नई दिल्ली:
एक अदालत ने रेल रिश्वत मामले में आरोपियों को गिरफ्तार करने में भेदभाव के लिए सीबीआई की खिंचाई करते हुए कहा कि यह ‘अफसोसजनक’ है। पद के लिए 10 करोड़ रुपये की रिश्वत संबंधी मामले के आरोपियों में पूर्व रेल मंत्री पीके बंसल का भांजा भी शामिल है।
अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई कि 10 में से दो आरेापियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है जबकि उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। सीबीआई निदेशक इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं।
अदालत ने आरोपियों सीवी वेणुगोपाल और एमवी मुरली कृष्ण की जमानत याचिकाओं को खारिज करते यह टिप्पणी की। सीबीआई ने उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए हैं लेकिन मामले की जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।
अदालत ने सीबीआई की इस दलील से असहमति जताई कि समय की कमी या सीमित संसाधनों के कारण वह गिरफ्तारी नहीं कर सकी। अदालत ने कहा कि यह अफसोसजनक है क्योंकि सीबीआई के निदेशक खुद ही इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि सीबीआई समय से आरोपपत्र दाखिल करने में कामयाब रही लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे आरोपी लोगों के बीच भेदभाव करेंगे।
अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई कि 10 में से दो आरेापियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है जबकि उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। सीबीआई निदेशक इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं।
अदालत ने आरोपियों सीवी वेणुगोपाल और एमवी मुरली कृष्ण की जमानत याचिकाओं को खारिज करते यह टिप्पणी की। सीबीआई ने उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए हैं लेकिन मामले की जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।
अदालत ने सीबीआई की इस दलील से असहमति जताई कि समय की कमी या सीमित संसाधनों के कारण वह गिरफ्तारी नहीं कर सकी। अदालत ने कहा कि यह अफसोसजनक है क्योंकि सीबीआई के निदेशक खुद ही इस मामले की जांच की निगरानी कर रहे हैं।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि सीबीआई समय से आरोपपत्र दाखिल करने में कामयाब रही लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे आरोपी लोगों के बीच भेदभाव करेंगे।
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