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Punarvartan: गणेश चतुर्थी के लिए नॉन-रिन्यूएबल क्‍ले को ऐसे करें दोबारा तैयार

पुणे की नॉन-गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन, ईकोएक्सिस्ट फाउंडेशन ने पर्यावरण पर पड़ने वाले मूर्तियों के विसर्जन के इफेक्‍ट को कम करने के लिए, लोगों द्वारा दान की गई पुरानी भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियों को रीसायकल करने और उन्हें नए रूप में ढालने के लिए 'Punarvartan' अभियान शुरू किया.

  • टीम ने शुरुआत में क्षतिग्रस्त मूर्तियों पर प्रयोग किया और इसका पॉजिटिव असर देखने को मिला. उन्होंने इस विचार का और विस्तार किया और लोगों से अपने घरों पर विसर्जन प्रोसेस करने और रीसाइक्लिंग उद्देश्यों के लिए मूर्ति दान करने के विचार के साथ संपर्क किया.
  • 2021 तक, eCoexist टीम ने स्‍मॉल डोनेशन कैपेंन के जरिए लगभग 30 किलोग्राम मिट्टी एकत्र की थी और इसे बाजार में वापस लाने के लिए इसे नए रूप में पुनर्चक्रित किया था. बाद में इस अभियान में शहर के 22 गैर सरकारी संगठन भी शामिल हो गए.
  • अभियान के भागीदारों में से एक, डॉ. राजेश मनेरीकर ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रोडक्‍ट को लंबे समय तक लूप में रखने और एक परिपत्र अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने में मदद करता है.
  • पूरे पुणे में लगभग 100 संग्रह केंद्र हैं, जिन्हें त्योहार के दौरान और बाद में दो दिनों के लिए खुला रखा जाता है.
  • यह अभियान महाराष्ट्र के नौ शहरों में चलाया जा रहा है, जिनमें नासिक, ठाणे, पिंपरी चिंचवड़ और गुजरात के शहर शामिल हैं, जिनमें अहमदाबाद और सूरत, कर्नाटक में बैंगलोर और तेलंगाना में हैदराबाद शामिल हैं.
  • 22 संगठनों और स्वयंसेवी प्रयासों की मदद से, टीम ने 2022 में 23,000 किलोग्राम तक मिट्टी एकत्र की, जिसका अर्थ है कि 23 टन मिट्टी को जल निकायों में प्रवेश करने से रोक दिया गया.
  • टीम कॉलेजों में पर्यावरण-अनुकूल त्योहार मनाने पर शैक्षिक सत्र आयोजित करती है.
  • वे भारतीय परंपराओं को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मनाने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में मूर्ति-निर्माण कार्यशालाएं भी आयोजित करते हैं.
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