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तिरुपति मंदिर में देसी गाय के दूध से बने प्रसाद... सुप्रीम कोर्ट में इस अर्जी पर हुई दिलचस्प बहस

जस्टिस सुंदरेश ने टिप्पणी की कि गाय तो गाय ही होती है. ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम साथी जीवों की सेवा करने में है न कि इन मुद्दों में पड़ने के लिए है. इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे समाज में मौजूद हैं.

तिरुपति मंदिर में देसी गाय के दूध से बने प्रसाद... सुप्रीम कोर्ट में इस अर्जी पर हुई दिलचस्प बहस
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम एम सुंदरेश ने कहा कि ईश्वर सभी मनुष्यों के लिए समान है. (फाइल फोटो)
  • सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति मंदिर में केवल देसी गाय के दूध से पूजा करने की अर्जी दाखिल की गई.
  • जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया.
  • जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि ईश्वर सभी मनुष्यों के लिए समान हैं और जीवों की सेवा महत्वपूर्ण है.
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नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को तिरुपति मंदिर में भगवान वेंकटेश की पूजा और भोग प्रसाद में सिर्फ देसी नस्ल की गायों के दूध का इस्तेमाल करने की अर्जी दाखिल की गई. अर्जी में तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर संस्थान के प्रबंधक तिरुमला तिरुपति देवस्थानम को देसी गायों के दूध का इस्‍तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई. जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई से सिरे से ही इनकार कर दिया. हालांकि याचिकाकर्ता को यहां से याचिका वापस लेकर हाई कोर्ट जाने की छूट दे दी. इस दौरान बेंच और वकील के बीच दिलचस्प बहस हुई.

सुनवाई के दौरान जस्टिस सुंदरेश ने टिप्पणी की कि गाय तो गाय ही होती है. ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम साथी जीवों की सेवा करने में है न कि इन मुद्दों में पड़ने के लिए है. इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे समाज में मौजूद हैं. हम पूरे सम्मान के साथ आपको ये सब बता रहे हैं. इस पर याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि आगम शास्त्रों के अनुसार भी इसमें भेद है. यह एक अनिवार्य परंपरा है.

ईश्‍वर सभी मनुष्‍यों के लिए समान: जस्टिस सुंदरेश

जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि यह वर्गीकरण केवल मनुष्यों के लिए है. वो भी भाषा, जाति, समुदाय, राज्य धर्म आदि के आधार पर किया गया है. ईश्वर सभी मनुष्यों के लिए समान है. दूसरे प्राणियों के लिए भी वो दयालु और समदर्शी है.

उन्‍होंने कहा कि आप कह सकते हैं कि ईश्वर नहीं चाहते कि दूध देसी गाय दे या किसी और नस्ल की. ईश्वर के पास कुछ और होगा ही.

हालांकि वकील की दलील थी कि भगवान की पूजा तो आगम शास्त्रों के अनुसार ही की जानी चाहिए. इसे लेकर TTD का एक प्रस्ताव और फैसला है. हम बस इसे लागू करने की मांग कर रहे हैं. अदालत TTD को नोटिस जारी कर सकती है, जिससे यह पता चल सके कि उनका इस मुद्दे पर क्या कहना है.

हाई कोर्ट जाने की अनुमति देंगे या... : जस्टिस सुंदरेश

जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि आप जो भी अनुष्ठान करते हैं, वह ईश्वर के प्रेम का प्रतीक है, इससे बढ़कर कुछ नहीं है. फिर जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि हम आपको उच्च न्यायालय जाने की अनुमति देंगे या आपकी इस अर्जी को यहीं खारिज करेंगे.

जस्टिस सुंदरेश ने पूछा कि क्या इसमें कोई कानूनी आदेश है? इस पर वकील ने कहा कि हमारी प्रार्थना दो संवैधानिक पीठ के फैसलों के अंतर्गत आती है.

जस्टिस सुंदरेश ने पूछा कि क्या अब हम ये कहेंगे कि तिरुपति के लड्डू स्वदेशी होने चाहिए? पीठ ने कहा कि हमने वकील की बात सुन ली है. हम इस पर विचार नहीं करना चाहते हैं. आखिर में वकील ने कहा कि फिर हाई कोर्ट जाने की छूट के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दें. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की छूट दे दें.

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