जलवायु संकट किस तरह असम चाय की पैदावार और अनूठे स्वाद को डाल रहा खतरे में
असम के चाय बागानों पर संकट मंडरा रहा है. भारत के आधे से अधिक चाय उत्पादन और वैश्विक चाय आपूर्ति में 13 फीसदी की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाली असम की चाय जलवायु परिवर्तन और गंभीर मौसम की घटनाओं के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रही है. यह संकट केवल चाय उत्पादन की मात्रा पर ही नहीं, बल्कि असम चाय की क्वालिटी के लिए भी एक बड़ा खतरा साबित हो रहा है.
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असम की चाय यानी असम टी करीब 200 साल पुरानी किस्म है. अपने स्वास्थ्य लाभों और तेज, मसालेदार स्वाद के लिए इसे दुनिया भर में पसंद किया जाता है, जिससे हर सुबह जागने के साथ ही इसे पीना काफी पसंद किया जाता है. इसके अनोखे स्वाद का राज असम की अनूठी जलवायु और असम चाय की खेती के खास तरीके को माना जाता है.
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बढ़ते तापमान और चरम मौसम की घटनाओं ने असम चाय की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर काफी बुरा असर डाला है. इससे राज्य में 48,029 हेक्टेयर से अधिक चाय की खेती को काफी नुकसान हुआ है और पिछले वर्ष की तुलना में अगस्त 2023 में चाय उत्पादन में 9 फीसदी की गिरावट आई है.
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असम भारत का सबसे बड़ा चाय उत्पादक राज्य है, जो लगभग 800 संगठित चाय बागानों के साथ देश के चाय उत्पादन में लगभग 52 फीसदी और वैश्विक स्तर पर 13 फीसदी का योगदान देता है. राज्य जलवायु भेद्यता सूचकांक यानी क्लाइमेट वल्नरेबिलिटी इंडेक्स में शीर्ष पर है, जो बाढ़, सूखा, चक्रवात और गर्म हवाओं (हीट वेव) जैसी चरम मौसम की घटनाओं के प्रति इसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है.
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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की 'जलवायु भारत 2023: चरम मौसम की घटनाओं का आकलन' रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी से 30 सितंबर, 2023 के बीच असम में 48,029 हेक्टेयर में चाय की फसल को नुकसान पहुंचने की सूचना है. अगस्त में भारत में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं. इस दौरान महीने के 28 दिनों में असम एक्सट्रीम वेदर की घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ.
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तापमान में वृद्धि और बारिश में अनियमितता जैसी जलवायु की बदलती परिस्थितियों ने चाय की गुणवत्ता और उत्पादन की मात्रा पर काफी बुरा असर डाला है, जिससे पिछले दशक में असम चाय नीलामी की कीमतों में 15-20 फीसदी की गिरावट आई है. गुवाहाटी चाय नीलामी क्रेता संघ के सचिव दिनेश बिहानी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि तापमान में वृद्धि और असमान वर्षा ने असम में चाय की गुणवत्ता और पैदावार दोनों को ही काफी बुरी तरह प्रभावित किया है.
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जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के साथ अनुकूलन और इससे उबरने के लिए असम के चाय उद्योग को सिंचाई सुविधाओं, वर्षा जल के संचय (रेन वाटर हार्वेस्टिंग), छायादार पेड़ों के वृक्षारोपण और जलवायु परिवर्तन की प्रतिरोधी चाय की नई किस्मों को विकसित करने जैसे कदमों की जरूरत है.