Parenting Tips: बात जब पैरेंटिंग की आती है तो हर माता-पिता की परवरिश का तरीका एक सा नहीं होता. किसी के लिए पैरेंटिंग का मतलब बच्चों को शुरु से ही मन की करने देना होता है तो कोई बच्चों के हर कदम को देखता हुआ चलता है. परवरिश (Parenting) किस तरह की जाए और किस तरह नहीं इस मुश्किल से माता-पिता (Parents) पार पाने में अक्सर मुश्किल महसूस करते हैं. लेकिन, आपकी इस मुश्किल का हल बिजनेस वुमन और इनफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति (Sudha Murty) के पास हो सकता है. सुधा मूर्ति के पैरेंटहुड (Parenthood) और पैरेंटिंग से जुड़े ऐसे कई टिप्स हैं जो माता-पिता के रूप में आपके बेहद काम आ सकते हैं.
सूधा मूर्ति के पैरेंटिंग टिप्स | Sudha Murty's Parenting Tips
शेयर करने का महत्व सुधा मूर्ति कई अवसरों पर शेयर (Share) करने के महत्व की चर्चा कर चुकी हैं. वहीं, अपने बेटे को शेयर कराना सिखाने से जुड़ी एक घटना का भी अक्सर जिक्र करती हैं. एकबार सुधा के बेटे की बड़ी और शानदार बर्थडे पार्टी देने की इच्छा थी जिसका पूरा खर्च तकरीबन 50 हजार रुपए था. इसपर सुधा ने बेटे को सुझाव दिया था कि वह बड़ी पार्टी की बजाए एक छोटी बर्थडे पार्टी दे और बाकी के पैसे ड्राइवर को उनके बच्चे की पढ़ाई के लिए दे दे. शुरुआत में तो बेटा नहीं माना लेकिन बाद में हामी भर दी. सालों बाद जब सुधा के बेटे को स्कॉलरशिप मिली तो उन पैसों को उसने पार्लियामेंट ब्लास्ट में शहीद हुए सिपाहियों के परिवार को देने के लिए अपनी मां से कहा.
मोबाइल के इस्तेमाल पर सुधा की राय
सुधा मूर्ति के अनुसार बच्चों में इलेक्ट्रिक उपकरण जैसे मोबाइल फोन (Mobile Phone), टैबलेट आदि जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने की आदत बड़ो से ही लगती है. अगर माता-पिता खुद जरूरत से ज्यादा फोन से चिपके नहीं रहेंगे तो बच्चों में भी यह बुरी आदत (Bad Habits) नहीं लगेगी. सुधा ने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था कि अगर माता-पिता बच्चों को गैजेट्स इस्तेमाल करने से रोकना चाहते हैं तो पहले उन्हें खुदको रोकना चाहिए.
बच्चे की हर जिद पूरी करने के विषय में सुधा मूर्ति की राय है कि जब बच्चा कुछ मांगे तो इस चीज को तुरंत दिलाने की बजाय ज्यादा से ज्यादा समय निकलने दें. वक्त बीतने के साथ-साथ देखें कि बच्चे को उस चीज की सचमुच जरूरत है या नहीं.
बच्चों को नकारने पर
सुधा का कहना है कि बच्चे को तुरंत किसी बात के लिए मना ना करें या छोटा महसूस ना कराएं. इसकी बजाए बच्चे को चीजों की कद्र (Value) करना सिखाएं और समझाए कि क्यों उसकी किसी इच्छा को पूरा करने में समय लग रहा है.
पैरेंट्स को सुधा मूर्ति की यह खास सलाह है कि वे बच्चों को उनकी खुद की उड़ान भरने दें. वे बच्चों पर ध्यान जरूर दें और नई चीजें एक्सप्लोर करने के लिए गाइडेंस देने के साथ सुपरवाइज भी करें. बच्चों को बांधे ना रखें.
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