प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
भारतीय मौसम विभाग ने देश की तरफ़ बढ़ रहे एक और सूखे की भविष्यवाणी कर दी है। लेकिन इससे भी ज़्यादा चिंता की बात ये है कि नए शोध में इस बात के साफ़ संकेत मिले हैं कि भारतीय मॉनसून बीते 100 सालों में पहले के मुक़ाबले बेहद कमज़ोर हुआ है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी में शोध कर रहे वैज्ञानिकों की मानें तो मॉनसून एक तरह से सूखता जा रहा है जिसकी वजह से मध्य भारत के सूखेपन में 20 फीसदी तक इजाफा हुआ है। उनका कहना है, 'हमारा शोध लंबे समय के ट्रेंड पर आधारित है, इसमें साल दर साल होने वाले बदलाव शामिल नहीं है। मैं कह नहीं सकता कि इस साल के सूखे के लिए हिंद महासागर का गरम होना वजह है या नहीं।'
पुणे टीम के आंकड़े बताते हैं कि हिंद महासागर लगातार गर्म हो रहा है और उसके सतह के तापमान में 1.2 डिग्री तक की बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से जमीन और समंदर के तापमान का फर्क कम हो रहा है और इसकी वजह से मॉनसून सिस्टम कमजोर होता जा रहा है।
शोध बताते हैं कि हिंद महासागर के दायरे में हुई बारिश की बढ़ोतरी जमीनी सूखे की कीमत पर है। भारत के लिए ये संकेत अच्छे नहीं जहां एक बड़ा इलाका मॉनसून की बारिश की राह देखता है।
इस बीच देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने के बावजूद मॉनसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) में शुक्रवार को छठे दिन भी कोई प्रगति नहीं हुयी। देश में अब तक हुयी बारिश कुल मिलाकर सामान्य सीमा से 10 प्रतिशत अधिक है। दक्षिण भारत में सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुयी है वहीं मध्य भारत में सामान्य से 20 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है।
विदर्भ क्षेत्र में सामान्य से 48 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुयी है। उत्तर और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुयी है। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित पश्चिमी उत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश हुई है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार इस क्षेत्र में सामान्य से 10 प्रतिशत कम बारिश हुयी है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी में शोध कर रहे वैज्ञानिकों की मानें तो मॉनसून एक तरह से सूखता जा रहा है जिसकी वजह से मध्य भारत के सूखेपन में 20 फीसदी तक इजाफा हुआ है। उनका कहना है, 'हमारा शोध लंबे समय के ट्रेंड पर आधारित है, इसमें साल दर साल होने वाले बदलाव शामिल नहीं है। मैं कह नहीं सकता कि इस साल के सूखे के लिए हिंद महासागर का गरम होना वजह है या नहीं।'
पुणे टीम के आंकड़े बताते हैं कि हिंद महासागर लगातार गर्म हो रहा है और उसके सतह के तापमान में 1.2 डिग्री तक की बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से जमीन और समंदर के तापमान का फर्क कम हो रहा है और इसकी वजह से मॉनसून सिस्टम कमजोर होता जा रहा है।
शोध बताते हैं कि हिंद महासागर के दायरे में हुई बारिश की बढ़ोतरी जमीनी सूखे की कीमत पर है। भारत के लिए ये संकेत अच्छे नहीं जहां एक बड़ा इलाका मॉनसून की बारिश की राह देखता है।
इस बीच देश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने के बावजूद मॉनसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) में शुक्रवार को छठे दिन भी कोई प्रगति नहीं हुयी। देश में अब तक हुयी बारिश कुल मिलाकर सामान्य सीमा से 10 प्रतिशत अधिक है। दक्षिण भारत में सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुयी है वहीं मध्य भारत में सामान्य से 20 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है।
विदर्भ क्षेत्र में सामान्य से 48 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुयी है। उत्तर और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुयी है। हालांकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित पश्चिमी उत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश हुई है। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार इस क्षेत्र में सामान्य से 10 प्रतिशत कम बारिश हुयी है।
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