
फाइल फोटो
नई दिल्ली:
नोटिफिकेशन मामले में केंद्र और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के बीच छिड़ी लड़ाई में दखल देने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले पर फैसला ले।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से उस टिप्पणी को सुनवाई के वक्त निष्प्रभावी मानने के लिए कहा है, जिसमें गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन को संदिग्ध बताया गया था।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट बिना इस टिप्पणी को ध्यान में रखे हुए इस मामले की सुनवाई करे।
जहां तक बात एंटी करप्शन ब्रांच के दायरे की है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले की तारीफ़ करते हुए कहा कि "आपने ज़मानत नहीं दी ये अच्छा है।"
यानी कुल मिलाकर अब दिल्ली हाईकोर्ट तय करेगा कि नोटिफिकेशन सही है या गलत और एंटी करप्शन ब्रांच का दायर क्या है सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा।
इससे पूर्व केन्द्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार दिए जाने की गृह मंत्रालय की अधिसूचना पर सवाल उठाने वाले हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
दरअसल, गृह मंत्रालय ने 21 मई को गजट अधिसूचना जारी की थी, जिसके मुताबिक दिल्ली सरकार का एंटी करप्शन ब्रांच केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता। इसी अधिसूचना में दिल्ली के उपराज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति और उनके ट्रांसफ़र का अधिकार दिया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे संदिग्ध बताया था।
वहीं केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन के खिलाफ दिल्ली सरकार ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है और आज इस पर भी सुनवाई हो सकती है। यह मामला कोर्ट में तब पहुंचा जब दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल को एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार किया। दिल्ली पुलिस का यह सिपाही ज़मानत के लिए अदालत पहुंचा, तब दिल्ली हाईकोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरों की कार्रवाई को सही ठहराया और नोटिफिकेशन पर सवाल खड़े किए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से उस टिप्पणी को सुनवाई के वक्त निष्प्रभावी मानने के लिए कहा है, जिसमें गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन को संदिग्ध बताया गया था।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट बिना इस टिप्पणी को ध्यान में रखे हुए इस मामले की सुनवाई करे।
जहां तक बात एंटी करप्शन ब्रांच के दायरे की है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले की तारीफ़ करते हुए कहा कि "आपने ज़मानत नहीं दी ये अच्छा है।"
यानी कुल मिलाकर अब दिल्ली हाईकोर्ट तय करेगा कि नोटिफिकेशन सही है या गलत और एंटी करप्शन ब्रांच का दायर क्या है सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा।
इससे पूर्व केन्द्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार दिए जाने की गृह मंत्रालय की अधिसूचना पर सवाल उठाने वाले हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
दरअसल, गृह मंत्रालय ने 21 मई को गजट अधिसूचना जारी की थी, जिसके मुताबिक दिल्ली सरकार का एंटी करप्शन ब्रांच केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता। इसी अधिसूचना में दिल्ली के उपराज्यपाल को वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति और उनके ट्रांसफ़र का अधिकार दिया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे संदिग्ध बताया था।
वहीं केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन के खिलाफ दिल्ली सरकार ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है और आज इस पर भी सुनवाई हो सकती है। यह मामला कोर्ट में तब पहुंचा जब दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल को एंटी करप्शन ब्यूरो ने गिरफ्तार किया। दिल्ली पुलिस का यह सिपाही ज़मानत के लिए अदालत पहुंचा, तब दिल्ली हाईकोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरों की कार्रवाई को सही ठहराया और नोटिफिकेशन पर सवाल खड़े किए थे।
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