Parenting Tips: बच्चों की सही पेरेंटिंग बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. आगे चल कर बच्चा कैसा एडल्ट बनता है इसके लिए बहुत हद तक पेरेंटिंग जिम्मेदार होती है. आलकज पेरेंट बच्चों के सही पालन पोषण को लेकर बहुत गंभीर हैं. कल तक जहां बच्चों की गलतियों के लिए उन्हें डांटने और मारने को सही माना जाता था अब इसे अच्छा नहीं माना जाता है. बच्चों की सही पेरेंटिंग के लिए बच्चों की साइकोलॉजी समझ कर सही समय पर उन्हें सपोर्ट करना जरूरी होता है. आजकल के पेरेंट्स बच्चों को सही गलत की समझ के लिए नई नई पेरेंटिंग टेक्नीक अपनाते हैं. ऐसी ही एक टेक्नीक है टाइम आउट. चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट भी इस टेक्नीक को बच्चों के बेहतर विकास के लिए अच्छा मानते हैं. आइए जानते हैं क्या है टाइम आउट टेक्नीक और क्या है इसके फायदे.
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क्या है टाइम आउट टेक्नीकटाइम आउट टेक्नीक पेरेंटिंग का ऐसा तरीका है, जिसमें बच्चे के गलती करने पर उसे डांटकर या फटकार तुरंत सजा नहीं दी जाती, बल्कि उसे किसी कमरे में अकेला छोड़ दिया जाता है, जहां उसके एंटरटेनमेंट के लिए कोई ऑप्शन नहीं होता है. इसके साथ ही घर का कोई सदस्य उससे बात भी नहीं करता. ऐसी सिचुएशन में बच्चे को सोचने को समय मिलता है और उसे समझ में आता है उसने गलती की है.
- टाइम आउट टेक्नीक से बच्चों को मेंटली स्ट्रॉन्ग होने में मदद मिलती है. जो आगे की लाइफ में उसके लिए काम की साबित होती है.
- बच्चे को उसकी गलती पर डांटने-मारने से उनके मन में आक्रोश पैदा होने का खतरा होता है और वे जिद्दी भी हो सकते हैं, लेकिन अकेले समय गुजारने से वे अपनी गलती के बारे मे सोचते हैं और खुद को दोबारा ऐसी गलती नहीं करने के लिए तैयार करते हैं.
- इस उपाय की मदद से बच्चे पेरेंट्स की बात मानने लगते हैं..
- टाइम आउट टेक्नीक बच्चों को आत्म निरीक्षण करने का मौका देता है.
- इससे बच्चों के बिहेवियर में पॉजिटिव बदलाव आते हैं और वे पेरेंट्स की बातों को ध्यान से सुनते और मानते हैं.
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