वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री जयंती नटराजन का इस्तीफा अपने पीछे कई सवाल छोड़ गया है। पहले इसे संगठनात्मक फेरबदल से जोड़ कर देखा गया, लेकिन कांग्रेस को संगठन की मज़बूती के लिए क्या वाकई जयंती की ज़रूरत है या फिर उन्हें प्रोजेक्ट्स क्लियर न करने की सज़ा दी गई।
जयंती नटराजन का कहना है कि वह पार्टी में काम करना चाहती हैं इसलिए इस्तीफ़ा दिया है। जयंती नटराजन पिछले ढाई साल से वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री थीं। प्रभार स्वतंत्र था। फिर भी उनके मंत्रालय में प्रोजेक्ट्स की फ़ाइल्स अटकने की भारी शिकायत थी।
इसके बावजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नटराजन को हटा नहीं पा रहे थे। वजह, नटराजन की गांधी परिवार से नज़दीकी थी।
लेकिन, जब उद्योगपतियों की सीधी शिकायत राहुल के कान में पहुंची तो फैसले में देर नहीं लगी। नटराजन के इस्तीफ़े के कुछ ही घंटे के भीतर फिक्की में राहुल के भाषण ने मामले को पूरी तरह साफ कर दिया।
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने फिक्की में भाषण के दौरान कहा था कि कई लोगों ने पर्यावरण मंज़ूरी न मिल पाने की वजह से प्रोजेक्ट लेट होने पर निराशा जताई है। पर्यावरण और सामाजिक नुकसान नहीं होना चाहिए, लेकिन फ़ैसले पारदर्शी समय पर और उचित होने चाहिए।
चाहे स्टील हो बिजली हो या फिर खनन मंत्रालय प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी में देरी की शिकायत हर तरफ से आ रही थी। नेशनल हाईवे ऑथोरिटी को तो 2200 करोड़ के प्रोजेक्ट में देरी की वजह से पर्यावरण मंत्रालय के खिलाफ कोर्ट तक जाना पड़ा। मामला पीएमओ की दख़ल के बाद ही सुलझा।
जयंती नटराजन की सफाई है कि मंज़ूरी में देरी राज्य सरकारों की वजह से होती है। इस्तीफ़े पर सफाई भी आ रही है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि काम के हिसाब से लोगों को शिफ्ट किया जाता है। आम जनता महंगाई से परेशान है तो उद्योगपति फैसले में देरी के सरकारी रवैये से। 2014 का चुनाव सिर पर है। फैसले में देरी की बात ख़ुद प्रधानमंत्री भी कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में स्वीकार चुके हैं। ऐसे में विकास दर में सुधार कर कांग्रेस मैदान में मज़बूत होना चाहती है।
वरिष्ठ पत्रकार प्रो. एस राजगोपालन का कहना है कि आनेवाले कुछ दिनों 4−5 और इस्तीफ़े होंगे।
जयंती नटराजन ने 90 के दशक में नरसिम्हाराव के खिलाफ झंडा बुलंद कर कांग्रेस छोड़ दिया था। जीके मूपनार के साथ तमिल मनिला कांग्रेस बना ली थी। वो कांग्रेस में तब लौटीं जब सोनिया पार्टी में सक्रिय हुईं। अब वह सरकार से पार्टी में लौट रही हैं। प्रधानमंत्री ने उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं दी हैं।
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