
What Is A Green Cracker: हर साल दिवाली पर आसमान जगमगा जाता है, लेकिन उसी के साथ धुआं भी छा जाता है. पटाखों की चमक थोड़ी देर रहती है, मगर उनका असर हवा में दिनों तक बना रहता है. यही वजह है कि देश के कुछ हिस्सों में पटाखों पर बैन है. हालांकि, कुछ जगहों पर दिवाली के मौके पर ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति है. ऐसे में कई लोग इनके बीच फर्क को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. अगर आप भी इन्हीं लोगों में से एक हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए मददगार हो सकता है. आइए जानते हैं कि आखिर आम पटाखों और ग्रीन पटाखों में क्या फर्क होता है.
दिवाली की सफाई करते हुए घर के कोनों में रख दें ये एक चीज, खुद घर से बाहर भाग जाएगा एक-एक चूहा
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
आसान भाषा में समझें तो ग्रीन पटाखे आम पटाखों के मुकाबले बहुत कम धुआं और आवाज करते हैं. इन्हें सीएसआईआर-नीरी (National Environmental Engineering Research Institute) ने तैयार किया है. सामान्य पटाखे जहां 160 डेसीबल तक शोर करते हैं, वहीं ग्रीन पटाखे सिर्फ 110 से 125 डेसीबल तक ही आवाज करते हैं. इसके अलावा इन पटाखों से धुआ नहीं निकलता है. उल्टा इनमें डस्ट रिपेलेंट भी डाला जाता है, जिससे जलने के बाद ये आसपास की धूल को खींच लेते हैं. यानी इन पटाखों से नॉइस और एयर पॉल्यूशन नहीं होता है.
ग्रीन पटाखे 3 तरह के होते हैं.स्वास (SWAS): इसमें से बहुत महीन पानी की बूंदें निकलती हैं जो धूल को खींच लेती हैं.
सफल (SAFAL): इसमें सुरक्षित मात्रा में एलुमिनियम होता है और आवाज भी कम होती है.
स्टार (STAR): इनमें न तो सल्फर होता है, न पोटेशियम नाइट्रेट, इसलिए धुआं बहुत कम निकलता है.
दिवाली के आसपास मार्केट में नकली ग्रीन पटाखे भी मिलने लगते हैं. ऐसे में इनमें फर्क पहचाना बेहद जरूरी हो जाता है. इसके लिए पटाखों की पैकेजिंग पर ध्यान दें. असली ग्रीन पटाखों के बॉक्स पर क्यूआर कोड होता है. इस कोड को 'NEERI' ऐप से स्कैन करें, अगर पटाखा असली होगा तो उसकी पूरी जानकारी तुरंत सामने आ जाएगी. इस तरह आप इस दिवाली को अपने और वातावरण, दोनों के लिए सेफ बना सकते हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं