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बच्चों का स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए? स्क्रीन टाइम के लिए 30 30 30 नियम क्या है, जानते हैं आप

रिसर्च में पाया गया कि भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चे औसतन 2.22 घंटे रोज स्क्रीन पर बिताते हैं. ये समय WHO और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सुझाए गए समय से दोगुना है.

बच्चों का स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए? स्क्रीन टाइम के लिए 30 30 30 नियम क्या है, जानते हैं आप
Symptoms of weak eyesight in kids : स्क्रीन टाइम कितने घंटे आंखों के लिए स्वस्थ है?

Screen Time And Its Effect On Kids: आपका बच्चा भी स्क्रीन के सामने घंटो बिताता है तो ये खबर आपके लिए चौंकाने वाली है. जून 2025 में AIIMS रायपुर ने एक स्टडी की थी. जो Cureus जर्नल में छपी है. इस स्टडी (Health Study) कुछ ने चौंकाने वाला सच सामने रखे है. रिसर्च में पाया गया कि भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चे औसतन 2.22 घंटे रोज स्क्रीन (Screen Time in Children) पर बिताते हैं. ये समय WHO और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के सुझाए गए समय से दोगुना है. सबसे चिंता की बात ये है कि दो साल से कम उम्र के बच्चे भी रोज 1.23 घंटे स्क्रीन पर समय बिता रहे हैं.(Digital Addiction in Kids) जबकि इस उम्र के लिए डॉक्टर पूरी तरह नो-स्क्रीन की सलाह देते हैं.

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ज्यादा स्क्रीन टाइम के नुकसान (Harmful Effects Of More Screen Time)


कई शोधों में पाया गया है कि
• लगातार स्क्रीन देखने से कम उम्र के बच्चों में विकास धीमा हो जाता है. खासकर बोलने और भाषा सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है.
• लंबे समय तक स्क्रीन पर रहने से मायोपिया (नजदीक का चश्मा) होने का खतरा बढ़ जाता है.
• बच्चे ज्यादा चिड़चिड़े हो जाते हैं. नींद खराब होती है और दूसरों से बातचीत करने की आदत कम हो जाती है.
• कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास और माता पिता के वर्क फ्रॉम होम ने बच्चों का स्क्रीन टाइम और भी बढ़ा दिया है.

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बच्चों की आंखों और सेहत की सुरक्षा कैसे करें (How To Protect Kids Eyes)


स्टडी के अनुसार, माता-पिता इन आसान उपायों से बच्चों का स्क्रीन टाइम कम कर सकते हैं:
1. नो-स्क्रीन जोन बनाएं - जैसे डाइनिंग टेबल और बेडरूम में मोबाइल लाना अलाऊ न करें.
2. खाने के समय मोबाइल न इस्तेमाल करें, ताकि बच्चे भी इस आदत को अपनाएं.
3. 20-20-20 नियम अपनाएं - हर 20 मिनट बाद, 20 फीट दूर किसी चीज को 20 सेकंड देखें.
4. ब्लू लाइट फ़िल्टर चश्मा इस्तेमाल करें, ताकि आंखों पर कम असर पड़े.
5. अच्छी लाइटिंग में काम करें, सीधे तेज रोशनी या सूरज की चमक स्क्रीन पर न पड़े.
6. खुद सही आदतें अपनाएं - माता-पिता अगर सीमित स्क्रीन इस्तेमाल करेंगे तो बच्चे भी सीखेंगे.
7. ऑफलाइन खेल और पढ़ाई को बढ़ावा दें - किताबें पढ़ें, बच्चों को आउटडोर या इनडोर गेम्स में शामिल करें.
8. जागरूकता फैलाएं - स्कूल, डॉक्टर और माता-पिता मिलकर बच्चों में हेल्दी स्क्रीन हैबिट्स डालें.

नियमित आंखों की जांच जरूरी (Regular eye check-up is essential)


जैसे जैसे बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है, वैसे वैसे नियमित आंखों की जांच भी जरूरी है. स्कूलों और पेरेंट्स को मिलकर बच्चों के लिए आई चेकअप कैंप कराने चाहिए. ताकि समय रहते मायोपिया, ड्राई आई और विज़न प्रॉब्लम्स का इलाज हो सके.

स्क्रीन टाइम के लिए 30 30 30 नियम क्या है?

यहां 4 सुझाव दिए गए हैं,  जो हर माता प‍िता को अपने बच्चों को सिखाना चाहिए और खुद भी उनका पालन करना चाहिए.  30 x 30 x 30 नियम: हर 30 मिनट में, 30 सेकंड के लिए स्क्रीन से नजर हटा लें और कम से कम 30 फुट की दूरी पर रखी चीज की पर ध्यान केंद्रित करना चाह‍िए. इस तकनीक आंखों को नमीयुक्त रखने में काफी हद तक मदद म‍िलती है और यह तकनीक आपके ध्‍यान यानी फोकस करने के तंत्र को रीसेट करती है. इससे बच्‍चे की आंख का व‍िजन खराब होने से बचता है. 



डिजिटल युग में नई सोच (New Thinking in the Digital Era)


अब स्क्रीन टाइम पर सिर्फ पाबंदी लगाना काफी नहीं है. हमें बच्चों में डिजिटल लिटरेसी, सही स्क्रीन आदतें और आंखों की देखभाल को लेकर जागरूकता फैलानी होगी.
भविष्य में जब स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लर्निंग आम हो जाएगी. तब स्कूलों में ही बच्चों को हेल्दी डिजिटल प्रैक्टिसेस सिखाना जरूरी होगा. पेरेंट्स, टीचर्स, डॉक्टर और पॉलिसी बनाने वाले लोग मिलकर ही स्क्रीन-समझदार (screen-smart) पीढ़ी तैयार कर सकते हैं. ऐसी पीढ़ी जो डिजिटल दुनिया में आगे बढ़े लेकिन तेज दिमाग और स्वस्थ आंखों के साथ.

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