छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में बड़े गुरबे गांव के आयताराम मंडावी को पुलिस ने सोमवार शाम को गिरफ्तार कर लिया। आयताराम पिछले कुछ दिनों से तोंगपाल थाने में आदिवासियों की गिरफ्तारी के खिलाफ हो रहे आंदोलन में शामिल था। आयताराम पिछले साल दिसंबर में सुर्खियों में आया जब ये खुलासा हुआ था कि छत्तीसगढ़ पुलिस निर्दोष आदिवासियों को नक्सली समर्थक बताकर जबरन सरेंडर करवा रही है।
आयताराम मंडावी ने उस वक्त एनडीटीवी इंडिया को दिये इंटरव्यू में कहा था कि पुलिस के ‘सरेंडर’ से बचने के लिए वह कई दिनों तक गांवों में छुपा रहा और पुलिस जब उसे नहीं पकड़ पाई तो उसकी पत्नी को उठा ले गई। हालांकि छत्तीसगढ़ के डीजीपी ने इन आरोपों से इनकार करते हुये आयताराम को नक्सली समर्थक बताया था।
फिलहाल आयताराम तोंगपाल थाने में 6 हज़ार से अधिक आदिवासियों के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहा था। ये विरोध प्रदर्शन कोलमकोंटा गांव के निवाली मुचाकी बड़मा की गिरफ्तारी के विरोध में हो रहा है। तोंगपाल और के पुलिस प्रभारी शिशुपाल सिंह एनडीटीवी इंडिया को इस बारे में कुछ भी जानकारी देने में असमर्थता जताई और कूकानार थाने के प्रभारी प्रकाश राठौर ने सिर्फ इतना बताया कि आयताराम मंडावी के खिलाफ इनके थाने में पांच केस दर्ज किये गये हैं।
उधर आयता की वकील ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, ‘पुलिस ने आयताराम को मंगलवार को सुकमा की अदालत में पेश किया। पुलिस ने उस पर कुल 6 केस बनाये गए हैं जिनमें पंचायत चुनाव में गड़बड़ी करने और सड़क खोदने के अपराध शामिल हैं।’
सुकमा के पुलिस अधीक्षक से कई कोशिशों के बाद भी संपर्क नहीं हो सका। पिछले साल दिसंबर में आयताराम मंडावी ने गिरफ्तारी के डर से रायपुर में जाकर प्रेसवार्ता की थी। वहां उसने आम आदमी पार्टी की सदस्यता भी ली।
हालांकि बस्तर पुलिस इस बीच उसे फरार बताती रही। नक्सलवाद प्रभावित बस्तर के इन इलाकों में आदिवासियों की गिरफ्तारी और उन्हें जेल भेजना नई बात नहीं है लेकिन पिछले कुछ वक्त से इन गिरफ्तारियों के खिलाफ आदिवासियों का विरोध काफी मुखर हो गया है।
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