
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
आम यात्री को राहत देने की कवायद के तहत इस बार रेल बजट में हर ट्रेन में एक अतिरिक्त जनरल कोच लगाने की घोषणा की जा सकती है। इन कोच में यात्री जनरल टिकट पर रिजर्वेशन के बगैर यात्रा कर सकेंगे।
प्रीमियर ट्रेनों में लागू नहीं होगी यह व्यवस्था
सूत्रों के अनुसार, यह कोच हर ट्रेन के आखिर में लगाया जाएगा। रेलवे की यह पहल अंत्योदय दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें समाज के आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े वर्ग तक सहायता पहुंचाने की बात कही गई है। राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी प्रीमियर ट्रेनों को छोड़कर यह कोच हर ट्रेन में लगाए जाएंगे।
आम यात्रियों के लिहाज से अच्छी पहल
यह कोच उन आम यात्रियों के लिहाज से खासतौर पर मददगार साबित होंगे जिनको कई बार आपातकालीन स्थिति में यात्रा करनी पड़ती है। सक्षम लोग तो हवाई यात्रा या रिजर्वेशन नहीं मिलने की स्थिति में अगले दिन का रिजर्वेशन कराकर यात्रा करने में समर्थ होते हैं, लेकिन गरीब लोगों के पास ऐसा विकल्प नहीं होता। नए कोच उनके लिए मददगार होंगे। नियमों के मुताबिक, एक ट्रेन में 24 से अधिक कोच नहीं हो सकते। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जिन ट्रेन में पहले से ही 24 कोच हैं, उनमें यह व्यवस्था किस तरह से लागू की जाए। एक सुझाव यह है कि किसी मौजूदा एसी या स्लीपर कोच को हटाकर ऐसा किया जाए लेकिन आर्थिक रूप से यह तर्कसंगत नहीं है।
प्रीमियर ट्रेनों में लागू नहीं होगी यह व्यवस्था
सूत्रों के अनुसार, यह कोच हर ट्रेन के आखिर में लगाया जाएगा। रेलवे की यह पहल अंत्योदय दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें समाज के आर्थिक रूप से सबसे पिछड़े वर्ग तक सहायता पहुंचाने की बात कही गई है। राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी प्रीमियर ट्रेनों को छोड़कर यह कोच हर ट्रेन में लगाए जाएंगे।
आम यात्रियों के लिहाज से अच्छी पहल
यह कोच उन आम यात्रियों के लिहाज से खासतौर पर मददगार साबित होंगे जिनको कई बार आपातकालीन स्थिति में यात्रा करनी पड़ती है। सक्षम लोग तो हवाई यात्रा या रिजर्वेशन नहीं मिलने की स्थिति में अगले दिन का रिजर्वेशन कराकर यात्रा करने में समर्थ होते हैं, लेकिन गरीब लोगों के पास ऐसा विकल्प नहीं होता। नए कोच उनके लिए मददगार होंगे। नियमों के मुताबिक, एक ट्रेन में 24 से अधिक कोच नहीं हो सकते। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि जिन ट्रेन में पहले से ही 24 कोच हैं, उनमें यह व्यवस्था किस तरह से लागू की जाए। एक सुझाव यह है कि किसी मौजूदा एसी या स्लीपर कोच को हटाकर ऐसा किया जाए लेकिन आर्थिक रूप से यह तर्कसंगत नहीं है।
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