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This Article is From Nov 26, 2019

कौन है महाराष्‍ट्र की राजनीति का 'चाणक्‍य'? बेदाग निकले शरद पवार

शिवसेना प्रमुख ने भी शरद पवार की बातों पर भरोसा दिखाया. इस दौरान शरद पवार ने उन विधायकों को भी प्रेस के सामने किया जो सुबह राजभवन में दिखे थे. उन्‍होंने कहा कि अजित के साथ 10 या 11 विधायक होंगे जो वापस आ जाएंगे. उनको गलत जानकारी देकर राजभवन बुलाया गया था.

कौन है महाराष्‍ट्र की राजनीति का 'चाणक्‍य'? बेदाग निकले शरद पवार
NCP प्रमुख शरद पवार (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली:

महाराष्‍ट्र में बीजेपी-एनसीपी की सरकार बनने के बाद सबसे ज्‍यादा परेशान शरद पवार (Sharad Pawar) दिखे. कारण था नई सरकार के गठन में पर्दे के पीछे कहीं उनकी कोई योजना तो नहीं थी? कई कयास लगाए गए. एक खबर आई कि बीजेपी की ओर से शरद पवार (Sharad Pawar) को राष्‍ट्रपति पद का ऑफर किया गया है इसलिए महाराष्‍ट्र में खेल पलट सकता है. पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने राज्‍यसभा में एनसीपी और शरद पवार (Sharad Pawar) की तारीफ कर दी थी तो उसके बाद आई इस खबर पर लोगों को संदेह नहीं हुआ. राष्‍ट्रपति शासन लगने के बाद शरद पवार पीएम मोदी से मिलने गए और कहा कि वो किसानों की समस्‍याओं पर बात करने के लिए गए थे. इन सब घटनाओं के बाद 23 नवंबर की सुबह महाराष्‍ट्र की सियासी तस्‍वीर एकदम से बदल गई थी. लोगों का जो शक था वो यकीन जैसा होने लगा था.

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23 नवंबर की घटना के बाद शरद पवार के बयान की प्रतीक्षा सबको थी. दोपहर में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के साथ शरद पवार ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की. उन्‍होंने कहा कि हम एकजुट हैं और एकजुट रहेंगे. अजित पवार (Ajit Pawar) के विषय में कहा कि जो भी हुआ वो उनका निर्णय था. इसमें मेरी या एनसीपी की कोई सहमति नहीं थी. उन्‍होंने जो किया उसकी सजा उनको मिलेगी. शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख ने भी शरद पवार की बातों पर भरोसा दिखाया. इस दौरान शरद पवार ने उन विधायकों को भी प्रेस के सामने किया जो सुबह राजभवन में दिखे थे. उन्‍होंने कहा कि अजित के साथ 10 या 11 विधायक होंगे जो वापस आ जाएंगे. उनको गलत जानकारी देकर राजभवन बुलाया गया था. इस बात पर भी जोर दिया कि एनसीपी के सभी विधायक हमारे साथ हैं.

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शरद पवार ने अगले दिन एनसीपी विधायकों की बैठक बुलाई. उस बैठक में चार विधायकों को छोड़ कर सभी आए. अब यह साफ हो गया था कि अजित पवार के साथ कोई नहीं है. अजित पवार ने सभी विधायकों के हस्ताक्षर वाले उस पत्र का दुरूपयोग किया था जो कि कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की सरकार गठन के लिए तैयार किए गए थे.

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अगले दिन शाम में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के 162 विधायक होटल में जमा हुए और एकता का प्रदर्शन किया. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई और अगले दिन फैसला आ गया. इस दौरान अजित पवार को मनाने की कोशिश जारी रही. शरद पवार ने भी अजित से बात की. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अजित पवार ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया और इस तरह यह साफ हो गया कि महाराष्‍ट्र में बीजेपी की सरकार फ्लोर टेस्‍ट से पहले ही गिर गई है. देवेंद्र फडणवीस को अपने पद से इस्‍तीफा देना पड़ा. बीजेपी-एनसीपी की सरकार बनने और सरकार गिरने के बीच शरद पवार अपनी बात पर कायम रहे और महाराष्‍ट्र के पूरे सियासी समीकरण को अपने अनुसार तैयार कर लिया. महाराष्‍ट्र की राजनीति में शरद पवार ने अपनी बात को भी सही साबित किया कि एनसीपी गठबंधन के साथ एकजुट है. बीजेपी सरकार 72 घंटे में धाराशायी हो गई और अजित पवार वापस एनसीपी में आ गए.

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