वाशिंगटन:
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के नियम तय करने में अमेरिका को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए न कि चीन को इसे तय करना चाहिये। इससे अमेरिकी कामगारों और उत्पादों को समान अवसर उपलब्ध नहीं होने पर नुकसान हो सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'विश्व के कई भागों में अनुचित नियम हैं। कारोबार के समान अवसर नहीं हैं। इससे अमेरिकी कंपनियों और कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका वैश्विक अर्थव्यवस्था के नियम तय करे। हमें आज ही ऐसा करना चाहिए, जबकि हमारी अर्थव्यवस्था वैश्विक ताकत की भूमिका में है।' उन्होंने कहा 'यदि हम वैश्विक व्यापार के नियम तय नहीं करेंगे तो चीन करेगा। वे ऐसे नियम तय करेंगे जिससे चीनी कंपनियों और कर्मचरियों को फायदा मिलेगा और अमेरिका में बने उत्पाद परिदृश्य से बाहर होंगे।'
ओबामा ने दावा किया कि जब व्यापार के नियम उचित हों और इसके कर्मचारियों को काम करने के समान अवसर दिए जाएं तो अमेरिका की हमेशा जीत होती है। उन्होंने कहा, 'यही वजह है कि मैं नए व्यापार समझौतों का जोरदार समर्थक हूं। इससे हमारे कर्मचारियों और कंपनियों को प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। यह वामपंथी या दक्षिणपंथी या फिर कारोबार या श्रम का मुद्दा नहीं है। यह उचित तथा समान नियम और पहुंच का मामला है।'
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'विश्व के कई भागों में अनुचित नियम हैं। कारोबार के समान अवसर नहीं हैं। इससे अमेरिकी कंपनियों और कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका वैश्विक अर्थव्यवस्था के नियम तय करे। हमें आज ही ऐसा करना चाहिए, जबकि हमारी अर्थव्यवस्था वैश्विक ताकत की भूमिका में है।' उन्होंने कहा 'यदि हम वैश्विक व्यापार के नियम तय नहीं करेंगे तो चीन करेगा। वे ऐसे नियम तय करेंगे जिससे चीनी कंपनियों और कर्मचरियों को फायदा मिलेगा और अमेरिका में बने उत्पाद परिदृश्य से बाहर होंगे।'
ओबामा ने दावा किया कि जब व्यापार के नियम उचित हों और इसके कर्मचारियों को काम करने के समान अवसर दिए जाएं तो अमेरिका की हमेशा जीत होती है। उन्होंने कहा, 'यही वजह है कि मैं नए व्यापार समझौतों का जोरदार समर्थक हूं। इससे हमारे कर्मचारियों और कंपनियों को प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। यह वामपंथी या दक्षिणपंथी या फिर कारोबार या श्रम का मुद्दा नहीं है। यह उचित तथा समान नियम और पहुंच का मामला है।'
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