पी चिदंबरम (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एयरसेल-मैक्सिस मामले में दिल्ली की अदालत ने सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ती को अग्रिम जमानत दे दी है. साथ ही अदालत ने पी. चिदंबरम, उनके बेटे कार्ती को सीबीआई, ईडी द्वारा दर्ज एयरसेल-मैक्सिस मामलों में जांच में शामिल होने का निर्देश दिया. इससे पहले सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ती की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर दोपहर दो बजे सुनाए जाने वाले आदेश को टालने का अनुरोध किया जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया. आइये आपको 5 प्वाइंट्स में बताते हैं कि ये पूरा मामला क्या है.
- यह केस फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से जुड़ा है. 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील को पी चिदंबरम ने बतौर वित्त मंत्री मंजूरी दी थी.
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम पर आरोप है कि उनके पास उस वक्त 600 करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्ट प्रपोजल्स को ही मंजूरी देने का अधिकार था.
- इससे बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए उन्हें आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी लेनी जरूरी थी. लेकिन पी. चिदंबरम ने ऐसा नहीं किया और नियमों को दरकिनार किया.
- आपको बता दें कि एयरसेल-मैक्सिस डील केस 3500 करोड़ की एफडीआई की मंजूरी का था. जिसके लिए कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की मंजूरी ली जानी थी.
- इसके बावजूद एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की मंजूरी नहीं ली और खुद ही इसे मंजूर कर दिया.
पी चिदंबरम को ईडी मामले में अग्रिम जमानत नहीं
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