
Astro Tourism: भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla In Space) इस वक्त अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) में हैं. पूरे देश में इसको लेकर गर्व और खुशी का माहौल है. लेकिन अब अंतरिक्ष का सफर (Astro Tourism Kya Hai) सिर्फ एस्ट्रोनॉट्स तक ही सीमित नहीं रह गया है. आजकल आम लोग भी अंतरिक्ष और आकाश की दुनिया को करीब से जानने में दिलचस्पी ले रहे हैं. इसी वजह से ‘एस्ट्रो टूरिज्म' का चलन तेजी से बढ़ रहा है. चलिए जानते हैं क्या है ये एस्ट्रो टूरिज्म.
क्या है एस्ट्रो टूरिज्म? (What Is Astro Tourism)
एस्ट्रो टूरिज्म यानी तारों, ग्रहों, चांद और आकाशगंगाओं को निहारने का अनोखा अनुभव. कुछ साल पहले जब सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से धरती पर लौटीं, तो दुनियाभर में उनकी चर्चा हुई थी. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में भारत की खगोल विज्ञान से जुड़ी विरासत का जिक्र किया था. मशहूर सिंगर कैटी पेरी ने भी अंतरिक्ष से जुड़ा अनुभव लिया, जिस के बाद से एस्ट्रो टूरिज्म की चर्चा और बढ़ गई. अब शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा ने लोगों की जिज्ञासा और बढ़ा दी है. अब लोग तारों और ग्रहों की दुनिया को करीब से देखने के लिए एस्ट्रो टूरिज्म की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
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क्यों है इतना पॉपुलर?
युवाओं के बीच एस्ट्रो टूरिज्म इसीलिए ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि यह कुछ नया और अलग अनुभव देता है. नवभारत टाइम्स से बात करते हुए कॉलेज स्टूडेंट विक्की बताते हैं, “पहाड़ और बीच तो हमने देख ही लिए हैं, अब कुछ ऐसा देखने का मन है जो अनोखा हो और जिसे दोस्तों को बताना भी मजेदार लगे. हमें लगा कि एस्ट्रो टूरिज्म बेस्ट रहेगा. इससे पता चलेगा कि हमारी पृथ्वी के बाहर भी कितनी अद्भुत दुनिया है.”
इस बारे में THSC की ज्योति मयाल ने नवभारत टाइम्स से कहा कि एस्ट्रो-टूरिज्म यानी तारों और अंतरिक्ष से जुड़ा पर्यटन, लोगों को हैरान भी करता है और मजा भी देता है. इसलिए यह युवाओं के बीच काफी पॉपुलर है.
साइकॉलजिस्ट डॉ. नितिन कुमार बताते हैं कि रात का चमकता आसमान देखने से स्ट्रेस कम होता है, मन शांत होता है और नींद भी अच्छी आती है. इससे माइंडफुलनेस बढ़ती है और दिमाग फ्रेश हो जाता है.

सिर्फ टूर नहीं, सीख भी
एस्ट्रो टूरिज्म अब सिर्फ घूमने का तरीका नहीं रह गया है, बल्कि यह एक तरह से सीखने का भी अच्छा जरिया बन रहा है. इसमें विज्ञान, रोमांच और प्रकृति, तीनों का बेहतरीन मेल होता है. समाजसेवी देवेंद्र बुढाकोटी कहते हैं कि अब लोग पहाड़, बीच और जंगल जैसी पारंपरिक जगहों से ऊब चुके हैं. अब उन्हें कुछ नया और रोमांचक देखना है. इस मामले में ब्रह्मांड से बड़ा क्या हो सकता है! इसी वजह से अब लोग खुले मैदानों या जंगलों में टेंट लगाकर 'स्टार पार्टी' कर रहे हैं. वहां दूरबीन से तारों को निहारते हैं और रातभर आसमान की खूबसूरती का मजा लेते हैं.
भारत में कहां-कहां है एस्ट्रो टूरिज्म का मजा?
भारत में भी एस्ट्रो टूरिज्म के लिए कई शानदार जगहें हैं. लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची ऑब्जर्वेटरी है, जहां लोग एस्ट्रो कैंपिंग और नाइट फोटोग्राफी का आनंद लेते हैं. तमिलनाडु के कोडाईकनाल में साइंटिफिक टूर और बच्चों के लिए लर्निंग प्रोग्राम होते हैं. उत्तराखंड के बेनीताल और मसूरी में ‘डार्क स्काई रिजर्व' बनाए गए हैं, जहां से आप मिल्की वे, उल्का वर्षा और अनगिनत तारे साफ-साफ देख सकते हैं.
उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने ‘नक्षत्र सभा' नाम से एस्ट्रो टूरिज्म कैंपेन शुरू किया है, जिसमें स्टारगैजिंग, सोलर ऑब्ज़र्वेशन, एस्ट्रो फोटोग्राफी कॉन्टेस्ट और टेंट कैंपिंग जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं.
हिमाचल प्रदेश की स्पीति वैली भी साफ आसमान और ऊंचाई की वजह से एस्ट्रो फोटोग्राफी के लिए मशहूर है. हालांकि, इन पहाड़ी इलाकों में मौसम सही होने पर ही एस्ट्रो टूर का मजा लिया जा सकता है.

क्या रखें ध्यान?
ब्लू ओरिजिन के ट्रैवल एक्सपर्ट अंकुर मिश्रा बताते हैं कि एस्ट्रो टूरिज्म के लिए सबसे जरूरी है साफ और प्रदूषण रहित आसमान. पहाड़, रेगिस्तान या जंगल इसके लिए बेस्ट हैं. साथ ही, आपके पास एक अच्छी दूरबीन और आसमान में घटित होने वाली घटनाओं की जानकारी होनी चाहिए, ताकि आप सही वक्त पर सही चीज देख सकें.
युवाओं के लिए खास वजह
युवाओं को यह टूरिज्म इसलिए भी पसंद आ रहा है क्योंकि इसमें एडवेंचर, ज्ञान और मस्ती तीनों साथ मिलते हैं. तारों की दुनिया में झांकना, रात के खुले आसमान के नीचे बैठना और ब्रह्मांड के रहस्यों को समझना, ये सब बहुत ही नया और रोमांचक अनुभव देता है.
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