
Parenting Tips: जन्म के बाद बच्चे को अलग-अलग चीजों के साथ एडजस्ट होने में समय लगता है और नई मां (New Mother) के लिए भी सबकुछ नया होता है. वह इस काम में ना तो माहिर होती है और ना ही पूरी तरह समझ पाती है कि जो कुछ वह कर रही है या उसे बताया जा रहा है वो सही है भी या नहीं. खासकर बात जब बच्चे को सुलाने की आती है तो अक्सर ही कहा जाता है कि बच्चे को गोद की ज्यादा आदत नहीं लगवानी चाहिए और उसे पलंग पर लेटा देना चाहिए. मां यह बात मान भी लेती है लेकिन जैसे ही बच्चे को पलंग (Bed) पर लेटाया जाता है वह रोने लगता है. ऐसे में सब सिर पकड़ लेते हैं कि नवजात को किस तरह सुलाया जाए और बेड की आदत कैसे लगवाई जाए. लेकिन, बच्चों की डॉक्टर यानी पीडियाट्रिशियन (Pediatrician) डॉ, माधवी भारद्वाज की चिंता कुछ अलग है. माधवी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए अपने एक वीडियो में इस बात का जिक्र किया है कि बच्चे को तुरंत बेड पर लेटाने का आदत डलवाना जरूरी नहीं है और बाद में यह काम कैसे करना है इसके टिप्स भी वे दे रही हैं. आइए जानते हैं डॉ. माधवी का इसपर क्या कहना है.
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बेड पर लेटाते ही रोता है बच्चा तो क्या करें | What To Do If Baby Starts Crying When You Put Him Down
पीडियाट्रिशियन ने बताया कि अक्सर ही नई मां को पहली सलाह यही दी जाती है कि बच्चे को गोद की आदत मत लगवाना, हिलाया मत करो आदत हो जाएगी या बेड पर ही लेटाकर रखना. लेकिन, 9 महीने तक बच्चा जब आपके अंदर था तो आपके काम करने से बच्चे को हिलोरे मिल रहे थे और उसी तरह उसे सोने की आदत है.
डॉ. माधवी बताती हैं कि बच्चे को मां की आवाज, धड़कन की आवाज, मां की खुशबू और कंफर्ट की आदत है. यह सब उसे मां के पेट में मिल रहा था. अब बाहर आते ही बच्चे को जब मां सीने से लगाकर सुलाती है तो बच्चे को उसके नेचुरल सूदर्स (Natural Soothers) मिल रहे हैं. बेड पर लेटाने पर बच्चा एकदम से परेशान हो जाता है कि मैं कहां आ गया हूं और इसीलिए वह उठकर रोने लगता है.
जब बड़े लोगों को भी उनके कंफर्ट जोन (Comfort Zone) से निकलकर सोने के लिए कहा जाता है तो उन्हें दिक्कत होती है. ऐसे में पीडियाट्रिशियन का कहना है अगर इतने छोटे बच्चे को उसके कंफर्ट जोन से दूर कर दिया जाएगा तो वह कैसे सोएगा.
कैसे लगेगी बच्चे को बेड पर सोने की आदतडॉक्टर मां को सलाह देती हैं कि इस बात से डरना नहीं है कि बच्चे को मां की आदत हो जाएगी तो काम कैसे करेंगी या काम करने कैसे जाएंगी. शुरुआत में बच्चे को नेचुरल सूदर्स की आदत होती है इसीलिए उसे अपने साथ ही सुलाना चाहिए. धीरे-धीरे अपने हाथ और बिस्तर के बीच में उसे सुलाना शुरू करें और फिर वो धीरे-धीरे पलंग पर सोने की आदत डाल लेगा.
हर बच्चा अलग होता है. किसी को 3 तो किसी को 6 महीने का भी वक्त लग सकता है. मां के अलावा बच्चा अपने पापा के ऊपर या दादी के साथ भी कोंटेक्ट स्लीप (Contact Sleep) कर सकता है. अपनी ब्रेन मैचुरिटी के हिसाब से बच्चा स्लीप की स्टेजेस अचीव करता है. लेकिन शुरुआती 3 से 6 महीनों में बच्चे का मां से कोंटेक्ट ढूंढना या कहें किसी के भी ऊपर सोने की आदत होना नॉर्मल है.
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