Parenting Tips For Stubborn Kids: इस तरह दूर होगी बच्चों की जिद्द करने की आदत.
खास बातें
- कई कारणों से बच्चे हो जाते हैं जिद्दी.
- माता-पिता को खास ध्यान देने की होती है जरूरत.
- इस जिद को किया जा सकता है कम.
Stubborn Children: कई बच्चे छोटी उम्र में अत्यधिक लाड़ या फिर अत्यधिक सख्त रवैये के कारण जिद्दी हो जाते हैं. बच्चों की यह जिद्द धीरे-धीरे बढ़ जाती है और माता-पिता (Parents) के लिए मुसीबत का सबब बन जाती है. कभी बच्चे खिलौनो की जिद्द करते हैं, तो कभी दोस्त के जैसी ही चीजें खरीदने की, कभी-कभी यह जिद्द बाजार से कुछ खाने-पीने की होती है तो कभी गलती करके भी माफी ना मांगने की या फिर अपनी बात मनवाते रहने की. बच्चों की जिद्द माता-पिता के दिन का चैन और रातों की नींदे तक छीन लेती है. यहां ऐसी ही कुछ पैरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips) दी जा रही हैं जो बच्चों की इस जिद्द की आदत को छुड़वाने में आपकी मदद करेगी.
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बच्चों की जिद्द से छुटकारा पाने के पैरेंटिंग टिप्स
चुनाव देने की कोशिश करें
बच्चे जब किसी चीज के लिए जिद्द करें तो अपने अनुसार उन्हें कुछ ऑप्शंस दें. चुनाव कम ही रखें जिससे बच्चों को यह ना लगे कि उनकी बात पूरी तरह मानी जा रही है. चुनाव मिलने पर बच्चों को लगने लगता है कि वे ही अपने फैसले ले रहे हैं जबकि असल में बात माता-पिता के अनुसार और उनके ही फायदे की होती है.
कहने-सुनने की कोशिश करें
बच्चे की जिद्द सुनकर गुस्सा करने के बजाय उनकी बात सुनने की कोशिश करें और यह जिद्द गलत क्यों है यह समझाएं. आप बच्चों के साथ प्यारभरा और नर्मी का सलीका अपनाएंगे तो वह ठीक तरह से बिना डरे चीजों को समझ पाएंगे.
अपनी बात पर रहें कायम
ऐसा अक्सर देखा जाता है कि बच्चों की जिद्द से जल्दी से छुटकारा पाने के लिए पैरेंट्स बच्चे को झूठे छलावे देते हैं जिससे बच्चों का माता-पिता से भरोसा (Trust) हट जाता है. इस चलते वे अपने पैरेंट्स पर गुस्सा निकालने के लिए भी और भरोसा किए बिना ही ज्यादा जिद्द करते हैं. इसीलिए कोशिश करें कि आप बच्चों को जो कह रहे हैं उस बात पर कायम भी रहें.
काम करवाने का निकालें तरीका
अगर आप बच्चों को उनके खिलौने या कपड़े और किताबें समेटने के लिए कहते हैं और बच्चा यह काम ना करने की जिद्द करता है तो अगली बार आप खुद इस काम को करने का दिखावा करें और बच्चे से प्यार से कहें कि क्या वह आपकी इस काम में मदद करेगा. आप देख सकेंगे कि बच्चे आगे आकर खुद आपकी मदद करने लगेंगे और अपना काम इस चलते खुद ही करेंगे.
बच्चों के हित का भी सोचें
बच्चों पर अपनी ही बात थोपने की कोशिश करते रहने से वे जिद्दी (Stubborn) होने लगते हैं. इससे बेहतर आप बच्चे के हित की भी सोचें. उसके सोने का समय, खेलने का समय या फिर पढ़ने और टीवी देखने के समय को खुद से निर्धारित करने के बजाय बच्चे की राय भी लें और जो आप दोनों को सही लगे वही फैसला फाइनल करें.