मार्च को मतदान होगा.
अंतिम चरण के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी तीन दिन तक वाराणसी में डटे रहे और तीन बार रोड शो किया. सपा मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को संयुक्त रूप से रोडशो किया.
पूर्वी उत्तर प्रदेश को सभी दल जीत का दरवाजा मान रहे हैं और बसपा सुप्रीमो मायावती की नजर विशेष तौर पर मुसलमान वोटरों पर है. मायावती को यकीन है कि राज्य के पूर्वी हिस्से का मुसलमान बसपा के पक्ष में मतदान करेंगे.
अंतिम चरण में 1.41 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिनमें 64. 76 लाख महिलाएं हैं. कुल 14 हजार 458 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं. वर्ष 2012 में इन 40 सीटों में से 23 सपा के खाते में गयी थीं. बसपा को पांच, भाजपा को चार, कांग्रेस को तीन और अन्य को पांच सीटें मिली थीं.
सातवें और अंतिम चरण में कुल 535 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बसपा के 40, भाजपा के 32, सपा के 31, कांग्रेस के नौ, रालोद के 21, राकांपा के पांच प्रत्याशी मुकाबले में हैं.
सबसे अधिक 24 उम्मीदवार वाराणसी कैंट सीट से मैदान में हैं जबकि सबसे कम छह प्रत्याशी केराकत (अनुसूचित जाति) सीट पर हैं.
नीलकंठ तिवारी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.
इस सीट को ब्राह्मण बहुल सीट माना जाता है. इसी सीट से सपा व कांग्रेस गठबंधन की तरफ से राजेश मिश्रा को टिकट मिला है. राजेश हालांकि बनारस से कांग्रेस के टिकट पर एक बार सांसद भी चुने जा चुके हैं. बावजूद इसके उन्हें भी मतदाताओं के बीच कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है. बसपा ने यहां से राकेश त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. वह अपने विरोधियों को कडी टक्कर दे रहे हैं.
अंतिम चरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के साथ-साथ गाजीपुर, जौनपुर, चन्दौली, मिर्जापुर, भदोही तथा सोनभद्र जिलों की 40 विधानसभा सीटों के लिए आठ मार्च को मतदान होगा.
अंतिम चरण के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी तीन दिन तक वाराणसी में डटे रहे और तीन बार रोड शो किया. सपा मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को संयुक्त रूप से रोडशो किया.
पूर्वी उत्तर प्रदेश को सभी दल जीत का दरवाजा मान रहे हैं और बसपा सुप्रीमो मायावती की नजर विशेष तौर पर मुसलमान वोटरों पर है. मायावती को यकीन है कि राज्य के पूर्वी हिस्से का मुसलमान बसपा के पक्ष में मतदान करेंगे.
अंतिम चरण में 1.41 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिनमें 64. 76 लाख महिलाएं हैं. कुल 14 हजार 458 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं. वर्ष 2012 में इन 40 सीटों में से 23 सपा के खाते में गयी थीं. बसपा को पांच, भाजपा को चार, कांग्रेस को तीन और अन्य को पांच सीटें मिली थीं.
सातवें और अंतिम चरण में कुल 535 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बसपा के 40, भाजपा के 32, सपा के 31, कांग्रेस के नौ, रालोद के 21, राकांपा के पांच प्रत्याशी मुकाबले में हैं.
सबसे अधिक 24 उम्मीदवार वाराणसी कैंट सीट से मैदान में हैं जबकि सबसे कम छह प्रत्याशी केराकत (अनुसूचित जाति) सीट पर हैं.
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