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Paralympics: क्लब थ्रो में भारत का वर्चस्व, धरमबीर ने गोल्ड तो प्रणव ने जीता सिल्वर, पदकों की संख्या हुई 24

भारतीय एथलीटों ने क्लब थ्रो में स्वर्ण और रजत जीतकर अपना दबदबा बनाया है. भारत के लिए धरमबीर ने एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड जीता, जबकि प्रणव सूरमा ने इसी इवेंट में सिल्वर अपने नाम किया है.

Paralympics: क्लब थ्रो में भारत का वर्चस्व, धरमबीर ने गोल्ड तो प्रणव ने जीता सिल्वर, पदकों की संख्या हुई 24
Paralympics: क्लब थ्रो में भारत का वर्चस्व, धरमबीर ने गोल्ड तो प्रणव ने जीता सिल्वर

भारतीय एथलीटों ने क्लब थ्रो में स्वर्ण और रजत जीतकर अपना दबदबा बनाया है. भारत के लिए धरमबीर ने एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए गोल्ड जीता, जबकि प्रणव सूरमा ने इसी इवेंट में सिल्वर अपने नाम किया है. चार फाउल प्रयासों के बाद, सोनीपत के 35 वर्षीय विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता ने बुधवार को पोडियम पर शीर्ष स्थान का दावा करने के लिए अपने पांचवें प्रयास में क्लब को 34.92 मीटर की दूरी तक पहुंचाया.

सूरमा, जिनके सिर पर सीमेंट की चादर गिरने से 16 साल की उम्र में उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी, ने अपने पहले प्रयास में 34.59 मीटर का थ्रो किया. हालांकि, 29 वर्षीय सूरमा इसके बाद और बेहतर नहीं कर सके और दूसरे स्थान पर रहे, जिससे भारत ने एक और इवेंट में डबल पोडियम फिनिश किया. प्रतियोगिता में तीसरे भारतीय, 2017 विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता, अमित कुमार सरोहा, 23.96 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ अंतिम स्थान पर रहे. F51 क्लब थ्रो इवेंट उन एथलीटों के लिए है जिनकी धड़, टांगों और हाथों की गतिविधि काफी हद तक प्रभावित होती है.

नहर में गोता लगाने के दौरान हुई दुर्घटना

नहर में एक गलत गोता लगाने से धरमबीर का जीवन पूरी तरह से बदल गया. इस दुर्घटना में उनके कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. पैरा-स्पोर्ट्स ने उन्हें जीवन में एक नई दिशा दी जब उन्हें साथी पैरा-एथलीट अमित कुमार सरोहा ने इससे परिचित कराया. दो साल के अंदर ही, धरमबीर ने 2016 रियो पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया, जिससे एक सफल करियर की शुरुआत हुई. तब से उन्होंने भारत के लिए कई पदक अर्जित किए हैं, जिसमें 2022 एशियाई पैरा खेलों में रजत पदक भी शामिल है.

क्रिकेट, रोलर हॉकी के शौकीन हैं सूरमा

क्रिकेट और रोलर हॉकी के शौकीन सूरमा, जब 16 साल के थे, तब एक उनके सिर पर सीमेंट की चादर गिर गई थी. इस हादस में उनकी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई थी, जिसके बाद वह लकवाग्रस्त हो गए थे. उनके परिवार के समर्थन और सकारात्मक मानसिकता ने उन्हें ध्यान और शिक्षा की ओर रुख करने में मदद की. प्रणब ने 12वीं बोर्ड परीक्षा में 91.2 प्रतिशत अंक हासिल किए थे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की और बैंक ऑफ बड़ौदा में सहायक प्रबंधक के रूप में नौकरी हासिल की.

प्रणव ने पैरा-एथलेटिक्स के माध्यम से खेल के प्रति अपने प्यार को फिर से खोजा और जल्द ही सफलता प्राप्त की क्योंकि उन्होंने 2019 बीजिंग ग्रांड प्रिक्स में रजत पदक, सर्बिया ओपन 2023 में स्वर्ण पदक और ट्यूनीशिया ग्रांड प्रिक्स में स्वर्ण और रजत दोनों पदक जीते. उन्होंने एशियन पैरा गेम्स 2023 में रिकॉर्ड-सेटिंग थ्रो भी बनाया, जहां उन्होंने पुरुषों के क्लब थ्रो F51 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता.

हरविंदर सिंह ने जीता गोल्ड

हरविंदर सिंह ने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाला पहला भारतीय तीरंदाज बनकर इतिहास रच दिया. टोक्यो पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता नौवें वरीय हरविंदर ने दुनिया के 35वें नंबर के खिलाड़ी और छठे वरीय पोलैंड के लुकास सिजेक को एकतरफा खिताबी मुकाबले में 6-0 (28-24, 28-27, 29-25) से शिकस्त दी. पैरालंपिक में पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय तीरंदाज हरविंदर ने बुधवार को लगातार पांच जीत के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया और लगातार दूसरा पैरालंपिक पदक जीता.

भारत के एकमात्र पैरालंपिक पदक विजेता तीरंदाज हरविंदर ने पहले सेट में नौ अंक के साथ शुरुआत की जबकि लुकास ने भी इसका जवाब नौ अंक के साथ दिया. हरविंदर का अगला निशाना 10 अंक पर लगा जबकि पोलैंड का तीरंदाज सात अंक ही जुटा पाया. भारतीय तीरंदाज ने इसके बाद नौ अंक के साथ पहला सेट 28-24 से अपने नाम किया.

दूसरे सेट में सिजेक ने तीनों निशाने नौ अंक पर मारे जबकि हरविंदर ने दो नौ और फिर अंतिम प्रयास में 10 अंक के साथ 28-27 से सेट जीतकर 4-0 की बढ़त बनाई. तीसरे सेट में भी हरविंदर हावी रहे। सिजेक के सात अंक के मुकाबले उन्होंने 10 अंक से शुरुआत की और फिर अगला निशाना भी 10 अंक पर लगाया. भारतीय तीरंदाज ने अंतिम प्रयास में नौ अंक के साथ 29-25 से सेट और स्वर्ण पदक जीत लिया.

सचिन ने जीता सिल्वर

विश्व चैंपियन शॉटपुट (गोला फेंक) खिलाड़ी सचिन सरजेराव खिलाड़ी ने एशियाई रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता था जिससे पेरिस खेलों में भारत के एथलीटों का पदक जीतने का सिलसिला जारी रहा जो देश का पैरालंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. सचिन ने एफ46 स्पर्धा में एशियाई रिकॉर्ड 16.32 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता. इस 34 वर्ष के खिलाड़ी ने दूसरे प्रयास में सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका और मई में जापान में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान 16.30 मीटर के अपने ही एशियाई रिकॉर्ड को बेहतर किया.

सचिन का यह व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रयास हालांकि उन्हें पहला स्थान दिलाने के लिए काफी नहीं था और कनाडा के ग्रेग स्टीवर्ट ने 16.38 मीटर के प्रयास से तोक्यो पैरालम्पिक में जीता स्वर्ण बरकरार रखा. क्रोएशिया के लुका बाकोविच ने 16.27 मीटर से कांस्य पदक जीता. सचिन का रजत पेरिस पैरालम्पिक में एथलेटिक्स में भारत का 11वां पदक है. एफ46 श्रेणी में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी भुजाओं में कमजोरी है, मांसपेशियों की शक्ति क्षीण है या भुजाओं में निष्क्रिय गति की सीमा क्षीण है. ऐसे एथलीट खड़े होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं.

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