
पटना:
बिहार के गोपालगंज ज़िले में कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से हुई मौतों के मामले में गुरुवार को नगर थाना के प्रभारी समेत सभी 25 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. वहीं, जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के बाद मृतकों के परिजन बेहाल हैं. मृतक शशिकांत के पिता विजय कांत ने सवालिया लहजे में पूछा कि अगर सूबे में शराब बंदी है तो मेरे बेट की मौत क्यों हुई.
विपक्ष के निशाने पर आई नीतीश सरकार
कथित तौर पर शराब के सेवन से मरने वालों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है. विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. उधर, गोपालगंज सए 160 किमी दूर पुलिस ने छापेमारी करते हुए करीब 300 लीटर अवैध शराब जब्त की. अवैध शराब की 20 भट्टियों को नष्ट कर दिया. इस सिलसिले में 6 लोगों को गिरफ्तर किया है. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट शराब से मौत की पुष्टि नहीं करती है लेकिन मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने और परीक्षण कराने की बात कही है.
शराबबंदी बनी गले की फांस
पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सख्त संदेश देने की कोशिश की है. नीतीश कुमार ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में शराब बंदी को मुद्दा बनाया था और जीतने के बाद तय समय से 6 माह पहले ही इस फैसले को लागू करा दिया. हालांकि, शुरुआत में आंशिक बंद की योजना जिसे बाद में पूर्ण शराब बंदी में तब्दील कर दिया गया. नीतीश कुमार शराबबंदी के बाद विपक्ष के निशाने पर रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि पूर्ण शराबबंदी से अवैध शराब का उत्पादन बढ़ेगा. उधर, शराबबंदी कानून के चलते करीब 200 से अधिक पुलिस अधिकारी प्रमोशन लेने से इनकर कर चुके हैं.
नीतीश बोले, नहीं हटेगा बैन
इससे पहले गुरुवार की सुबह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोपालगंज की घटना पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा था, "इस तरह की घटनाएं होंगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम शराबबंदी रोक देंगे. मुझे पता है कि शराब माफिया सक्रिय हैं. यह समय इन चुनौतियों से निपटने का है."
अपने परिजनों की मौत से दु:खी इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. मृतक शशिकांत के पिता विजय कांत ने यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या यह कार्रवाई पर्याप्त है, पर कहा, "हमें नहीं पता कि उसने शराब कैसे पी. वह सोमवार की शाम को घर आया और अचानक बीमार पड़ गया. पुलिस ने इस स्थान पर बुधवार को छापा मारा. जब पिछले तीन माह से शराबबंदी लागू है तो वह अभी तक कहां थे?"
विपक्ष के निशाने पर आई नीतीश सरकार
कथित तौर पर शराब के सेवन से मरने वालों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है. विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. उधर, गोपालगंज सए 160 किमी दूर पुलिस ने छापेमारी करते हुए करीब 300 लीटर अवैध शराब जब्त की. अवैध शराब की 20 भट्टियों को नष्ट कर दिया. इस सिलसिले में 6 लोगों को गिरफ्तर किया है. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट शराब से मौत की पुष्टि नहीं करती है लेकिन मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने और परीक्षण कराने की बात कही है.
शराबबंदी बनी गले की फांस
पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सख्त संदेश देने की कोशिश की है. नीतीश कुमार ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में शराब बंदी को मुद्दा बनाया था और जीतने के बाद तय समय से 6 माह पहले ही इस फैसले को लागू करा दिया. हालांकि, शुरुआत में आंशिक बंद की योजना जिसे बाद में पूर्ण शराब बंदी में तब्दील कर दिया गया. नीतीश कुमार शराबबंदी के बाद विपक्ष के निशाने पर रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि पूर्ण शराबबंदी से अवैध शराब का उत्पादन बढ़ेगा. उधर, शराबबंदी कानून के चलते करीब 200 से अधिक पुलिस अधिकारी प्रमोशन लेने से इनकर कर चुके हैं.
नीतीश बोले, नहीं हटेगा बैन
इससे पहले गुरुवार की सुबह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोपालगंज की घटना पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा था, "इस तरह की घटनाएं होंगी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम शराबबंदी रोक देंगे. मुझे पता है कि शराब माफिया सक्रिय हैं. यह समय इन चुनौतियों से निपटने का है."
अपने परिजनों की मौत से दु:खी इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है. मृतक शशिकांत के पिता विजय कांत ने यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या यह कार्रवाई पर्याप्त है, पर कहा, "हमें नहीं पता कि उसने शराब कैसे पी. वह सोमवार की शाम को घर आया और अचानक बीमार पड़ गया. पुलिस ने इस स्थान पर बुधवार को छापा मारा. जब पिछले तीन माह से शराबबंदी लागू है तो वह अभी तक कहां थे?"
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