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This Article is From May 11, 2019

Exclusive: राहुल गांधी ने रवीश कुमार से कहा, नरेंद्र मोदी का समय बीत गया, इस बार वो नहीं आ रहे - पूरा इंटरव्‍यू

Lok Sabha Polls 2019: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को इंटरव्यू दिया. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों से जुड़े सवालों पर बेबाक जवाब दिया. यहां पढ़िए पूरा इंटरव्यू.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को दिया इंटरव्यू.

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने एनडीटीवी को इंटरव्यू दिया. आप जानते हैं कि राहुल गांधी चुनौती देते रहे हैं प्रधानमंत्री को कि वह आएं और लाइव बहस करें. वह तो हुआ नहीं, लेकिन राहुल गांधी ने खुद यह लाइव इंटरव्यू दिया. एनडीटीवी के रवीश कुमार से बातचीत के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जो विचारधारा देश में नफरत फैला रही है और संविधान पर आक्रमण कर रही है हमारी उससे लड़ाई है. जो आरएसएस की विचारधारा है कि इस देश को एक संगठन को चलाना चाहिए, उससे लड़ाई है. पढ़ें राहुल गांधी का पूरा इंटरव्‍यू...

सवाल : बहुत धूप है फिर भी मैं यह जानना चाहता हूं कि आप अपने भाषण में कह रहे थे कि दो विचारधाराओं की लड़ाई है, बहुत स्पष्ट नहीं हुआ कि राहुल गांधी किस विचारधारा से लड़ना चाहते हैं, क्या कमिटमेंट है उनकी इस लड़ाई का?
जवाब: जो विचारधारा देश में नफरत फैला रही है, और जो देश के इंस्टिट्यूशंस हैं, उस पर आक्रमण कर रही है. जो कॉन्स्टिट्यूशन पर आक्रमण कर रही है, सुप्रीम कोर्ट के चार जज प्रेस के सामने आते हैं, कहते हैं, कि हमें काम करने नहीं दिया जा रहा. नोटबंदी होती है, आरबीआई की इंटेलिजेंस है, जो एक्सपीरियंस है, उसको परे करके प्रधानमंत्री जी 2 मिनट में 500 और 1000 का नोट रद्द कर देते हैं. तो जो आरएसएस की विचारधारा है. इस देश को एक संगठन चलाना चाहता है. उसके खिलाफ हम लड़ रहे हैं.

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सवाल : आप ही अकेले लड़ते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस बहुत डिफेंसिव हो जाती है आरएसएस के नाम पर, लड़ने के नाम पर?
जवाब: कांग्रेस पार्टी के वर्कर्स के बिना मैं कौन हूं. मैं तो कुछ नहीं हूं. कांग्रेस पार्टी के जो वर्कर्स की आवाज आती है, जनता की जो आवाज आती है, वह तो मैं बोलता हूं.

सवाल : तो राहुल गांधी को लगता है कि इस समय आरएसएस से लड़ने की जरूरत है?
जवाब : राहुल गांधी क्या है

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सवाल : कांग्रेस को लगता है कि आरएसएस की जो विचारधारा है वह इस देश के लिए ठीक नहीं है उससे लड़ना चाहिए?
जवाब : सिर्फ कांग्रेस को नहीं लगता है, देश की जनता को लगता है. जहां भी मैं जा रहा हूं, किसानों से बात कीजिए, युवाओं से बात कीजिए, माताओं बहनों से बात कीजिए, जहां भी मैं जा रहा हूं, लोग कह रहे हैं, कि भाई हमें मतलब डर लग रहा है. कोई ऐसी शक्ति है जो हिंदुस्तान को कंट्रोल करने की कोशिश करती है.

सवाल : डर की बात है?
जवाब : डर की बात है.

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सवाल : मैंने एक और महसूस किया है, मैं आपको याद दिला दूं कि जवाहरलाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा था कि मेजॉरिटी जो है माइनॉरिटी की लॉयल्टी टेस्ट कर रही है, कि आप बताइए देशभक्त हैं या नहीं, इसे रोकना चाहिए, यह गलत है. मुझे लगता है जिस सेक्युलर फॉरमेशन की आप बात कर रहे हैं, वह सेक्युलर फॉरमेशन मेजॉरिटी कम्युनिज्म बहुसंख्यक जो सांप्रदायिकता है उससे सीधा जाकर नहीं फाइट कर रही है?
जवाब : नहीं यह बिल्कुल गलत है, देखिए फाइट एक तरफ बीजेपी आरएसएस और दूसरी तरफ देश की जो प्रोग्रेसिव फोर्सेज हैं, जो ओपन माइंडेड फोर्सेस हैं, सब एक साथ लड़ रहे हैं. जरूर ये बात है कि उत्तर प्रदेश में उदाहरण के तौर पर बीएसपी और एसपी अलायंस में लड़े और हम उस अलायंस में नहीं थे मगर आप देखें सब पार्टियां मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ी और एग्रेसिवली लड़ रही है.

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सवाल : पर यह ट्रेंड आ रहा है कि माइनॉरिटी को छोड़ दिया गया है, इस इलेक्शन में वह सब से डरा हुआ है.
जवाब : बिल्कुल नहीं, किसी भी आवाज को हिंदुस्तान में किसी भी आवाज को नहीं छोड़ा गया है. गांधी जी ने कहा था जो लाइन में आखि‍री खड़ा है उसकी रक्षा करनी है और हम हिंदुस्तान के हर नागरिक की रक्षा करेंगे. एक को नहीं छोड़ेंगे और मैं आपको बता रहा हूं, अगर आरएसएस के लोगों के खिलाफ किसी दिन अन्याय हो अगर उनके खिलाफ हिंसा का प्रयोग हो तो मैं उनकी भी मदद करूंगा. मैं उनकी भी रक्षा करूंगा. मेरा कहना है यह देश प्यार का देश है, इस देश में प्यार की भावना जीतती है, और इस देश में जो भी हुआ है, जो भी प्रगति आई है, वह इस देश में प्यार की भावना के बल पर आई है.

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सवाल : आप बार-बार नरेंद्र मोदी को नफरत से भरा हुआ व्यक्ति कहते हैं क्या आपको लगता है वह नफरत से भरे हुए हैं?  इतना हेटर्ड है उनमें?
जवाब: है, पर्सनल हैटर्ड है बहुत ज्यादा. मैं आपको बताता हूं, मैं उनसे मिलता हूं, पब्लिक फंक्शन में, मैं प्यार से मिलता हूं लेकिन उनका पर्सनल रिस्‍पॉन्‍स भी जो है वह भी मतलब नफरत से भरा है.

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सवाल : लगता है कि जैसे दो दुश्मन मिलने वाले हैं एक तरह से
जवाब : हां, मैं मतलब रिस्पेक्टफुली बात करता हूं, प्यार से बात करता हूं. वह रिस्पांस नहीं देते हैं.

सवाल : राहुल, आपने सारे इंटरव्यू में इस बात को महत्व नहीं दिया कि वह आपके परिवार पर हमला करते हैं. पर मेरा सवाल है कि जब 5 साल तक लगातार नेहरू पर हमला हुआ तो वह सिर्फ परिवार का मामला नहीं था, नेहरू के फाउंडेशन पर एक विचारधारा खड़ी थी, जिस पर आपकी भी पार्टी चलती है, मुझे लगता है कि आपकी पार्टी ने नेहरू को ठीक से डिफेंड नहीं किया.
जवाब : नहीं देखिये आप 5 साल पहले आप जैसे लोग कह रहे थे कि नरेंद्र मोदी को कोई नहीं हरा सकता है. नरेंद्र मोदी पर आक्रमण किसने किया, नरेंद्र मोदी से लड़े कौन. आप पत्रकार हैं. आप की विचारधारा सेकुलर विचारधारा है, तो आप जैसे लोग लड़े. आप पर आक्रमण हुआ, मगर जो पॉलीटिकल फाइट लड़ी गई वह कांग्रेस पार्टी लड़ रही है, इस बात को कोई डिनाई नहीं कर सकता है. सिंपल सी बात है नरेंद्र मोदी किसकी बात करते हैं. नरेंद्र मोदी कांग्रेस की बात कर रहे हैं, तो नरेंद्र मोदी अगर कांग्रेस की बात कर रहे हैं तो सबसे बड़ा आक्रमण भी कांग्रेस ने किया होगा, नहीं तो नरेंद्र मोदी कांग्रेस की बात क्यों करते हैं. तो जरूर आसान काम नहीं था, मुश्किल काम था मगर हम एक इंच पीछे नहीं हटे, हम पार्लियामेंट में लड़े, हम गांव में लड़े हैं. हम शहरों में लड़े, सूट-बूट सरकार, चौकीदार चोर है, जनता की जो आवाज थी हमने उठाई. आज कोई भी पत्रकार नहीं कह रहा है कि नरेंद्र मोदी चुनाव जीत रहा है. कोई नहीं कह रहा है. पत्रकार मुझसे मिलते हैं. कल मुझसे मिले, मुझसे कहते हैं, हां भाई इस बार तो बहुत मुश्किल लग रहा है, नरेंद्र मोदी नहीं आ रहा है.

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सवाल : पर आपसे जब भी पूछा जाता है कि आप प्रधानमंत्री बनेंगे तो आप टाल देते हैं, मैं यह जानना चाहता हूं कि पिछले 10 साल यूपीए की जब सरकार थी तो आप सरकार के भीतर नहीं थे, तो क्या आप की सरकार के भीतर कोई भूमिका होगी?
जवाब : जब हमारी सरकार थी मैंने मनमोहन सिंह जी को कमिटमेंट दिया था, कि सरकार मनमोहन सिंह जी चलाएंगे, और मैं उस सरकार में इंटरफेयर नहीं करूंगा. इसीलिए मेरा उनसे पहले कमिटमेंट था कि मैं सरकार में नहीं आऊंगा और मैंने उस टाइम के कांग्रेस प्रेसिडेंट को भी पहले ही बोल दिया था कि मनमोहन सिंह प्राइम मिनिस्टर हैं, मैं कांग्रेस में काम कर रहा हूं, मैं पॉलीटिकल एक्टिविटी कर रहा हूं, मैं कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने का काम कर रहा हूं, लेकिन मैं सरकार में काम नहीं करूंगा. पहले दिन से मैंने यह क्लियर कर दिया था.

सवाल : क्या अब राहुल गांधी तैयार हैं सरकार में काम करने के लिए?
जवाब : पहले दिन से मैंने कहा अब 23 तारीख को जनता डिसाइड करेगी, जनता कहेगी उनके दिल में क्या है जनता करेगी. अब जैसे मैंने स्टेज में कहा जनता मालिक है, जो जनता कहेगी उसका पालन करूंगा.

सवाल : मैं यह समझूं जनता कहेगी तो आप सरकार में होंगे?
जवाब : जो जनता कहेगी मैं करूंगा.

सवाल : जो जनता कहेगी वह आप करेंगे?
जवाब: जो भी वह कहेगी मैं करूंगा. वह मालिक है. 23 मई से पहले इस बारे में मैं कह ही नहीं सकता हूं, जनता ने फैसला नहीं किया है.

सवाल : आप इमोशनल नहीं होते हैं कि मां के बारे में, पिता के बारे में, दादी के बारे में कहा जा रहा है इमोशनल नहीं होते हैं आप?
जवाब : मैं अपने पिता की सच्चाई जानता हूं, मैं अपने माता की सच्चाई जानता हूं, मैं दादी परदादा की सच्चाई जानता हूं. सच्चाई जानता हूं तो आपको जो भी कहना हो कह दीजिए, सच्चाई तो मैं जानता हूं ना. तो मुझे क्या फर्क पड़ रहा है अगर वहां पर कोई उल्टी-सीधी बात बोल रहा है तो वह बोल रहा है, मुझे उससे क्या फर्क पड़ता है.

सवाल : वह बार-बार कहते हैं कि राहुल गांधी नामदार हैं, वह खुद बहुत संघर्ष के बैकग्राउंड से आए हैं, अमित शाह राहुल बाबा आपको कहते हैं.
जवाब : ठीक है बिल्कुल सही, चुनाव लड़के देखते हैं कौन जीतता है, पता चल जाएगा. 23 मई को तो पूरा का पूरा साफ हो जाएगा. 23 मई के बाद पूरा पता लग जाएगा.

सवाल : तो आप 23 मई का इंतजार कर रहे हैं?
जवाब : मैं तो जनता की आवाज को सुनूंगा. 23 मई को पूरा का पूरा पता लग जाएगा किसने क्या किया, किस ने काम किया. देखिये सच्चाई तो बाहर आती है, सच्चाई को कोई नहीं छुपा सकता है. पिछले चुनाव में आते थे तो कहते थे दो करोड़ युवाओं को रोजगार दूंगा, कहते थे 1500000 बैंक अकाउंट में डाल दूंगा, कहते थे किसानों को मैं सही दाम दिलवा दूंगा, उसकी सच्चाई आपने देख ली, देश ने देख ली. पर अब वो भविष्य की बात तो नहीं कर सकते, प्रेजेंट की भी बात नहीं कर सकते. प्रेजेंट की भी बात करते हैं तो हम कहते हैं कि चौकीदार चोर है. इस पल चौकीदार चोर है. अनिल अंबानी को पैसा दिया तो प्रेजेंट की बात नहीं कर सकते.

सवाल: मेरा एक सवाल है अदानी और अंबानी पर अटैक...
जवाब : वह प्रेजेंट की बात नहीं करते तो बीते हुए समय की बात करेंगे. बीते हुए समय की बात करेंगे तो परिवार की बात तो करनी पड़ेगी. मेरे ऊपर आक्रमण करना है तो मेरे परिवार के बारे में बात करना है. नरेंद्र मोदी जी का समय बीत गया है, और प्यार से कह रहा हूं.

सवाल : तो क्या राहुल गांधी का समय आ गया है?
जवाब : नहीं नहीं, जनता कह रही है देखिए राहुल गांधी की पॉलीटिकल फिलॉसफी, राहुल गांधी कुछ नहीं है, राहुल गांधी राहुल गांधी को मिटाना चाहता है राहुल गांधी जनता की आवाज बनना चाहता है राहुल गांधी मैं सिर्फ को नष्ट करना चाहता हूं मैं सेल्फ को खत्म करना चाहता हूं, मैं चाहता हूं जब मैं किसान के घर जाऊं तब राहुल गांधी की आवाज ना हो सिर्फ किसान की आवाज को, बिल्कुल जो प्योर उसके दिल में जो दर्द है, वो राहुल गांधी समझे. अगर राहुल गांधी की आवाज बोलती है तो राहुल गांधी नहीं समझ सकता. मैं सिर्फ किसान की बात नहीं कर रहा हूं, मैं मजदूरों की बात करता हूं, अभी मैं रवीश से बात कर रहा हूं, मैं समझना चाहता हूं कि रवीश क्या फील कर रहा है, रवीश किस प्रकार से सवाल पूछ रहा है, रवीश चाहता क्या है, और मैं उसकी मदद कर सकता हूं कैसे कर सकता हूं.

सवाल : क्या आप यह कहना चाहेंगे कि क्रोनी कैपिटलिज्म की बात करते हैं, अदानी अंबानी की बात करते हैं. हम इस बात पर कैसे भरोसा करें कि अंबानी ने खुद कहा कि आपकी पिछली सरकार में 100000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट मिले तो क्रोनी कैपिटलिज्म उनका भी उस दौर का हिस्सा रहा, मेरा एक सवाल है कि क्या इकोनामिक पॉलिसी को लेकर राहुल गांधी की थिंकिंग बदल रही है, जो इकोनामिक पॉलिसी देश में इस समय चल रही है कि एक परसेंट लोगों का ही फायदा हो रहा है बाकी का फायदा नहीं हो रहा है क्या राहुल गांधी ने इस 5 साल में.
जवाब : मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कर्जा माफी की बात क्लियर कट, देखिए जिस मॉडल को 1990 के दशक में हिंदुस्तान में इस्तेमाल किया, जिससे बहुत फायदा मिला, उसी मॉडल को 2004 में फिर से थोड़ा सा बदल कर के फिर से इस्तेमाल किया गया, वह मॉडल 2012 में चलना ही बंद हो गया, अब क्या हुआ, प्रॉब्लम क्या हुई, नरेंद्र मोदी जी की ट्रेजेडी क्या है मोदी जी ने उसी मॉडल को फिर से उठा लिया 2004 का जो मॉडल था, 2009 का जो मॉडल था.

सवाल : और जो 2012 में चूक गया...
जवाब : उसको हम एक्सेप्ट करते हैं. मैं मनमोहन सिंह जी एक्सेप्ट करेंगे, मैं एक्सेप्ट कर लूंगा. जो 2004 में बहुत बढ़िया चला, 2009 में चला, 2012 में किसी न किसी कारण फेल हो गया, चल नहीं रहा था, मैंने मनमोहन सिंह जी से बात की उस टाइम और मैंने उनको कहा और उन्होंने बातों में कहा राहुल जो 2004 और 2009 के बीच में चल रहा था अब चल नहीं रहा है.

सवाल : घड़ी भाग रही है, मेरे सवाल भी भाग रहे हैं वह बार-बार कह रही है.
जवाब : मगर मैं आपको गहराई में कहना चाहता हूं, तो कांग्रेस पार्टी को, अब हिंदुस्तान को अब नया मॉडल निकालना होगा, निकालना पड़ेगा. मगर पास्ट से फ्यूचर को जोड़ना होगा, पास्ट को भूल नहीं सकते, तो कंटिन्यूटी रहनी पड़ेगी. मगर यह जो आपने सवाल उठाए हैं कि 2 परसेंट लोग तीन परसेंट लोग सारा का सारा फायदा उठा लेते हैं, यह मेन कंसर्न है, अगर आप हिंदुस्तान को मजबूत बनाना चाहते हैं तो इसको ठीक करना ही पड़ेगा.

सवाल : राहुल गांधी के बारे में जो आपके आलोचक हैं वह कहते हैं कि आप छुट्टी ले लेते हैं मोदी तो सोते ही नहीं हैं 3 ही घंटे सोते हैं और पूरा 18 घंटे काम करते हैं राहुल गांधी काम नहीं करते हैं.
जवाब : काम का मतलब क्या होता है, काम का मतलब जनता से बात करना, काम का मतलब जनता की आवाज सुनना, काम का मतलब जो जनता कहती है उसके बारे में सोचना, यह काम है हमारा. तो मैंने नरेंद्र मोदी जी से कहा देखिए आप रात को सोते नहीं हैं, आप 3 घंटे सोते हैं, आइए मेरे से  डिबेट कर लीजिए. आइए भ्रष्टाचार पर कर लीजिए आइए इकोनॉमिक्स पर कर लीजिए, नोटबंदी पर कर लीजिए जीएसटी पर कर लीजिए, किसानों की समस्या पर कर लीजिए.

सवाल : लेकिन वह भ्रष्टाचार पर आप पर ही आरोप लगा रहे हैं कि वह आप जमानत पर हैं नेशनल हेराल्ड केस में.
जवाब : आप प्राइम मिनिस्टर हैं, आप एक्शन लीजिए ना, इंक्वायरी कराइये, आप क्यों नहीं करा रहे हैं. आपके हाथ में सब औज़ार हैं. राफेल पर भी करा दीजिए मतलब 5 मिनट का राफेल पर इंक्वायरी करवा दीजिए. मैंने कहा आइए आप 3 घंटे सोते हो ठीक है, आइए मेरे साथ डिबेट कर लीजिए.

सवाल : आप की डिग्री क्या है बार-बार यह सवाल आता है लोग बार-बार यह सवाल क्यों पूछते हैं?
जवाब : एम फिल डिग्री है कैंब्रिज की, उसकी कॉपी में आपको दिखा दूंगा.

सवाल : आपने एंटायर पॉलीटिकल साइंस भी पढ़ी है?
जवाब : मैंने डिवेलपमेंट इकोनॉमिक्स पढ़ी है।

सवाल : एंटायर पॉलीटिकल साइंस नहीं?
जवाब : एंटायर पॉलीटिकल साइंस क्या है?

सवाल : प्रधानमंत्री जी की जो डिग्री है.
जवाब : जो उनकी डिग्री है उस पर में जाऊंगा नहीं. देखिए नरेंद्र मोदी 3 घंटे सोते हैं नरेंद्र मोदी सोचते हैं कि भाषण देना और कॉमेंट्स करना प्रधानमंत्री का काम होता है. प्रधानमंत्री का काम स्ट्रेटजिकली सोचकर एक्शन लेना होता है.

सवाल : बहुत ज्यादा भाषण देते हैं?
जवाब : स्ट्रेटजी में बिलीव नहीं करते हैं, उनके किसी भी काम में स्ट्रेटजी नहीं है. वह इवेंट में बिलीव करते हैं, हम स्ट्रेटजी में बिलीव करते हैं. जम्मू कश्मीर को देखिए. जम्मू कश्मीर में हमने 9 साल, मैंने मनमोहन सिंह जी ने, चिदंबरम जी ने काम किया है. 2004 में भयंकर आतंकवाद था. 2012, 13, 14 में हमने आतंकवाद की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी. पाकिस्तान को पराया नेशन बना दिया था. पूरी दुनिया को पता लग गया था कि पाकिस्तान टेररिज्म को सपोर्ट करता था स्ट्रेटजिकली हमने काम किया.

सवाल : पर आपने पब्लिक को नहीं बताया वह पब्लिक को बताते हैं
जवाब : देखिए स्ट्रेटजी के बारे में पब्लिक को बताया नहीं जा सकता है नहीं तो स्ट्रेटजी किस बात की हुई. हमने क्या किया कश्मीर में पंचायती राज, महिलाओं को बैंक से जोड़ा, रतन टाटा को ले गए. रतन टाटा को क्यों ले गए जम्मू कश्मीर के युवाओं को विजन दिखाने के लिए. हिंदुस्तान का यह विज़न है, देखिए हिंदुस्तान क्या कर रहा है इसमें आपको भी शामिल होना पड़ेगा. तो हमने प्लान करके सोच समझ से गहराई से काम किया. मनमोहन सिंह जी ने जो 90 के दशक में काम किया, जो 2004 में काम किया जिससे हिंदुस्तान की इकॉनमी यहां तक पहुंची. वह भाषण देने से नहीं हुआ, वह झूठे वादे करके नहीं हुआ. वह काम उन्होंने सिस्टमैटिक स्ट्रेटजिकली सोच कर किया.

सवाल : क्या राहुल गांधी को लगता है कि चुनाव आयोग पर दबाव है?
जवाब : दबाव है बिल्कुल सेंट परसेंट. नरेंद्र मोदी कुछ कहते हैं अगर कोई और कुछ कहते हैं तो नरेंद्र मोदी को पनिशमेंट नहीं मिलती उनको मिल जाती है.

सवाल : आप ईवीएम के बारे में सीरियसली सोच रहे हैं अगर आप की सरकार आई तो क्या आप ईवीएम हटा देंगे?
जवाब : ये इलेक्शन कमीशन की रिस्पांसिबिलिटी है, अब मैं चुनाव आयोग की इस रिस्पांसिबिलिटी पर टिप्पणी नहीं करूंगा.

सवाल : मगर आप उनका रोल फेयर नहीं मानते हैं?
जवाब: रोल मुझे फेयर नहीं लग रहा है. मुझे यह क्लीयरली दिख रहा है कि जिस प्रकार से चुनाव के फेसेस बनाए गए वह नरेंद्र मोदी जी की मदद करने के लिए बनाए गए हैं. क्लीयरली जिन स्टेट्स में बीजेपी को लास्ट में कैंपेन करना था उन उन स्टेट्स में चुनाव बाद में हुए हैं. क्लीयरली जब कोई और कुछ कहता है तो उसको पकड़ लेते हैं और जब नरेंद्र मोदी वही बात कहते हैं तो कुछ नहीं होता. नरेंद्र मोदी जी अलग-अलग तरीके से गलत तरीके से बोलते हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती.
 
सवाल : सैम पित्रोदा ने ऐसा क्यों बोला?

जवाब : गलत बोला उन्होंने. ऐसे नहीं बोला जा सकता.

सवाल : अब 84 को लेकर बहुत डिबेट हो गया है, बीजेपी कहती है आप जिम्मेदार हैं?
जवाब : 84 पर कोई डिबेट नहीं है. मैंने कल बोला की 1984 में जो हुआ वह एक ट्रेजडी थी. जिन्होंने भी 84 में गलत काम किया है 100% उनको बुक  करा जाना चाहिए, जेल होनी चाहिए, सजा होनी चाहिए, इस बात पर कोई डिबेट नहीं है.

सवाल : मैं एक कमिटमेंट चाहता हूं, आप ने कहा कि एक साल में 400000 लोगों को नौकरी दे देंगे, मैं डेढ़ साल से नौकरी सीरीज कर रहा हूं.
जवाब : 4 लाख नहीं 2200000.

सवाल : मैं ऐसे किसी स्टाफ सिलेक्शन को नहीं जानता जो एक साल में बिना कोर्ट केस, धांधली, पेपर कर दे देगा और यह बयान उसी तरीके से चलेगा जैसे 1500000 वाला चलता है. क्या वाकई राहुल गांधी सीरियस हैं कि इस स्टाफ सिलेक्शन कमीशन में किसी भी स्टेट में अच्छा नहीं है, क्या आप ठीक कर देंगे लड़के बहुत परेशान हैं.
जवाब : हम पूरी कोशिश करेंगे हमारा एसेसमेंट है कि एक साल के अंदर 22 लाख सरकारी नौकरियां दे देंगे.

सवाल : बिना परीक्षा करा कर बिना धांधली के?
जवाब : हमारी पूरी कोशिश होगी मगर हम यहां नहीं रुकने वाले हैं हम वहां नहीं रुकने वाले हैं. मेनिफेस्टो अगर आप पढ़ेंगे हेल्थ केयर में और एजुकेशन में हम पब्लिक एक्सपेंडिचर बढ़ाने वाले हैं जबरदस्त तरीके से.

सवाल : आपने मालदा में कहीं कहा था कि सरकारी कॉलेज का नेटवर्क आप बेहतर करेंगे, आपके यूपीए के समय में भी उस पर ध्यान नहीं दिया गया और इस सरकार में तो और भी ध्यान नहीं दिया गया.
जवाब : यूपीए के समय में ध्यान दिया था.

सवाल : आपको सीरियसली लगता है कि आप इस पर एक्सपेंडिचर बढ़ाएंगे, जिलों में कस्बों में जो कॉलेज हैं जो उनकी हालत है उसको आप ठीक करेंगे?
जवाब : अर्बन हिंदुस्तान में बिना पब्लिक हेल्थ केयर सिस्टम के, बिना पब्लिक एजुकेशन सिस्टम काम नहीं बन सकता. हो ही नहीं सकता तो प्राइवेट इंस्टिट्यूशन का रोल है, पब्लिक इंस्टिट्यूशन का रोल है. पब्लिक इंस्टिट्यूशन रास्ता दिखाता है.

सवाल : जो आप कह रहे हैं, 2012 तक जो मॉडल चूक गया अब नया इन्वेंशन करना पड़ेगा और सरकार की भूमिका को बढ़ाना पड़ेगा?
जवाब : सरकार की भूमिका हेल्थ केयर और एजुकेशन में बढ़ानी पड़ेगी और हाई क्वालिटी इंस्टीट्यूशंस देने पड़ेंगे, देखिये हम एम्स की बात करते हैं, हम आईआईटी की बात करते हैं. बहुत अच्छे इंस्टिट्यूशन हैं मगर 1950 के हैं, 2019 के इंस्टिट्यूशन नहीं है. हम 2019 के इंस्टिट्यूशन बनाना चाहते हैं, हेल्थ केयर में और एजुकेशन में और आइडिया क्या है एक बेसिक नीड को कवर करता है और दूसरा प्राइवेट प्लेयर को मालूम हो आईआईटी है, हाईएस्ट क्वालिटी इन्स्टीटूशन है और हमें इनसे मुकाबला करना है, तो एक गाइड का काम और दूसरा नेटवर्क बनाने का काम.

सवाल : आपने अपने मेनिफेस्टो में मीडिया के बारे में भी कहा है कि कुछ मेकैनिज्म लाना पड़ेगा जिसमें फेयरनेस हो. आपका इंटरव्यू तो चल जाता है और छप जाता है तो फिर भी आपको लगता है कि अपोजिशन को फेयर स्पेस मिलता है?
जवाब : इस पिछले 5 साल में अपोजिशन को फेयर स्पेस नहीं मिला है मीडिया में, बिल्कुल नहीं मिला है.

सवाल : आपको लगता है कि यह री-स्ट्रक्चर करने की जरूरत है?
जवाब : बिल्कुल जरूरत है, मैं आपको बताऊं और राफेल एक ओपन और शट केस है मतलब राफेल में डिफेंस मिनिस्ट्री ऑफिसर ने कहा के प्राइम मिनिस्टर ऑफिस ने पैरेलल नेगोशिएशन किए, प्रधानमंत्री का यह कोई काम नहीं था पैरेलल नेगोशिएशन करने का, जांच होगी, मैं नहीं करवाऊंगा. कानून तोड़ा गया है तो होगी जांच. मगर राफेल जैसे मुद्दे को प्रेस उठाती नहीं है, मतलब प्रेस कांफ्रेंस कर करके हमने प्रेस में उठवाया है. नहीं तो प्रेस का नेचुरल मोड राफेल को उठाने का नहीं था. Rafael is an open and shut case, देखिए इसमें फ्रांस की सरकार ने हजार करोड़ रुपए से ज्यादा उसका टैक्स माफ किया. राफेल डील के एकदम बाद फ्रांस का राष्ट्रपति कहता है अनिल अंबानी को कॉन्ट्रैक्ट देने की बात नरेंद्र मोदी ने मुझसे की, प्रेस को कहता है, फ्रांस का राष्ट्रपति कहता है नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान में हवाई जहाज नहीं बनते, नरेंद्र मोदी ने कहा कि हवाई जहाज 1600 करोड़ रुपए में खरीदा जाएगा, 526 करोड़ में नहीं, नरेंद्र मोदी ने कहा. यह ओपन एंड शट केस है लेकिन सरकार का पूरा दबाव है.

सवाल : तो इस मीडिया के स्ट्रक्चर को आप कैसे ठीक करेंगे?
जवाब : यह तो आप जैसे लोगों के ऊपर है, मगर उस दबाव के बाद कांग्रेस पार्टी राफेल के खिलाफ खड़ी रही सच्चाई के साथ खड़ी रही, एक इंच पीछे नहीं हटी और उसका नतीजा है कि आज चौकीदार चोर है.

प्रेस की बात बातचीत करने के बाद डिस्कशन के बाद और बिना किसी आवाज को दबाए हम यह काम कर सकते हैं, आपकी जगह है, आपका रोल है. किसी पत्रकार ने मुझसे पूछा Was the press unfair to Rahul Gandhi? बिल्कुल नहीं, मैंने कहा प्रेस बिल्कुल अनफेयर नहीं है. यह उनका काम है, कभी आप थोड़ा ज्यादा कर देते हो. अच्छा है करना चाहिए.

सवाल : आप का मजाक उड़ाया गया आपको पप्पू कहा गया. लतीफे बनाए गए, मीम बनाया गया, गुस्सा नहीं आया?
जवाब : मुझे तो मजा आया, मुझे तो मजा आ रहा था.

सवाल : आपने पर्सनली नहीं लिया?
जवाब : कहां पर्सनली लूं, मेरे लिए इससे बड़ा कोई हो ही नहीं सकता, आप मेरे गुरु हो आप सब मेरे गुरु हो.

सवाल : तो इन तमाम मजाक को से आप हंस रहे थे और सीख रहे थे?
जवाब : मुझे बहुत अच्छा लग रहा है

सवाल : पर बहुत लोगों ने कहा है कि मजाक हो रहा है तो इनमें लीडर बनने की संभावना नहीं है आप सीख रहे थे उसी दौरान?
जवाब : मैं सब से सीखता हूं. मैंने बोला मैं नरेंद्र मोदी से सीखता हूं, मैं आरएसएस से सीखता हूं, मैं आपसे सीखता हूं, मैं इनसे सीखता हूं, मैं जहां भी मुझ पर मेरे बारे में कुछ कहा जाता है मैं सुनता हूं.

सवाल : तीन सवाल एक साथ पूछता हूं, क्या नोटबंदी एक स्‍कैम है, अगर है तो क्या आप जांच करेंगे? सोहराबुद्दीन के केस में और जज लोया के केस में क्या राहुल गांधी अगर आप की सरकार आती है सेकुलर फॉरमेशन की तो क्या इन बातों की जांच होगी?
जवाब : हम विन्डिक्टिव नहीं हैं तो हम जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी काम करते हैं, हम वैसा काम नहीं करेंगे. मगर अगर कानून तोड़ा गया है, अगर गलत काम किया गया है, तो कानून अपना काम करेगा. Law will be allowed to take its course, law will not be pressurized one way or the other.

सवाल : आपको लगता है कि ज्यूडिशरी भी प्रेशराइज्ड है इस समय?
जवाब : मुझे क्या लगता है, चार सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा है वह प्रेस के सामने आए और कहते हैं भैया हमें काम नहीं करने दिया जा रहा है कौन सी शक्ति उनको काम नहीं करने दे रही है? किसकी बात कर रहे थे वह, उसी शक्ति से हम लड़ रहे हैं, उसी शक्ति से आप लड़ रहे हैं और आपको भी मतलब बहुत हेट मेल आता है, आपके ऊपर भी आक्रमण होते हैं मैं समझता हूं.

सवाल : प्रियंका संसद में जाएंगी?
जवाब : आप भी काफी बहादुर हैं मुस्कुरा दीजिये थोड़ा.

सवाल : प्रियंका संसद में जाएंगी? वायनाड ये अमेठी? अब तो चुनाव हो गए
जवाब : अब देखना पड़ेगा, इसके बारे में अभी सोचा नहीं हमने.

सवाल : मायावती का आपसे क्या झगड़ा है, उन्होंने आप के लिए अपील की है?
जवाब : मायावती जी देश में एक सिंबल हैं, हमारी पार्टी की नहीं हैं बीएसपी की हैं. मगर देश में उन्होंने एक मैसेज दिया. मैं उनका आदर करता हूं, मैं उनका रेस्पेक्ट करता हूं, मैं उनसे प्यार करता हूं, अच्छी लगती हैं वो मुझे. जरूर बीएसपी में लड़ाई है तो पॉलीटिकल फाइट में कांग्रेस पार्टी विचारधारा के लिए हमें लड़ना पड़ेगा.

सवाल : लेकिन उनके कंट्रीब्यूशन को आप रेस्पेक्ट करते हैं?
जवाब : मैं उनके कंट्रीब्यूशन को रिस्पेक्ट करता हूं, मैं अखिलेश के कॉन्ट्रिब्यूशन की रिस्पेक्ट करता हूं, स्टालिन जी का करता हूं, मैं उससे भी आगे जाता हूं, नरेंद्र मोदी जी की भी कंट्रीब्यूशन है. नरेंद्र मोदी जी ने दिखाया देश को किस प्रकार नहीं चलाना चाहिए.

सवाल : यह कंट्रीब्यूशन है कि देश को किस प्रकार नहीं चलाया?
जवाब : कंट्रीब्यूशन है. मैंने देखा कि अगर आप बिना सोचे, बिना किसी की आवाज सुने अगर आप नोटबंदी जैसा काम करेंगे, देश का नुकसान होगा. यह उनका कंट्रीब्यूशन है. उनका एक और कंट्रीब्यूशन है जो जरूरी है, कम्युनिकेशन स्किल, नरेंद्र मोदी की कम्युनिकेशन स्किल कोई मैच नहीं कर सकता.

सवाल: आप कोशिश भी नहीं करेंगे?
जवाब: नहीं

सवाल: पर आप काफी सहज हो गए हैं टेलीविजन इंटरव्यू को लेकर इतना लेट क्यों किया, प्रिंट को भी दिया टीवी तक आने में कुछ बुनियादी हेसिटशन थी, बी ऑनेस्ट?
जवाब : नहीं, मैं बिल्कुल भी hasitate नहीं कर रहा था, ज्यादा से ज्यादा क्या होगा गलती हो जाएगी, लोग यही कहेंगे कि राहुल गांधी ने गलत आंसर दे दिया. गलतियां तो होती ही रहती हैं, कल भी होंगी परसों भी होंगी, पहले भी हुई हैं.

राहुल गांधी बहुत-बहुत शुक्रिया हमसे बात करने के लिए.

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