देहरादून:
उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों में भारी बारिश हो रही है, जिस कारण बाढ़ से प्रभावित लोगों के बीच जारी राहत कार्यों में रुकावट पैदा हो रही है। मौसम विभाग ने आने वाले 48 घंटों में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली समेत गढ़वाल मंडल में कई जगहों पर भारी बारिश का अंदेशा जताया है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि सरकार चौकस है और जिन इलाकों पर खतरा है, वहां से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाएगा।
उधर, पिछले 17 दिनों से चल रहे रेसक्यू ऑपरेशन को पूरा कर लिया गया है। मंगलवार को बद्रीनाथ में फंसे आखिरी 150 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
चमोली के डीएम के मुताबिक, सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। बद्रीनाथ में अब सिर्फ स्थानीय और कुछ नेपाली लोग बचे हैं, जो सुरक्षित हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें भी सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि बचावकार्य के दौरान करीब 1 लाख 10 हजार लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।
वायुसेना ने अपने दस हेलीकॉप्टरों को एक हफ्ते तक उत्तराखंड में रखा है ताकि जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। उत्तराखंड में अब शवों के डीएनए सैंपल लेने और उनके अंतिम संस्कार का काम जारी है हालांकि रुक-रुककर हो रही बारिश की वजह से इसमें काफी दिक्कतें आ रही हैं।
बारिश की वजह से राहतकार्य में दिक्कतें आ रही हैं। केदारनाथ और दूसरे बाढ़ प्रभावित इलाकों में शवों के डीएनए सैंपलिंग और उनके अंतिम संस्कार का काम भी चल रहा है।
उधर, पिछले 17 दिनों से चल रहे रेसक्यू ऑपरेशन को पूरा कर लिया गया है। मंगलवार को बद्रीनाथ में फंसे आखिरी 150 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
चमोली के डीएम के मुताबिक, सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। बद्रीनाथ में अब सिर्फ स्थानीय और कुछ नेपाली लोग बचे हैं, जो सुरक्षित हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें भी सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि बचावकार्य के दौरान करीब 1 लाख 10 हजार लोगों को सुरक्षित बचाया गया है।
वायुसेना ने अपने दस हेलीकॉप्टरों को एक हफ्ते तक उत्तराखंड में रखा है ताकि जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। उत्तराखंड में अब शवों के डीएनए सैंपल लेने और उनके अंतिम संस्कार का काम जारी है हालांकि रुक-रुककर हो रही बारिश की वजह से इसमें काफी दिक्कतें आ रही हैं।
बारिश की वजह से राहतकार्य में दिक्कतें आ रही हैं। केदारनाथ और दूसरे बाढ़ प्रभावित इलाकों में शवों के डीएनए सैंपलिंग और उनके अंतिम संस्कार का काम भी चल रहा है।
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