कोलकाता:
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को राज्य चुनाव आयोग पर मनमर्जी से फैसले लेने का आरोप लगाया। राज्य चुनाव आयोग द्वारा आयोजित सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने घंटों बाद तृणमूल नेता ने लोकतांत्रिक बदला लेने पर जोर दिया।
विपक्षी दलों ने संवैधानिक निकाय को निशाना बनाने और महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने के लिए बनर्जी की भर्त्सना की।
तृणमूल के महासचिव और राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री पार्था चटर्जी ने संवाददाताओं से कहा, "हमने शुक्रवार को ही राज्य निर्वाचन आयुक्त मीरा पांडे को फैक्स कर दिया था कि हम बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। वह चुनाव को लेकर एकतरफा निर्णय ले रही हैं। उनका रवैया शिष्टाचार के खिलाफ है।"
चटर्जी ने कहा, "उन्होंने अपनी मर्जी से मतगणना की तिथि 29 जुलाई निर्धारित की। यदि हमने आयोग की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया होता तो यह उनके एकतरफा निर्णयों को हमारी मंजूरी होती।"
दक्षिण 24 परगना जिले में पंचायत रैली को संबोधित करते हुए ममता ने रमजान के पाक महीने में मतदान की तिथियां तय करने के लिए निर्वाचन आयोग की आलोचना की। उन्होंने कहा, "यदि चुनाव दुर्गापूजा के दौरान होते तो क्या हम इसे पसंद करते? रमजान भी मुसलमानों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। वे सुबह से उपवास रखते हैं। आखिर वे मतदान के लिए कैसे जाएंगे?" उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग उनकी बात नहीं सुन रहा है। उन्होंने कहा, "मैं लोकतांत्रिक तरीके से बदला लूंगी। क्या उन्हें मालूम है कि कितनी परीक्षाएं रद्द की गई हैं? वे किसी भी बात पर चर्चा नहीं कर रहे। यह सिर्फ अवसरवादिता है। उन्हें लगता है कि रमजान का पाक महीना होने के कारण मुसलमान मतदान नहीं करेंगे।"
चटर्जी ने हालांकि कहा कि उनकी पार्टी शांतिपूर्ण चुनाव के पक्ष में है। उन्होंने कहा, "हम सभी पक्षों से शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित कराने की अपील करते हैं।"
दूसरी ओर राज्य में विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर पंचायत चुनाव को लेकर लोगों को डराने-धमकाने और चुनावी व्यवस्था को चुनौती देने का आरोप लगाया।
माकपा के राज्य सचिव राबिन देब ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर माकपा के कार्यकर्ताओं की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया। देब ने कहा, "हमने राज्य निर्वाचन आयोग से मांग की है कि मोटरसाइकिल से घूम-घूमकर गांवों में लोगों को डराने वाले तृणमूल कांग्रेस के निष्ठावान अराजक तत्वों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।"
राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद देब ने संवाददाताओं से कहा, "पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद से अब तक वामपंथी दलों के 18 कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है। अन्य दलों के कार्यकर्ता भी मारे जा रहे हैं।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है।
सर्वदलीय बैठक में हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया, लेकिन वामपंथी दलों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसमें शामिल हुई। तृणमूल कांग्रेस के बैठक में नहीं पहुंचने के कारण यह आधे घंटे की देरी से शुरू हुई।
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए मतदान 11, 15, 19, 22 और 25 जुलाई को होना है।
विपक्षी दलों ने संवैधानिक निकाय को निशाना बनाने और महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने के लिए बनर्जी की भर्त्सना की।
तृणमूल के महासचिव और राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री पार्था चटर्जी ने संवाददाताओं से कहा, "हमने शुक्रवार को ही राज्य निर्वाचन आयुक्त मीरा पांडे को फैक्स कर दिया था कि हम बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। वह चुनाव को लेकर एकतरफा निर्णय ले रही हैं। उनका रवैया शिष्टाचार के खिलाफ है।"
चटर्जी ने कहा, "उन्होंने अपनी मर्जी से मतगणना की तिथि 29 जुलाई निर्धारित की। यदि हमने आयोग की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लिया होता तो यह उनके एकतरफा निर्णयों को हमारी मंजूरी होती।"
दक्षिण 24 परगना जिले में पंचायत रैली को संबोधित करते हुए ममता ने रमजान के पाक महीने में मतदान की तिथियां तय करने के लिए निर्वाचन आयोग की आलोचना की। उन्होंने कहा, "यदि चुनाव दुर्गापूजा के दौरान होते तो क्या हम इसे पसंद करते? रमजान भी मुसलमानों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। वे सुबह से उपवास रखते हैं। आखिर वे मतदान के लिए कैसे जाएंगे?" उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग उनकी बात नहीं सुन रहा है। उन्होंने कहा, "मैं लोकतांत्रिक तरीके से बदला लूंगी। क्या उन्हें मालूम है कि कितनी परीक्षाएं रद्द की गई हैं? वे किसी भी बात पर चर्चा नहीं कर रहे। यह सिर्फ अवसरवादिता है। उन्हें लगता है कि रमजान का पाक महीना होने के कारण मुसलमान मतदान नहीं करेंगे।"
चटर्जी ने हालांकि कहा कि उनकी पार्टी शांतिपूर्ण चुनाव के पक्ष में है। उन्होंने कहा, "हम सभी पक्षों से शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित कराने की अपील करते हैं।"
दूसरी ओर राज्य में विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर पंचायत चुनाव को लेकर लोगों को डराने-धमकाने और चुनावी व्यवस्था को चुनौती देने का आरोप लगाया।
माकपा के राज्य सचिव राबिन देब ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ कांग्रेस पर माकपा के कार्यकर्ताओं की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया। देब ने कहा, "हमने राज्य निर्वाचन आयोग से मांग की है कि मोटरसाइकिल से घूम-घूमकर गांवों में लोगों को डराने वाले तृणमूल कांग्रेस के निष्ठावान अराजक तत्वों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।"
राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद देब ने संवाददाताओं से कहा, "पंचायत चुनाव की घोषणा होने के बाद से अब तक वामपंथी दलों के 18 कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है। अन्य दलों के कार्यकर्ता भी मारे जा रहे हैं।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वामपंथी दलों के कार्यकर्ताओं को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है।
सर्वदलीय बैठक में हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया, लेकिन वामपंथी दलों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसमें शामिल हुई। तृणमूल कांग्रेस के बैठक में नहीं पहुंचने के कारण यह आधे घंटे की देरी से शुरू हुई।
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए मतदान 11, 15, 19, 22 और 25 जुलाई को होना है।
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