फरवरी और मार्च के बीच बेमौसम बरसात और ओले से पंजाब में तीन लाख हेक्टेयर खेती प्रभावित हुई है, लेकिन किसानों की मुश्किल अभी ख़त्म नहीं हुई, क्यूंकि मौसम विभाग के मुताबिक अप्रैल में भी बारिश होने की आशंका है।
खेतों में गेहूं की फसल अभी पूरी तरह पकी नहीं है। रविवार रात और सोमवार की सुबह हुई बरसात ने पंजाब के किसानों के नुकसान में और इजाफा कर दिया। बादल सरकार ने नुक्सान के लिए सर्वे का ऐलान किया है और केंद्र से 717 करोड़ रुपये का पैकेज मांगा है।
हालांकि बेमौसम बारिश से बरबाद हुए मोहाली के छतबीड़ गांव के किसानों को इससे कुछ ख़ास उम्मीद नहीं। सोहन लाल ने 20 एकड़ खेत पर गेहूं बोया है। वह कहते हैं, 'अभी तक हमारे गांव में कोई सर्वे करने नहीं आया। ज़मींदारों को कोई नहीं पूछता...'
इलाके में आलू की फसल को भी नुक्सान हुआ है। किसानों को मंडी में वाजिब दाम नहीं मिल रहा। एक आलू किसान ने बताया कि एक एकड़ पर हमें 20 हज़ार रुपये का नुक्सान हुआ है, कोई इस आलू को खरीद नहीं रहा और जो खरीदने को तैयार हो रहे हैं वे सिर्फ एक से डेढ़ रुपये किलो का दाम दे रहे हैं।'
इस बारिश का कुछ ऐसा ही असर सरसो, चना और मौसमी सब्ज़ियों पर भी पड़ा है और आगे भी ऐसी ही आफत की बरसात की आशंका ने किसानों को परेशान कर रखा है।
चंडीगढ़ स्थित मौसम विभाग के निदेशक सुरेंदर पाल के मुताबिक, एक अप्रैल से फिर बारिश की आशंका है। अप्रैल के बीच में भी बरसात होगी।
अनाज मंडियों में एक अप्रैल से खरीद शुरू होनी है और एक पखवाड़े बाद बैसाखी है, लेकिन न तो फसल तैयार है और न ही सरकार से नुकसान के मुताबिक मुआवज़े की आस। ऐसे में आशंका है कि किसानों के इस दर्द की वजह से त्योहार का रंग कहीं फीका न रह जाए।
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