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This Article is From Apr 13, 2017

शरद पवार की आत्मकथा 'अपनी शर्तो पर' लोकार्पित, 'ऑन माय टर्म्स' का है हिंदी अनुवाद

शरद पवार की आत्मकथा 'अपनी शर्तो पर' लोकार्पित, 'ऑन माय टर्म्स' का है हिंदी अनुवाद
नई दिल्‍ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख तथा चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षामंत्री एवं कृषि मंत्री रह चुके शरद पवार की आत्मकथा 'अपनी शर्तो पर' का लोकार्पण मंगलवार को राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में हुआ. 'अपनी शर्तो पर' शरद पवार की अंग्रेजी में प्रकाशित आत्मकथा 'ऑन माय टर्म्स' का हिंदी अनुवाद है, जिसे राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है.

'अपनी शर्तो पर' किताब की भूमिका में शरद पवार ने लिखा है, 'यह किताब मैंने अपने जीवन पर  दृष्टिपात करने के लिए तैयार की, साथ ही कुछ जरूरी बातों पर अपने विचार रखने और कुछ बातों के जवाब देने के लिए भी.'

पांच दशक लंबे अपने राजनीतिक जीवन में कोई चुनाव न हारने वाले नेता शरद पवार का यह भी मानना है कि कांग्रेस को भाजपा के सामने खड़े होने के लिए भरोसे के साथ क्षेत्रीय दलों को जोड़ना होगा, जैसे अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में किया था और मनमोहन सिंह ने भी अपने समय में किया था.

कार्यक्रम के संचालक सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि अपनी शर्तो पर जीना आज कल बहुत मुश्किल है और वह भी राजनीति करते हुए. यह पुस्तक यह बताती है कि शरद पवार ने अपने कामों से इसे संभव बनाया.

राज्यसभा सांसद के. सी. त्यागी ने कहा कि भारत की राजनीति में इतनी लंबी पारी शायद ही किसी नेता को नसीब हुई हो. वह मराठवाड़ा से निकल कर देश की राजनीति को प्रभावित करते रहे. जाति, धर्म, क्षेत्र की सभी सीमाएं लांघ कर देश की सेवा करने के लिए हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करते हैं.

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद सीताराम येचुरी ने कहा कि शरद पवार जी नैतिकता के आधार पर एक राजनैतिक नेता के रूप में एक आधुनिक भारत के निर्माण में अपना योगदान करते रहे. उनके योगदान की आज के दौर में बहुत जरूरत है. हमारे संवैधानिक ढांचा का जो बिखराव नजर आ रहा, उससे बचते हुए देश का निर्माण करने में शरद जी की भूमिका की जरूरत है. (एजेंसियों से इनपुट)

राजकमल प्रकाशन समूह के मुख्य प्रबंधक अशोक माहेश्वरी ने कहा कि भारतीय राजनीति की कोई भी चर्चा कुछ जन नायकों के बिना हो ही नहीं सकती. महाराष्ट्र के किसानों की खुशहाली की क्रांति का बीज बोनेवाले शरद पवार का नाम उनमें बहुत आगे है.

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