हरविंदर सिंह ने बुधवार को पेरिस पैरालंपिक की पुरुष रिकर्व ओपन तीरंदाजी स्पर्धा के फाइनल में पोलैंड के लुकास सिजेक को 6-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता और पैरालंपिक में लगातार दूसरा पदक अपने नाम किया. टोक्यो पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता नौवें वरीय हरविंदर ने दुनिया के 35वें नंबर के खिलाड़ी और छठे वरीय सिजेक को खिताबी मुकाबले में 28-24, 28-27, 29-25 से शिकस्त दी. बता दें, हरविंदर ने जब टोक्यो में पदक जीता था तब वो पैरालंपिक और ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले तीरंदाज बने थे. वहीं पेरिस में गोल्ड जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया है. वो पैरालंपिक या ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने हैं. यह
फाइनल में पोलैंड के सिजेक को हराया
हरविंदर सिंह ने फाइनल में पोलैंड के सिजेक के खिलाफ 28-24 पहले गेम अपने नाम लिया. हरविंदर ने पहले सेट में 9,10,9 का टारगेट हिट किया, जबकि सिजेक ने पहले सेट में 9,7,8 का टारगेट हिट किया. इसके बाद उन्होंने दूसरे सेट में 9,9,10 का टारगेट हिट किया, जबकि सिजेक ने दूसरे राउंड में 9,9,9 का टारगेट हिट किया. हरविंदर ने दूसरा सेट 28-27 से जीता. इसके बाद तीसरे सेट में उन्होंने 10,10,9 का टारगेट हिट किया, जबकि सिजेक ने 7,9,9, का टारगेट हिट किया और हरविंदर ने 29-25 के मुकाबले तीसरा सेट जीता.
ऐसा रहा फाइनल तक का सफर
हरविंदर सेमीफाइनल में ईरान के मोहम्मद रेजा अरब अमेरी को 7-3 से हराकर फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय तीरंदाज बने. भारत के एकमात्र पैरालंपिक पदक विजेता तीरंदाज हरविंदर ने पहले सेट में पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए ईरान के प्रतिद्वंद्वी को 25-26, 27-27, 27-25, 26-24, 26-25 से मात दी.
उन्होंने क्वार्टरफाइनल में कोलंबिया के दुनिया के नौवें नंबर के खिलाड़ी हेक्टर जूलियो रमीरेज को 6-2 से शिकस्त दी. हरविंदर ने चीनी ताइपे के सेंग लुंग हुई को 7-3 से पराजित करने के बाद प्री क्वार्टरफाइनल में इंडोनेशिया के सेतियावान सेतियावान को 6-2 से हराया.
इंजेक्शन के साइड इफेक्ट के चलते गई पैरों की ताकत
हरियाणा में अजीत नगर के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरविंदर जब डेड़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाये गये थे. दुर्भाग्य से इन इंजेक्शन के कुप्रभावों से उनके पैरों की गतिशीलता चली गई. शुरूआती चुनौतियों के बावजूद वह तीरंदाजी में आ गये और 2017 पैरा तीरंदाजी विश्व चैम्पियनशिप में पदार्पण में सातवें स्थान पर रहे.
फिर 2018 जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रहे और कोविड-19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में उनके पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया ताकि वह ट्रेनिंग कर सकें. हरविंदर ने तीन साल पहले तोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया क्योंकि यह भारत का पहला तीरंदाजी पदक था. तीरंदाजी में सफलता के साथ वह अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री भी ले रहे हें.
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