आंद्रे रसेल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
वेस्ट इंडीज़ के हरफनमौला खिलाड़ी आंद्रे रसेल आज टी-20 फॉर्मेट के सबसे कामयाब ऑल-राउंडरों में से एक हैं, लेकिन क्रिकेट खेलना उनका पहला सपना नहीं था। वह तो फुटबॉल के दीवाने थे। वह अपनी स्कूल की टीम से फॉरवर्ड की भूमिका में खेलते थे, लेकिन अक्सर खराब गोलकीपिंग के कारण उनकी टीम मैच हार जाती थी और तभी रसेल ने कोच से कहा कि वह फॉरवर्ड नहीं बल्कि गोलकीपर की तरह टीम में खेलना चाहते हैं और वे बखूबी ये काम करने भी लगे।
ऐसे मिला क्रिकेट खेलने का मौका
उन्हें क्लेरॉनडन कॉलेज से फुटबॉल के लिए स्कोलरशिप भी मिलने लगी पर उनकी टीम इतनी मजबूत थी कि उन्हें मैदान पर उतरने के कम ही मौके मिले। एक दिन फुटबॉल खेलने के बाद वह अपने दोस्तों के साथ चले गए, जो क्रिकेट खेल रहे थे। रसेल तेज गेंदबाज़ी तो करते थे, लेकिन वह इतने आक्रामक बल्लेबाज़ थे कि उन्होंने अंपायर के पास मौजूद सभी गेंद खो डालीं। उनके स्कूल के कोच उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने रसेल को क्रिकेट टीम में खेलने का न्योता दे दिया, लेकिन रसेल ने कहा कि उन्हें तेज गेंदबाजी खेलने से काफी डर लगता है। 2 साल के भीतर वह सीनियर टीम में खेलने लगे।
रसेल को विकेटकीपिंग भी करनी पड़ी
रसेल को यहां भी विकेटकीपिंग करनी पड़ी, क्योंकि वह जब गेंदबाज़ी करते थे तो विकेटकीपर अक्सर 30-40 रन बाय के खर्च कर देता था। टीवी पर एडम गिलक्रिस्ट को देखकर उन्होंने विकेटकीपिंग सीख भी ली। जमैका कि ओर से उन्होंने पहला अंडर-19 का कैंप बतौर विकेटकीपर ही पूरा किया था।
दादी मां के कहने पर क्रिकेट को चुना
17 साल की उम्र में उन्हें जमैका की ओर से अंडर-19 में खेलना का मौका मिला, लेकिन उसी समय उन्हें फुटबॉल संघ से फोन आया की वह जमैका कि अंडर-20 में शामिल किए गए हैं। आखिरकार अपनी दादी मां के कहने पर उन्होंने क्रिकेट को चुना।
संगीत के भी हैं बड़े शौकीन
वह संगीत के भी बड़े शौकीन हैं। क्लास में बैठकर वह बेंच पर अक्सर धुन बनाया करते थे और लड़कियों के सामने खूब गाना गाते थे, लेकिन रसेल का कहना है कि उन्हें कभी अपनी आवाज पर इतना भरोसा नहीं था इसलिए वह संगीतकार नहीं बनना चाहते थे।
ऐसे मिला क्रिकेट खेलने का मौका
उन्हें क्लेरॉनडन कॉलेज से फुटबॉल के लिए स्कोलरशिप भी मिलने लगी पर उनकी टीम इतनी मजबूत थी कि उन्हें मैदान पर उतरने के कम ही मौके मिले। एक दिन फुटबॉल खेलने के बाद वह अपने दोस्तों के साथ चले गए, जो क्रिकेट खेल रहे थे। रसेल तेज गेंदबाज़ी तो करते थे, लेकिन वह इतने आक्रामक बल्लेबाज़ थे कि उन्होंने अंपायर के पास मौजूद सभी गेंद खो डालीं। उनके स्कूल के कोच उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने रसेल को क्रिकेट टीम में खेलने का न्योता दे दिया, लेकिन रसेल ने कहा कि उन्हें तेज गेंदबाजी खेलने से काफी डर लगता है। 2 साल के भीतर वह सीनियर टीम में खेलने लगे।
रसेल को विकेटकीपिंग भी करनी पड़ी
रसेल को यहां भी विकेटकीपिंग करनी पड़ी, क्योंकि वह जब गेंदबाज़ी करते थे तो विकेटकीपर अक्सर 30-40 रन बाय के खर्च कर देता था। टीवी पर एडम गिलक्रिस्ट को देखकर उन्होंने विकेटकीपिंग सीख भी ली। जमैका कि ओर से उन्होंने पहला अंडर-19 का कैंप बतौर विकेटकीपर ही पूरा किया था।
दादी मां के कहने पर क्रिकेट को चुना
17 साल की उम्र में उन्हें जमैका की ओर से अंडर-19 में खेलना का मौका मिला, लेकिन उसी समय उन्हें फुटबॉल संघ से फोन आया की वह जमैका कि अंडर-20 में शामिल किए गए हैं। आखिरकार अपनी दादी मां के कहने पर उन्होंने क्रिकेट को चुना।
संगीत के भी हैं बड़े शौकीन
वह संगीत के भी बड़े शौकीन हैं। क्लास में बैठकर वह बेंच पर अक्सर धुन बनाया करते थे और लड़कियों के सामने खूब गाना गाते थे, लेकिन रसेल का कहना है कि उन्हें कभी अपनी आवाज पर इतना भरोसा नहीं था इसलिए वह संगीतकार नहीं बनना चाहते थे।
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