
Healthy Tips: घुटनों या जोड़ों का दर्द सिर्फ बड़े बुजुर्गों को होता है यह कल की बात है, आजकल कम उम्र के युवाओं को भी जोड़ों की दिक्कतें (Joint Problems) सताने लगी हैं. वर्तमान समय में लाइफस्टाइल और खानपान ऐसा हो गया है कि कम उम्र में व्यक्ति को उन दिक्कतों से दोचार होना पड़ रहा है जो पहले मध्यवर्गीय लोगों में या फिर वृद्धों में नजर आती थीं. ऑर्थोपेडिक तुषार गुप्ता ने एक पोडकास्ट के दौरान बताया कि यंग जनरेशन में जोड़ों की दिक्कतें क्यों बढ़ रही हैं और कौनसी आदते हैं जिनसे जॉइंट्स पर जरूरत से ज्यादा असर पड़ता है.
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युवाओं में जोड़ों की दिक्कतें होने के कारण | Causes Of Joint Problems In Young Adults
AIIMS के ऑर्थोपेडिक डॉ. तुषार ने बताया कि युवाओं में जोड़ों की दिक्कतें होने का बड़ा कारण लाइफस्टाइल में होने वाले चेंजेस हैं. पहले ही हमारा लाइफस्टाइल ऑफिस, खानपान और वर्कहॉलिक होने से खराब हो रहा था उसपर कोविड आया तो उसके कारण बहुत सी नौकरियां और बिजनेस होम बेस्ड हो गए. वर्क फ्रॉम होम कल्चर आया और अब ज्यादातर लोग अपने पार्टनर, परिवार या दोस्तों के बजाय ज्यादातर समय अपने लैपटॉप, फोन और कंप्यूटर्स के साथ बिताते हैं. यहां तक कि जिस कंपनी में कुलीग्स के साथ वे बाहर-आना जाना करते थे वो भी नहीं हो रहा है. ऐसे में लाइफस्टाइल यंगस्टर्स में जोड़ों के दर्द (Joint Pain) की एक बड़ी वजह है.
किस तरह बच सकते हैं इन दिक्कतों से
- जोड़ों की दिक्कतों से बचने के लिए लाइफस्टाइल एक्टिव होना जरूरी है. अपनों के साथ समय बिताना, बाहर निकलना, रोजाना वॉक करना और चलते-फिरते रहना कई दिक्कतों से छुटकारा दिलाता है.
- बहुत ज्यादा बैठे रहने से पैरों की मजबूती कम होने लगती है. न्यूट्रिशनिस्ट जीनल शाह का कहना है कि सिटिंग जॉब करने वालों को हर आधे घंटे में 3 मिनट के लिए अपनी सीट से उठकर खड़े होना चाहिए या फिर वॉक (Walk) करनी चाहिए.
- अपने वजन को मेंटेन करना जरूरी है. मोटापे के कारण जोड़ों पर जरूरत से ज्यादा असर पड़ता है. ऐसे में हेल्दी वेट मैनेजमेंट से जोड़ों की दिक्कतें कम होती हैं.
- रोजाना थोड़ी-बहुत एक्सरसाइज करते रहें. आप साइक्लिंग, स्विमिंग या एरोबिक्स भी कर सकते हैं.
- अपने पोश्चर को सुधारने की कोशिश करें. अगर पोश्चर खराब (Bad Posture) होगा तो जोड़ों पर ज्यादा जोर पड़ेगा. इससे कमर का दर्द और गर्दन की अकड़न भी बढ़ती है.
- अपने खानपान में एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड्स को शामिल करें. बेरीज को डाइट का हिस्सा बनाएं. इसके अलावा ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर फैटी फिश, अखरोट और अलसी के बीज खाए जा सकते हैं. खानपान में पूर्ण अनाज, फलों और सब्जियों को भी हिस्सा बनाएं.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.