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This Article is From Jun 28, 2020

PM मोदी की श्रद्धांजलि से याद आया वही सवाल, पीवी नरसिम्हा राव और गांधी परिवार के रिश्ते क्या नहीं थे सहज

आज मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पीवी नरसिम्हाराव को याद किया है. उन्होंने कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का जन्म शताब्दी वर्ष है.

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PM मोदी की श्रद्धांजलि से याद आया वही सवाल, पीवी नरसिम्हा राव और गांधी परिवार के रिश्ते क्या नहीं थे सहज
पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का आज जन्मदिन है.
नई दिल्ली:

आज मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पीवी नरसिम्हाराव को याद किया है. उन्होंने कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का जन्म शताब्दी वर्ष है.  उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता को याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनकी एक छवि स्वाभाविक राजनेता के रूप में होती है. लेकिन यह भी एक बड़े ज्ञाता और कई भाषाओं से जानकार थे.  पीएम मोदी ने कहा कि राव किशोरावस्था में आजादी आंदोलन में शामिल हुए थे. पीएम मोदी ने कहा कि हैदराबाद के निजाम ने जब उनको वंदेमातरम गाने की इजाजत देने से इनकार कर दिया तो उन्होंने उनके खिलाफ सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. हालांकि पीएम मोदी के मन की बात से पहले कांग्रेस के आधिकारिक ट्वीटर से भी पीवी नरसिम्हाराव को श्रद्धांजलि दी गई है. पार्टी की ओर से कहा गया है, 'एक दूरदर्शी नेता जिसने भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा सुधार किया, का सम्मान करते हैं. देश के लिए उनके किए गए कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है' 

लेकिन यहां एक बात और ध्यान देने की है. नरसिम्हा राव के संबंध कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कभी उतने ठीक नहीं रहे हैं. यहां तक कि कांग्रेस के इस समय के कई बड़े नेता नरसिम्हाराव के पीएम होते हुए बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना को 'दुर्भाग्य' के नजरिए से देखते हैं. वहीं आर्थिक सुधारों को लेकर उनको कम लेकिन उनकी सरकार में वित्त मंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह को ज्यादा देने की कोशिश की जाती रही है.

'द हाफ लायन' के लेखक विनय सीतापति ने लिखा है, कि कांग्रेस के 125वें स्थापना दिवस पर सोनिया गांधी ने कहा कि था कि राजीव जी अपने सपनों को साकार होते हुए देखने के लिए हमारे बीच नही हैं, लेकिन हम देख सकते हैं कि वर्ष 1991 के चुनावी घोषणा पत्र में उन्होंने जो दावे किये थे, वही अगले पांच वर्षों के लिए आर्थिक नीतियों के आधार बने. यानी एक तरह से यह कहना था कि जो कदम राव सरकार ने उठाए हैं उसकी रूप रेखा राजीव गांधी पहले ही तैयार कर चुके थे. 

लेकिन देश का बाजार पूरी दुनिया के लिए खोलने के फैसले के एक साल ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद कांड हो गया. इस पर विनय सीतापति ने अपनी किताब हॉफ लॉयन में लिखते हैं. 'नरसिम्हा राव के प्रशंसकों शामिल कांग्रेस के कद्दावर जयराम रमेश कहते हैं कि, 'कांग्रेस के 99.99 फीसद लोगों का मानना है कि बाबरी मस्जिद के गिरने के पीछे कहीं न कहीं राव की मिलीभगत थी. उस घटना की कसौटी पर पूरी कांग्रेस पार्टी को कसा जाता है'. विनय सीतापति लिखते हैं, ''राहुल गांधी ने तो सार्वजनिक तौर पर यह कहा कि 'अगर उनका परिवार वर्ष 1992 में सत्ता में होता तो शायद बाबरी मस्जिद नहीं गिरती'. कुल मिलाकर नरसिम्हा राव को लेकर कांग्रेस और गांधी परिवार कभी उतना सहज नहीं रहा है.
 

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