भारतीय सीमा पर चीन (China) की हरकतों पर नजर रखने के लिए भारत अमेरिका (America) के सहयोग से ड्रोन (Drones) बनाएगा. इस बात की पुष्टि पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने की है. अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत मिलकर ड्रोन का निर्माण करेंगे, क्योंकि वाशिंगटन चीन का मुकाबला करने के तरीके के रूप में दिल्ली के साथ घनिष्ठ संबंध चाहता है. अधिकारी ने कहा कि भारत इन ड्रोनों को न केवल बनाएगा बल्कि अपने पड़ोसी देशों को इसका निर्यात भी कर सकेगा.अधिकारी ने कहा कि भारत अपने हथियारों में विविधता लाना चाहता है, जो मुख्य रूप से रूसी निर्मित है. इसके लिए भारत स्वयं के रक्षा उद्योगों को विकसित करना चाहता है. हम दोनों मोर्चों पर भारत का समर्थन करना चाहते हैं और ऐसा कर रहे हैं.
भारत-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा सचिव एली रैटनर ने संवाददाताओं से कहा, "व्यावहारिक रूप से, इसका मतलब है कि हम सह-उत्पादन और सह-विकासशील क्षमताओं पर भारत के साथ मिलकर काम करने जा रहे हैं जो भारत के अपने रक्षा आधुनिकीकरण लक्ष्यों का समर्थन करेंगे."बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच संबंध कई वर्षों से सामान्य थे, लेकिन चीन की आक्रामक रणनीति और युद्धशीलता ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तहत देशों को एक साथ ला दिया है.
साल 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को "प्रमुख रक्षा भागीदार" के रूप में नामित किया था. तब से, दोनों देशों ने ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं जो शीर्ष-श्रेणी के हथियारों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करते हैं और सैन्य सहयोग को गहरा करते हैं. इसी समझौते ते तहत भारत अमेरिका मिलकर ड्रोन बनाएंगे. भारत भी अपने रक्षा उपकरण को खुद ही बनाने के लिए इच्छुक है.
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