- राजस्थान के सीकर में एक 9 साल की बच्ची को अचानक हार्ट अटैक आया और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई.
- कोविड महामारी के बाद बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं, जो पहले कम देखे जाते थे.
- भारत में 2022 में 14 साल से कम उम्र के 114 बच्चों की हार्ट अटैक से मौत हुई, जो चिंता का विषय है.
राजस्थान के सीकर में एक लंच ब्रेक के दौरान एक 9 साल की लड़की को हार्ट अटैक आ गया और जब तक उसे अस्पतला ले जाया गया, तब तक उसकी मौत हो गई. ये खबर डराती है और एक गहरा सवाल भी छोड़ती है. सवाल ये है कि एक 9 साल की बच्ची को हार्ट अटैक कैसे आ सकता है? क्या भारत में अब कम उम्र के बच्चों में भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है? अगर बच्चों में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं तो इसका कारण क्या है और अगर आपके घर में भी छोटे बच्चे हैं तो आपको क्या करना चाहिए? एनडीटीवी के चर्चित शो 'कचहरी' में बात इसी मुद्दे पर.
9 साल की बच्ची की हार्ट अटैक से मौत पर स्कूल के टीचर और बच्चों को अब भी विश्वास नहीं हो रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि ये बच्ची सुबह जब स्कूल आई, तब बिलकुल फिट थी. लंच ब्रेक से पहले भी इसने किसी बच्चे या टीचर को ये नहीं कहा कि इसे कोई तकलीफ हो रही है. लंच ब्रेक में जब बाकी बच्चे खाना खा रहे थे, तब इसने भी अपना लंच बॉक्स खोला लेकिन इसी के तुरंत बाद बच्ची नीचे गिर गई और स्कूलवालों को यही लगा कि इसे मिर्गी का दौरा पड़ा है. आनन-फानन में इसे अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने बताया कि इसे दिल का दौरा पड़ा है. इस दौरान बच्ची को CPR भी दिया गया और इस वक्त तक बच्ची जिंदा थी. डॉक्टरों ने सलाह दी कि अगर इसे सीकर के बड़े अस्पताल लेकर जाया जाएगा तो इसकी जान बच जाएगी लेकिन एम्बुलेंस से सीकर ले जाते वक्त इस बच्ची ने दम तोड़ दिया और इस घटना ने सबको डरा दिया.
कोविड के बाद बढ़ी समस्या
9 साल की प्राची चौथी कक्षा में पढ़ती थी. इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था, जब उसने अपनी छाती और दिल में दर्द की शिकायत की हो. हमारे पास इस बच्ची के कुछ VIDEOS भी है, जिनसे इस बात की पुष्टि होती है कि इस बच्ची को मोटापे की भी समस्या नहीं थी. ये पतली-दुबली लड़की थी और खेलकूद के साथ पढ़ाई में भी काफी होनहार थी, लेकिन इस साइलेंट हार्ट अटैक ने उसे इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा कर दिया.
कोविड से पहले बच्चों में हार्ट अटैक की समस्या कम थी, लेकिन कोविड के बाद साइलेंट हार्ट अटैक से छोटे छोटे बच्चों की मौतें हो रही हैं. पहले मेरठ और बागपत में 7-7 साल के बच्चों की हार्ट अटैक से मौत हुई और अब राजस्थान में 9 साल की बच्ची हार्ट अटैक से मर गई.
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया है, जहां हार्ट अटैक से मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं. 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हार्ट अटैक से सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं. 2012 से तुलना करें तो 10 सालों में 2022 तक हार्ट अटैक 54 फीसदी तक बढ़े हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा वृद्धि कोविड के आसपास हुई है. इससे ये पता चलता है कि इस दौरान कुछ तो ऐसा हुआ है, जिसकी जांच होनी जरूरी है.
चौंकाते हैं ये आंकड़े
2012 में भारत में हार्ट अटैक से 18 हजार मौतें हुई थीं लेकिन अब इनकी संख्या 32 हजार से ज्यादा हो गई हैं और अब तो शायद ये आंकड़ा और भी ज्यादा हो गया होगा. भारत के लोग सबसे बड़ी गलती ये कर रहे हैं कि वो अब भी हार्ट अटैक को बड़े-बूढ़ों की बीमारी मानते हैं जबकि आंकड़े बताते हैं कि अब युवाओं में हार्ट अटैक की दर तेजी से बढ़ रही है.
- 2022 में 14 साल से कम उम्र के 114 बच्चों की हार्ट अटैक से मौत हुई.
- 14 से 18 साल के 175 बच्चों की हार्ट अटैक से मौत हुई.
- 18 से 30 साल के 3 हजार 40 युवाओं की हार्ट अटैक से मौत हुई.
- 30 से 45 साल के करीब 10 हजार लोगों हार्ट अटैक से मारे गए.
ये आंकड़े बताते हैं कि अब भारत में हार्ट अटैक सभी उम्र के लोगों को आ रहा है और अगर आपके घर में बच्चे हैं, युवा हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए.
बच्चों में हार्ट अटैक के हो सकते हैं ये 5 कारण
- कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल संबंधी बीमारियां होती हैं, जिनके लक्षण नहीं दिखते और इसकी वजह से कम उम्र में ही हार्ट अटैक आ जाता है.
- छोटे बच्चों और युवाओं में अगर हार्ट मसल्स असामान्य रूप से मोटी हो जाती हैं तो इसे खून का फ्लो रुकने के कारण भी कम उम्र में हार्ट अटैक आ सकता है.
- जिन बच्चों को कोविड हुआ है, उनमें भी हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है. LANCET के मुताबिक कोरोना के संक्रमण से दिल की मांसपेशियां में सूजन का खतरा रहता है, जो दिल के लिए सही नहीं होता.
- खराब लाइफस्टाइल, जंक फूट और बहुत ज्यादा चीनी और ट्रांस-फैट खाने से भी कम उम्र में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
- पांचवां और सबसे आखिरी कारण मोटापा हो सकता है 2023 में AIIMS ने इस पर शोध किया था, जिसमें भारत के 12 फीसदी स्कूल जाने वाले बच्चों को मोटापा था. ICMR ने भी अपनी रिपोर्ट में 10 फीसदी से ज्यादा बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल पाया, जिससे कम उम्र में हार्ट अटैक आ सकता है.
इसके अलावा स्ट्रेस और मोबाइल फोन स्क्रीन टाइम भी कारण हो सकता है. स्कूल का दबाव, मोबाइल फोन की लत, नींद की कमी, ये सब मानसिक और शारीरिक तनाव का कारण बनते हैं और तनाव सीधे दिल पर दबाव डालता है और इससे भी कम उम्र में साइलेंट हार्ट अटैक से मौत की सम्भावना बढ़ जाती है.
क्या करें
- अगर आपके घर में बच्चे और युवा हैं तो सावधान हो जाएं.
- खुद अपने डॉक्टर ना बनें और अस्पताल में अपनी जांच करवाएं.
- हमारी सलाह आपको ये होगी कि जैसे आप अपनी गाड़ी की समय समय पर सर्विसिंग कराते हैं, वैसे ही अपनी मेडिकल जांच करवाने की आदत डालिए. सरकार चाहे तो वो भी स्कूल में पढ़ने वालों बच्चों की मेडिकल जांच करवा सकती है, जिससे हार्ट अटैक से होने वाली मौतों को रोका जा सके.
- आखिरी बात- अपना लाइफस्टाइल बदलिए. घर का खाना खाइए, तला-भुना कम खाइए. ज्यादा चीनी और ज्यादा नमक का इस्तेमाल हमेशा के लिए बंद कर दीजिए.
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