
Success Story: भारतीय सेना की ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) चेन्नई का मैदान उस दिन गवाह बना जब एसएससी 120 और एसएससी वीमेन-34 बैच की पासिंग आउट परेड हुई. कैडेट्स ने दमदार कदमों से मार्च किया और पहली बार कंधों पर सितारे सजाकर देश सेवा का संकल्प लिया. यही वो पल था जब भीड़ की नजरें चेन्नई के वरप्रसाद पर टिक गईं. एक ऐसे नौजवान पर जिसने गरीबी को मात देकर इतिहास रच दिया.
संघर्ष से निकलकर मिली कामयाबी
वरप्रसाद एक दिहाड़ी मजदूर परिवार से आते हैं. हालात इतने मुश्किल थे कि 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. लेकिन हिम्मत ने हार नहीं मानी. एक साल बाद उन्होंने दोबारा पढ़ाई शुरू की. पार्ट-टाइम काम किया और स्कूल टॉपर बनकर सबको चौंका दिया.
IIM का सुनहरा ऑफर ठुकराया
लोयोला कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन और मास्टर्स करने के बाद वरप्रसाद ने UGC NET-JRF पास किया. यहां तक कि IIM से उन्हें फुल फंडेड पीएचडी का ऑफर भी मिला. मगर वरप्रसाद का सपना कुछ और था. उनकी आंखों में तो ऑलिव ग्रीन वर्दी पहनकर मातृभूमि की सेवा करने का ख्वाब सजा हुआ था. इसलिए उन्होंने करियर का सुनहरा ऑफर ठुकराकर सेना का रास्ता चुना.
पासिंग आउट परेड का गौरव
जब OTA चेन्नई के परेड ग्राउंड पर वरप्रसाद ने लेफ्टिनेंट के रूप में मार्च किया तो माता-पिता की आंखें गर्व से छलक पड़ीं. उनके कदमों की गूंज सिर्फ परेड ग्राउंड तक सीमित नहीं रही, बल्कि हजारों युवाओं के दिलों तक पहुंच गई. ट्रेनिंग कमांड ने उन्हें ‘विद्वान योद्धा' कहकर सम्मानित किया, क्योंकि उन्होंने पढ़ाई और पराक्रम दोनों में मिसाल कायम की.
राजपूत रेजीमेंट में शामिल होकर वरप्रसाद ने उस परंपरा को भी सलाम किया, जहां से शहीद मेजर मुकुंद वरदराजन ने सेवा की थी. उनकी ये यात्रा बताती है कि सपनों को पूरा करने के लिए हालात नहीं, हौसले मायने रखते हैं.
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